राजनीति की जिद: सरकार के वार्ता निमंत्रण का किसान देंगे जवाब, ब्रिटिश पीएम को रोकेंगे आने से
जिद पर अड़े किसान संगठन आज भेजेंगे सरकार को जवाब, ब्रिटिश प्रधानमंत्री जानसन को रोकने के लिए इंग्लैंड के सांसदों को लिखेंगे पत्र
गणतंत्र दिवस पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को रोकने के लिए इंग्लैंड के सांसदों को लिखेंगे पत्र।
किसान यूनियनों की बैठक का पहला दौर सुबह 10.30 बजे पंजाब की 32 किसान यूनियनों के बीच शुरू हुआ था। इसके बाद 42 किसान यूनियनों की बैठक में सरकार की ओर से भेजी गई चिट्ठी का जवाब लिखने को लेकर लंबी चर्चा चली।
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली 22 दिसंबर। किसान यूनियनें सरकार के साथ वार्ता को लेकर न सिर्फ अपनी पुरानी जिद पर कायम हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने के लिहाज से अब ब्रिटिश सांसदों को भी पत्र लिखकर उनसे आग्रह करने की योजना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को आने से रोकें। संकेत साफ है कि मामला अभी लंबा खिंचेगा और देर सबेर कोर्ट के आदेश पर ही कोई राह निकलने की गुंजाइश है।
मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक सुबह 10.30 बजे से शाम छह बजे तक चली, फिर भी वे किसी सर्वसम्मत समाधान पर नहीं पहुंच सके। बताते हैं कि कुछ संगठन चाहते हैं कि बातचीत होनी चाहिए। ऐसे संगठनों का मानना था कि वार्ता के बुलावे को स्वीकार कर अपने मुद्दों को जोर-शोर से उठाना चाहिए।
किसान नेता सरकार को चिट्ठी का जवाब आज देंगे
मामला कोर्ट में पहुंच चुका है और ऐसा नहीं लगना चाहिए कि हम बातचीत के लिए तैयार ही नहीं हैं। बहरहाल, अब सरकार को उसकी चिट्ठी का जवाब बुधवार को भेजा जाएगा। इसे तैयार करने में कुछ कानूनविदों और वकीलों की मदद ली जाएगी।
कानूनों को रद करने और नया कानून लाने की मांग बैठक में फिर उठी
बैठक में इन कानूनों को रद करने और संसद का विशेष सत्र बुलाकर नया कानून लाने की मांग फिर उठी। सरकार की चिट्ठी के मजमून को गुमराह करने की कोशिश बताया गया।
गणतंत्र दिवस पर ब्रिटिश पीएम जानसन को रोकने के लिए इंग्लैंड के सांसदों को लिखेंगे पत्र
संयुक्त किसान मोर्चा की मंगलवार को हुई बैठक में एक चौंकाने वाला फैसला किया गया है, जिसके तहत इंग्लैंड के सांसदों को पत्र लिखकर आग्रह किया जाएगा कि वे अपने प्रधानमंत्री बोरिस जानसन को गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा नहीं लेने के लिए मनाएं। उन्हें किसानों की मांगों के समर्थन में बायकाट करना चाहिए।
कृषि मंत्री ने कहा- सरकार ने आंदोलित किसानों को वार्ता के लिए खुले मन से किया आमंत्रित
उधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने मंगलवार को कहा, उन्हें उम्मीद है कि आंदोलन कर रहीं किसान यूनियनें सरकार के साथ वार्ता करने के लिए जल्द ही आएंगी। यूनियनों की अंदरूनी बैठक में कुछ ऐसा फैसला हो जाएगा जिससे समस्या के समाधान की तरफ बढ़ने में मदद मिलेगी। तोमर ने कहा कि सरकार ने उन्हें खुले मन से बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। वे अपनी सहूलियत के हिसाब से वार्ता की तिथि बता सकते हैं। कृषि मंत्रालय ने आंदोलन कर रहीं यूनियनों को रविवार को पत्र लिखकर सरकार के भेजे प्रस्तावों पर अपनी दिक्कतें बताने के लिए वार्ता में शामिल होने का न्योता भेजा है।
किसान नेताओं की जिद के चलते कोई समाधान नहीं निकल सका
किसान यूनियनों की मंगलवार को हुई बैठक में कृषि मंत्रालय के पत्र का जवाब तैयार करने और वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार अथवा खारिज करने पर विचार-विमर्श हुआ, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका। किसान यूनियनों की दिक्कतों को दूर करने के लिए सरकार के साथ पांच दौर की वार्ता के बावजूद किसान नेताओं की जिद के चलते किसी समाधान तक नहीं पहुंचा जा सका है। यूनियनों ने कृषि सुधार कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग पर अड़ियल रुख अपनाए रखा।
पांचवें दौर की वार्ता में किसान नेताओं ने मौन धारण कर सरकार से ‘हां या ना’ में जवाब मांगा था
पांचवें दौर की वार्ता में तो उन्होंने मौन धारण कर सरकार से ‘हां या ना’ में जवाब मांगा। इसके लिए उन्होंने कागज पर लिखे ‘हां या ना’ के स्लोगन को दिखाने शुरू कर दिए थे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उनके प्रमुख नेताओं से वार्ता कर समस्या का हल तलाशने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी जिद के चलते कोई समाधान नहीं हो सका। वार्ता के दौरान ही उन्होंने आंदोलन को आगे बढ़ाने की रूपरेखा घोषित कर दी थी।
42 किसान यूनियनों की बैठक में सरकार को चिट्ठी का जवाब लिखने को लेकर हुई वार्ता
किसान यूनियनों की बैठक का पहला दौर सुबह 10.30 बजे पंजाब की 32 किसान यूनियनों के बीच शुरू हुआ था। बाद में हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत कुछ और राज्यों की कुल 10 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया। पंजाब के किसान नेताओं का दबाव तीनों कृषि कानूनों को रद कर नया कानून पारित करने और एमएसपी की गारंटी पर रहा। इसके बाद 42 किसान यूनियनों की बैठक में सरकार की ओर से भेजी गई चिट्ठी का जवाब लिखने को लेकर लंबी चर्चा चली।