कृषि कानूनों पर संसद में हंगामा, सरकार अंदर-बाहर चर्चा को तैयार

 

कृषि कानूनः संसद में विपक्ष का हंगामा, तोमर बोले- सरकार सदन के भीतर-बाहर चर्चा को तैयार
Opposition protest in Parliament: एक प्रश्न के लिखित उत्तर में नरेंद्र तोमर (Narendra Tomar) ने कहा, ‘‘मुद्दे के समाधान के लिये सरकार एवं आंदोलनकारी किसान संगठनों (Farmers Union) के बीच ग्यारह दौर की वार्ता हुई है और सरकार ने कृषि कानूनों (Farm Law) में संशोधन के बारे में एक के बाद एक कई प्रस्ताव रखे हैं.”

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने लोकसभा में कहा, ‘‘सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है.’’ फाइल फोटो
नई दिल्ली. तीन नये कृषि कानूनों पर विपक्षी दलों के आरोपों के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने मंगलवार को कहा कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद (Parliament) के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है. विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण मंगलवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित रही. गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से हजारों की संख्या में किसान पिछले करीब दो महीने से विवादास्पद तीन नये कृषि कानूनों (New Farm Law) को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की मांग करते हुए प्रदर्शन रहे हैं. तोमर ने लोकसभा (Lok Sabha) में कहा, ‘‘सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है.’’

दूसरी ओर, एक प्रश्न के लिखित उत्तर में तोमर ने कहा, ‘‘मुद्दे के समाधान के लिये सरकार एवं आंदोलनकारी किसान संगठनों के बीच ग्यारह दौर की वार्ता हुई है और सरकार ने कृषि कानूनों में संशोधन के बारे में एक के बाद एक कई प्रस्ताव रखे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कृषि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है.” दरअसल कृषि मंत्री का जवाब लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के उस दावे के बाद आया, जिसमें कांग्रेस नेता ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के दौरान 170 किसानों की मौत हो गई.

चौधरी ने आरोप लगाया कि किसानों पर अत्याचार हो रहा है. हालात ब्रिटिश काल की तरह हैं. कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, सपा और बीएसपी के सदस्य वेल में आए गए तो स्पीकर ओम बिरला ने अपील की कि वे वापस अपनी सीटों पर चले जाएं जिससे सदन का कामकाज सामान्य तरीके से हो सके. कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हम किसानों के मुद्दे पर बातचीत के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन इसके लिए सदन को बिना रुकावट के चलाया जाए. अगर शोर शराब नहीं होता तो चर्चा शुरू हो चुकी होती.

कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से खरीद प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लोकसभा में ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, के. सुरेश, नुसरत जहां रूही, बदरूद्दीन अजमल, उत्तम कुमार रेड्डी, कनिमोई करूणानिधि और माला राय सहित कई सदस्यों के प्रश्नों के लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जवाब दिया.

Kisan Aandolan: संयुक्त किसान मोर्चा ने केजरीवाल सरकार से तिहाड़ जेल में बंद प्रदर्शनकारियों का मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराने का अनुरोध किया है.

किसान मोर्चा का दावा, 115 प्रदर्शनकारी तिहाड़ जेल में; CM केजरीवाल से की खास अपील

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की
संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को दावा किया है कि तिहाड़ जेल में 115 प्रदर्शनकारी बंद हैं. उन्होंने केजरीवाल सरकार से उन सभी का मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराने का अनुरोध किया है. संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन के संबंध में मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की और उन्हें अपनी मांगों के समर्थन में ज्ञापन सौंपा.

गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान दो महीनों से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

क्या है मामला

कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर सरकार ने सितंबर में तीनों कृषि कानूनों को लागू किया था. सरकार ने कहा था कि इन कानूनों के बाद बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को देश में कहीं पर भी अपने उत्पाद को बेचने की अनुमति होगी. वहीं, किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्यज्यों के त्यों बने रहेंगे।

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