कृषि बिलों के समर्थन में भी है कई किसान संगठन
10 किसान संगठन नए कानूनों के साथ, कृषि मंत्री को सौंपा समर्थन पत्र, कहा- पलट जाएंगे किसानों के भाग्
नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग को लेकर पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठनों के विरोध के बीच विभिन्न राज्यों के कुल 10 किसान संगठनों के नेताओं ने सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर उन्हें इन कानूनों के समर्थन में पत्र सौंपा।
हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने कहा- कृषि कानून वापस नहीं होने चाहिए
हरियाणा के 40 विधायकों और सांसदों ने भी तोमर से मिलकर राज्य के किसानों और जनता की ओर से समर्थन दिया। उन्होंने कानून के सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा भी की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इन कानूनों को किसी भी हाल में वापस नहीं किया जाना चाहिए।
कृषि मंत्री ने कहा- सरकार के प्रस्तावों पर किसान यूनियनें अपनी राय दें तो निश्चित रूप से होगी वार्ता
कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि आल इंडिया किसान कोआर्डिनेशन कमेटी से संबद्ध उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना और हरियाणा समेत कई और राज्यों के किसान संगठनों ने कृषि सुधार कानूनों पर विस्तार से अपनी बात रखी। तोमर ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान यूनियनें अपनी राय दें तब बैठक होगी।हरियाणा के सांसदों में केंद्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया, धर्मवीर, नायब सिंह व डीपी वत्स के साथ राज्य के भाजपा विधायकों ने कृषि भवन में कृषि मंत्री से मुलाकात की।
10 किसान संगठनों के नेताओं ने सरकार की पहल का समर्थन किया
दिल्ली बार्डर पर पिछले 19 दिनों से मोर्चा लगाए पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठनों के खिलाफ इन नेताओं ने सरकार की पहल का समर्थन किया है। जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता और हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने शनिवार को कृषि मंत्री तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और रक्षा मंत्री राजनाथ ¨सह से मुलाकात कर इस गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में चर्चा की थी।
किसानों ने कहा- आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में उठाए गए ऐतिहासिक कदम
कृषि मंत्री से मुलाकात में किसानों ने बताया कि आजादी के बाद पहली बार किसानों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। इससे किसानों के भाग्य पलट जाएंगे। इस मौके पर तोमर ने कहा, ‘सरकार की नीति और नीयत दोनों में सिर्फ और सिर्फ किसानों का हित है।’ उन्होंने इन किसान संगठनों का आभार जताते हुए कहा कि अगर किसान किसी मुद्दे पर भ्रम के शिकार हो गए हैं तो हमारा दायित्व उनकी शंका निवारण करने का है। लंबे समय से इस तरह के सुधारों की मांग हो रही थी, जिसे हमारी सरकार ने पूरा किया है। किसानों के लिए एक देश एक बाजार की परिकल्पना को जमीन पर उतारा है।
कृषि मंत्री ने कहा- सरकार हर समय किसानों से वार्ता करने को तैयार
एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा, ‘आंदोलन कर रहे किसान संगठनों को सरकार ने जो प्रस्ताव दिए हैं, उस पर उनका मत प्राप्त होने के बाद अगली बैठक होगी। सरकार हर समय उनसे वार्ता करने को तैयार है। उन लोगों का कार्यक्रम चल रहा है। हम इंतजार कर रहे हैं। उनकी ओर से कुछ पहल होगी तो देखा जाएगा।’ तोमर ने जोर देकर कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने, बोआई से पहले उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने की गारंटी, किसान जहां चाहे अपनी मर्जी से उपज को अपने निर्धारित मूल्यों पर बेच सके, उपज की ढुलाई का खर्च बच सके, इस तरह के किसान हित में प्रावधान किए गए हैं।
महाराष्ट्र-तमिलनाडु के किसान नेताओं ने कहा- किसानों को खुले बाजार में उपज बेचने की मिली आजादी
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति देश के अलग-अलग राज्यों के किसान संगठनों का प्रतिनिधि मंच हैं। शरद जोशी ने इसकी स्थापना की थी जो कृषि क्षेत्र में सुधार के प्रबल समर्थक नेता रहे हैं। महाराष्ट्र के किसान नेता गुणवंत पाटिल व तमिलनाडु के मणिकंदम ने संयुक्त रूप से कहा कि आजादी के बाद किसानों का शोषण होता रहा है। किसानों को खुले बाजार में अपनी उपज बेचने की आजादी नहीं होने से अब तक वे अपनी उपज के मनमाफिक व लाभकारी दाम नहीं ले पाते थे। सरकार के इन सुधारों से किसानों को अब जाकर स्वतंत्रता मिली है।
गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर तोमर ने की मंत्रणा
तोमर ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाकात की और लगातार दूसरे दिन किसानों की मांगों व उससे जुड़े मसलों पर विचार-विमर्श किया। दोनों मंत्रियों ने देशभर के ऐसे किसानों और उनके नेताओं से संपर्क कर गतिरोध समाप्त करने की विस्तृत योजना पर चर्चा की जिनकी दिलचस्पी जमीनी स्तर पर किसानों के फायदे के मकसद से मुद्दों को सकारात्मक तरीके से सुलझाने में हो।
उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिये अपने सुझाव
उत्तर प्रदेश से भारतीय किसान यूनियन (किसान) के सदस्यों ने कृषि भवन में केन्द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की। यूनियन के नेताओं ने कृषि अधिनियमों का स्वागत किया और कहा कि अधिनियम किसानों के लिए फायदेमंद हैं। हालांकि, उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को कृषि अधिनियमों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में सुझावों का एक ज्ञापन भी सौंपा। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि अधिनियमों के समर्थन में आगे आने के लिए यूनियन के नेताओं का आभार प्रकट किया। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि अधिनियमों का देश के विभिन्न राज्यों में स्वागत किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविक किसान संगठनों के साथ संवाद जारी रखने के लिए उत्सुक है और खुले दिमाग के साथ समाधान खोजने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि एमएसपी एक प्रशासनिक फैसला है और वह उसी तरह से जारी रहेगा।
भारतीय किसान यूनियन (किसान) के नेताओं ने सुझाव दिया कि किसानों को विवाद की स्थिति में दीवानी न्यायालय जाने का विकल्प दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि छोटे कस्बों और गांवों के किसानों के हितों की रक्षा के लिए पंचायत प्रमुख को मंडी प्रमुख के समान महत्व दिया जाना चाहिए। आवश्यक वस्तु अधिनियम के मामले में, उन्हें सुझाव दिया गया है कि इससे जमाखोरी और कालाबाजारी पर रोक लगनी चाहिए। यूनियन के नेताओं ने यह सुझाव भी दिया कि उत्तर प्रदेश में सिंचाई के लिए बिजली की दरें घटाई जानी चाहिए और ज्यादा घंटों के लिए बिजली उपलब्ध करानी चाहिए। उन्होंने यह प्रस्ताव भी दिया कि फसलों के मानकों पर खरीद केन्द्रों पर ही फैसला होना चाहिए, जिससे किसानों को अपनी उपज की बिक्री में कोई समस्या न आए।