आमजन को परेशान करने को किसान आंदोलनकारियों को सुको की फटकार
Farmers Protest: जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत मांगने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा- कभी नहीं खटखटाया SC का दरवाजा
नई दिल्ली 01 अक्टूबर। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मामले में याचिकाकर्ता का एसकेएम से कोई लेनादेना नहीं है. एसकेएम ने कभी भी काले कानूनों पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है.
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का पिछले साल से प्रदर्शन जारी है. वहीं किसानों की ओर से दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिया जा रहा है. लंबे वक्त से धरना दिए जाने के कारण दिल्ली बॉर्डर पर आवाजाही प्रभावित है, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट की ओर से किसान आंदोलन को लेकर कड़ी फटकार लगाई गई है.
दरअसल, आज दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे एक किसान संगठन से सुप्रीम कोर्ट ने कड़े सवाल पूछे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने पहले ही हाईवे रोक रखे है. क्या अब शहर के अंदर भी प्रदर्शन करना चाहते हैं? किसान महापंचायत नाम के संगठन ने प्रदर्शन की इजाजत मांगी थी. इस पर कोर्ट ने लिखित हलफनामा देने को कहा और मामले में सोमवार को अगली सुनवाई होगी. वहीं इस मामले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इससे उसका कोई लेनादेना नहीं है.
संयुक्त किसान मोर्चा का बयान
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बयान जारी किया है. अपने बयान में एसकेएम ने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट के मामले में याचिकाकर्ता का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई लेनादेना नहीं है. एसकेएम ने कभी भी तीन काले कानूनों पर निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है. बयान में कहा गया है कि एसकेएम ने हमेशा स्पष्ट कहा है कि दिल्ली की ओर जाने वाले राजमार्गों को बीजेपी की पुलिस के जरिए अवरुद्ध किया गया है. केंद्र सरकार जानती है कि किसानों की जायज मांगों को स्वीकार कर विरोध का समाधान किया जा सकता है लेकिन सैकड़ों किसानों के शहीद होने के बावजूद उसने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है.
आज सुप्रीम कोर्ट ने सड़क रोककर बैठे किसान आंदोलनकारियों को खरी-खरी सुनाई. सुप्रीम कोर्ट ने एक किसान संगठन के वकील से कहा, ‘हर नागरिक को सड़क पर आने-जाने का अधिकार है. आप जहां बैठें हैं, क्या उस इलाके के लोगों से पूछा कि वह खुश हैं या नहीं? आपने शहर का गला घोंट रखा है और अब शहर के भीतर प्रदर्शन की अनुमति मांग रहे हैं? शांतिपूर्ण विरोध हर नागरिक का अधिकार है. लेकिन इस आंदोलन में पहले सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाई गई. सुरक्षाकर्मियों पर हमले हुए. रोड और रेल रोक कर व्यापार का नुकसान किया गया. यहां तक कि सेना को भी आवागमन नहीं करने दिया गया. क्या आप जहां बैठे हैं, वहां के स्थानीय निवासियों की तकलीफ समझी?’
वहीं हाल ही में किसान आंदोलन के चलते बाधित दिल्ली की सड़कों को खोलने में असफलता पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की भी खिंचाई की. कोर्ट ने कहा कि किसी हाईवे को इस तरह स्थायी रूप से बंद नहीं किया जा सकता. इस तरह के मामलों के लिए पहले ही स्पष्ट आदेश दिया जा चुका है. सरकार उसे लागू नहीं करवा पा रही है. कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह आंदोलनकारी नेताओं को मामले में पक्ष बनाने के लिए आवेदन दें ताकि आदेश देने पर विचार किया जा सके.
दिल्ली में आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त:कोर्ट ने किसानों से कहा- आपने पूरे शहर का दम घोंट दिया, आम लोगों को भी आवाजाही का हक है
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने की इजाजत मांग रहे किसान संगठनों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फटकार लगाई है। सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि आपने पूरे दिल्ली शहर का दम घोंट दिया है। हाईवे जाम कर दिया है।
संगठन ने कहा था कि जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण और अहिंसक विरोध प्रदर्शन करने के लिए 200 किसानों को एकजुट होने की अनुमति दी जाए। इसके जवाब में बाद कोर्ट ने कहा कि पूरे शहर का दम घोंटने के बाद आप शहर के अंदर आना चाहते हैं। यहां रहने वाले नागरिक क्या इस प्रदर्शन से खुश हैं? ये गतिविधियां रुकनीं चाहिए।
कोर्ट की शरण में आने के बाद उस पर विश्वास करना चाहिए
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी कानून को अदालतों में चुनौती देने के बाद कोर्ट पर विश्वास करना चाहिए। आपको विरोध-प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन नेशनल हाईवे ब्लॉक होने के चलते लोगों को परेशानी में नहीं डाला जा सकता है।
कोर्ट ने पूछा था- हाईवे कैसे ब्लॉक कर सकते हैं?
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भी कहा था कि प्रदर्शनकारी हर रोज हाईवे को कैसे ब्लॉक कर सकते हैं? अधिकारियों की ड्यूटी है कि वे कोर्ट द्वारा तय की गई व्यवस्था को लागू कराएं। केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस बात की इजाजत दे दी है कि वह किसान संगठनों को इस मामले में पक्षकार बनाए।
कोर्ट ने कहा कि जो भी समस्या है, उसका समाधान जूडिशियल फोरम या संसदीय चर्चा से निकाला जा सकता है। बता दें नोएडा की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि दिल्ली बॉर्डर ब्लॉक किए जाने से नोएडा से दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लगते हैं और यह एक बुरे सपने की तरह है।
अगस्त में कोर्ट ने कहा था- सरकार समाधान निकाले
सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में सरकार से समाधान तलाशने को कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त को भी कहा था कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन सड़कें अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं कर सकते। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से इस समस्या का हल खोजने के लिए भी कहा था। कोर्ट ने सरकारों से कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का जो प्रदर्शन हो रहा है उससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोगों को आवाजाही में हो रही परेशानी का समाधान करें।