किसानों से बातचीत अब बंद मुहाने पर,दिये गये विकल्पों पर फैसला देने को कहा
12वें दौर के बाद बातचीत नहीं:सरकार ने किसानों से कहा- हमारे प्रस्तावों पर अपना फैसला बताइए, अब बातचीत का सिलसिला बंद कर रहे
नई दिल्ली 22 जनवरी। कृषि कानूनों पर किसानों और सरकार के बीच बातचीत का सिलसिला थम गया लगता है। आज 12वें दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद अगली मीटिंग के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई। वैसे तो बैठक पांच घंटे तक चली पर मंत्रियों और किसानों में आमने-सामने बात 30 मिनट भी नहीं हो पाई। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार ने हमें अपने प्रस्तावों पर विचार करने के लिए कहा है। वह अब बातचीत का सिलसिला बंद कर रही है। यही बात कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने भी कही।
आंदोलन के 58वें दिन हुई मीटिंग में सरकार और किसानों के बीच तल्खी का अंदाजा मजदूर संघर्ष कमेटी के एसएस पंढेर के बयान से लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘कृषि मंत्री ने हमें साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया। यह हमारा अपमान है। इसके बाद जब वे आए तो बोले कि सरकार की बात मान लीजिए। अब हम मीटिंग करना बंद कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जारी रखेंगे।’
तोमर के बयान से लगा, आगे बातचीत के आसार नहीं
मीटिंग के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले, ‘हमने 12 राउंड की बैठकें कीं। जब यूनियन कानून वापसी पर अड़ी रही तो हमने उन्हें कई विकल्प दिए। आज भी हमने उन्हें कहा है कि सभी विकल्पों पर चर्चा करके आप अपना फैसला हमें कल बताइए।’
तोमर ने कहा, ‘इतने दौर की बातचीत के बाद भी नतीजा नहीं निकला, इसका हमें खेद है। फैसला न होने का मतलब है कि कोई न कोई ताकत है, जो इस आंदोलन को बनाए रखना चाहती है और अपने हित के लिए किसानों का इस्तेमाल करना चाहती है। ऐसे में किसानों की मांगों पर फैसला नहीं हो पाएगा।’
किसान नेता बोले- सरकार की स्ट्रैटजी हमें फंसाने की थी
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता एसएस पंढेर ने मीटिंग से पहले कहा, ‘सरकार की स्ट्रैटजी हमें फंसाने की थी, यह मिठाई में जहर छिपाने जैसा था। सरकार चाहती है कि किसी भी तरह आंदोलन खत्म हो जाए। हमने सरकार का प्रपोजल नामंजूर कर दिया।’
पिछली मीटिंग में कानूनों को होल्ड करने पर बात हुई
इससे पहले बुधवार को हुई पिछली बातचीत में सरकार ने प्रपोजल दिया था कि कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक होल्ड कर सकते हैं। इसके बाद उम्मीद जगी कि अब शायद किसान मान जाएं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। किसान नेताओं ने गुरुवार को दिन भर बैठकें करने के बाद देर रात कहा था कि सरकार का प्रपोजल मंजूर नहीं। उन्होंने कहा कि कानून रद्द होने चाहिए, और MSP की गारंटी मिलनी चाहिए।
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ट्रैक्टर रैली पर भी किसानों ने पुलिस का प्रस्ताव ठुकराया
किसान नेताओं के साथ दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिस की मीटिंग में भी कोई नतीजा नहीं निकला है। गुरुवार को किसानों ने कहा कि वे दिल्ली में आउटर रिंग रोड पर ही ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। पुलिस ने इसकी मंजूरी देने से मना कर दिया। पुलिस ने कुंडली-मानेसर-पलवल (KMP) एक्सप्रेस-वे पर परेड निकालने की अपील की, लेकिन किसान नहीं माने। किसान आंदोलन से जुड़े नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि परेड में 1 लाख से ज्यादा ट्रैक्टर तिरंगे के साथ शामिल होंगे।
CWC में भी उठा किसान आंदोलन का मुद्दा
सोनिया बोलीं- सरकार का गुरूर चौंकाने वाला
सोनिया गांधी बोलीं, ‘किसानों के मुद्दे पर सरकार ने जो अमानवीयता और गुरूर दिखाया, वह चौंकाता है। उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को जल्दबाजी में पास किया। संसद में इन्हें ठीक से समझने का मौका नहीं दिया गया।’
अमरिंदर बोले- आंदोलन में गलत लोग घुस सकते हैं
किसान आंदोलन लंबा खिंचने पर पंजाब के CM कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि इस मुद्दे का जल्द समाधान जरूरी है। अगर यह लंबा खिंचा, तो इसमें गलत और खतरनाक लोग घुसपैठ कर सकते हैं। पंजाब सीमावर्ती राज्य है। केंद्र सरकार गंभीरता को समझे, क्योंकि पंजाब के करीब 80 हजार किसान 57 दिन से दिल्ली बार्डर पर डटे हैं।
दिग्विजय सिंह ने कमेटी बनाने की राय दी
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से किसान आंदोलन को लेकर समन्वय बनाने के लिए भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और कैप्टन अमरिंदर सिंह की दो सदस्यीय कमेटी बनाने का सुझाव दिया।