पांच गलतियां जो ले डूबी अतीक का आपराधिक साम्राज्य
Prayagraj Atiq Ahmed Terror Chapter Closes Forever 5 Big Mistakes That Finished Him
अतीक के आतंक का हमेशा के लिए ऐसे हुआ चैप्टर क्लोज, वो 5 बड़ी गलतियां जो उसे ले डूबीं
अतीक अहमद
अतीक अहमद के आतंक का चैप्टर क्लोज हो गया है। रविवार को माफिया और उसके भाई को प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में दफन कर दिया गया। इसने उसके 40 साल से ज्यादा के माफियाराज का भी अंत कर दिया। जिस अतीक से लोग कभी आंख मिलाते डरते थे। मरते हुए उसकी हालत भीगी बिल्ली जैसी बन गई थी।
हाइलाइट्स
अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ हुए दफन
40 साल के माफियाराज का भी हुआ चैप्टर क्लोज
अतीक अहमद की कई गलतियां उस पर पड़ी भारी
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नई दिल्ली 16 अप्रैल: प्रयागराज के कसारी-मसारी कब्रिस्तान में अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ दफन हो गए। इसके साथ ही उसका 40 साल का माफियाराज भी दफन हो गया। उमेश पाल हत्याकांड सहित अतीक अहमद के खिलाफ चार दशकों में 100 से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे। प्रयागराज और उसके आसपास के जिलों में वह दहशत का दूसरा नाम था। अतीक के खिलाफ हत्या के 14, गैंगस्टर के 12, गुंडा ऐक्ट के चार, आर्म्स ऐक्ट के आठ मामले थे। 17 साल की उम्र से उसने अपराध की दुनिया में कदम रख दिए थे। राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण वह कई मामलों में छूटता भी गया। अपनी दहशत के बूते अतीक ने 1989, 1991 और 1993 में निर्दलीय चुनाव जीत लिया। फिर 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फूलपुर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचा। गुनाह के कारोबार में उसका परिवार भी उसके साथ शामिल रहा। अतीक के भाई अशरफ पर भी 53 केस थे। 2005 में वह इलाहाबाद पश्चिमी सीट पर हुए उपचुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचा था। लेकिन, दो महीनों में पूरी पिक्चर बदल गई। उमेश पाल हत्याकांड में शनिवार को पुलिस हिरासत में माफिया-राजनेता अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस तरह न केवल अतीक का चैप्टर क्लोज हो गया, बल्कि एक-एक कर उसके गुनाह का साम्राज्य भी मिट्टी में मिल गया। अतीक को ले डूबने में उसकी ये 5 बड़ी गलतियां सबसे बड़ी वजह बनीं।
गलती नंबर 1: उमेश पाल की दिनहदाड़े हत्या
इस साल 24 फरवरी को विधायक राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के बाद पुलिस ने धूमनगंज थाने में अतीक के परिजनों और अन्य समेत कुल 13 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके जरिये अतीक अपनी दहशत को फिर कायम करना चाहता था। लेकिन, इस बार उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। वारदात के बाद अतीक ने अपने एक बेहद करीबी से संपर्क साधा था। अतीक ने कहा था कि बड़ी गलती हो गई है। विधानमंडल सत्र चल रहा था। इस दौरान यह घटना नहीं होनी चाहिए थी। उमेश पाल न सिर्फ मुख्य गवाह था। बल्कि राजू पाल की हत्या के मुकदमे में अतीक गिरोह के खिलाफ खड़ा सबसे अहम पैरोकार भी था
गलती नंबर 2: परिवार के सदस्यों को माफियागिरी में झोंकना
दहशत कायम करने के लिए इसमें परिवार के सदस्यों को झोंकना अतीक की दूसरी सबसे बड़ी गलती साबित हुई। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद अतीक अहमद के परिवार के चार सदस्यों में खुद अतीक, उसके बेटे असद और भाई अशरफ समेत तीन की मौत हो चुकी है। अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन फरार है। अहमद ने हाल ही में कहा था कि वह पूरी तरह से मिट्टी में मिल गया है। इसलिए अब उसके परिवार की महिलाओं और बच्चों को परेशान न किया जाए। सीसीटीवी वीडियो में नजर आए उमेश पाल हत्याकांड में सात लोगों को नामजद किया गया था। इनमें से चार अभियुक्त मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। इनमें हत्यारों को लाने वाली कार का चालक अरबाज 27 फरवरी को एनकाउंटर में मारा गया था। शूटर विजय चौधरी उर्फ उस्मान छह मार्च को प्रयागराज में और असद अहमद और गुलाम झांसी में 13 अप्रैल को मुठभेड़ में मारे गए थे। बाकी तीन शूटर गुड्डू मुस्लिम, साबिर और अरमान फरार हैं।
गलती नंबर 3: आईएसआई और लश्कर से ताल्लुक बना लेना
प्रयागराज के शाहगंज थाने में दर्ज कराई गई एफआईआर में पुलिस ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद का बयान लिया गया। इसमें अतीक ने खुद स्वीकार किया कि उसका संबंध पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (ISI) और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से है। अतीक अहमद के हवाले से दर्ज बयान में कहा गया है कि ‘पाकिस्तान की आईएसआई की ओर से ड्रोन के माध्यम से पंजाब प्रांत में हथियार गिराए जाते हैं। पंजाब में आईएसआई से जुड़ा व्यक्ति उन हथियारों को जुटाकर कुछ लश्कर-ए-तैयबा को भेजता है। कुछ हथियार खालिस्तानी अलगाववादी संगठनों को देता है। उन्हीं में से कुछ हथियार जैसे प्वाइंट 45 बोर की पिस्तौल, एके 47 राइफल, स्टेनगन और आरडीएक्स उसे भी उपलब्ध कराता है। इसका वह भुगतान भी करता है।
गलती नंबर 4: पुलिस वालों को निशाना बनाना
अतीक मरने से पहले पुलिस वालों को निशाना बनाने की बात स्वीकार कर चुका था। पांच बार विधायक रहे अतीक ने माना था कि लश्कर और आईएसआई से लिए गए हथियार उमेश पाल और उसकी सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों की हत्या में इस्तेमाल हुए थे।
गलती नंबर 5: अपने खिलाफ दुश्मनों की फौज खड़ी कर लेना
राजू पाल की मौत जनवरी 2005 में हुई थी। वह बसपा नेता था। 2002 में अतीक अहमद से राजू पाल चुनाव हार गया था। वह भी बाहुबली था। 2004 में अहमद ने लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था। राजू पाल ने अतीक के छोटे भाई मोहम्मद अशरफ को हराकर नवंबर 2004 में उपचुनाव जीता था। पूरी ताकत झोंकने के बावजूद अशरफ अपने भाई को नहीं जिता सका था। उसे यह बात सालती रही थी। जनवरी 2005 में गणतंत्र दिवस के मौके पर अपने गांव जाते समय राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद अशरफ ने पाल की पत्नी पूजा पाल को हराकर सीट जीत ली थी। अशरफ हत्याकांड का मुख्य आरोपी था। अतीक पर भी हत्या में मिलीभगत का आरोप लगा था। जबकि अतीक जेल में था। उसके खिलाफ 21 आपराधिक मामले लंबित थे। वह जेल से भी गुनाह के हर काम करता रहा। इस क्रम में वह दुश्मनों की फौज खड़ी करता चला गया।