नये सुर, दारूल इफ्ता ने लालच व जबरन धर्म परिवर्तन बताया हराम
जबरन धर्म-परिवर्तन के खिलाफ योगी सरकार के कानून बनाते ही बदले मौलानाओं के सुर, जारी किया फतवा
योगी सरकार के कानून के बाद बरेली के आला हजरत दरगाह का फतवा
लखनऊ 05 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून क्या बना, मौलानाओं के भी सुर बदल गए हैं। उत्तर प्रदेश में नया कानून बनने के बाद दरगाह-ए-आला हजरत परिसर स्थित रजवी दारुल इफ्ता द्वारा योगी आदित्यनाथ की सरकार के रुख के पक्ष में फतवा जारी करने को लेकर लोग हैरत में हैं। दरअसल, मौलानाओं ने कहा है कि लालच देकर या फिर जोर-जबरदस्ती से धर्म-परिवर्तन कराना नाजायज है, ये ठीक नहीं है।
ये फतवा मंगलवार (दिसंबर 1, 2020) को ही जारी कर दिया गया था, लेकिन कुछ दिनों बाद जब ये सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब लोगों को इसके बारे में पता चला। दरअसल, सुन्नी उलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी ने दारुल इफ्ता में सवाल दाखिल किया था। इस पर फतवा जारी किया जाना था। इस सवाल में पूछा गया था कि ‘लव जिहाद (ग्रूमिंग जिहाद)’ की शरीयत में क्या हैसियत है?
दारुल इफ्ता के अध्यक्ष मुफ्ती मुतीउर्रहमान रिज़वी ने इस सवाल का जवाब दिया और जबरन धर्म-परिवर्तन कराने को नाजायज ठहराया। उन्होंने यहाँ तक कहा कि शादी-विवाह के लिए भी धर्म परिवर्तन कराना जायज नहीं माना जाता है। ‘अमर उजाला’ की खबर के अनुसार, मुफ्ती के इस जवाब की तस्दीक दारुल इफ्ता के प्रमुख मौलाना अरसलान रजा खाँ ने की है। इसे सोशल मीडिया पर भी वायरल किया गया।
इस फतवे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक जिले में दलित परिवार द्वारा अपनी मर्जी से इस्लाम स्वीकार करने का उदाहरण दिया गया। साथ ही दावा किया गया कि अपनी इच्छा से धर्म-परिवर्तन करने को लेकर कोई दिक्कत नहीं है। ‘लव जिहाद’ की शब्दावली का जिक्र करते हुए बताया गया कि ‘लव’ एक अंग्रेजी शब्द है और ‘जिहाद’ अरबी। साथ ही कहा कि इन्हें जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि शरीयत में इसकी कोई हैसियत नहीं।
उधर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार उस 44 वर्ष पुराने कानून को ख़त्म करने पर विचार कर रही है, जिसके तहत अलग-अलग धर्म से आने वाली वैवाहिक जोड़ों को प्रोत्साहित किया जाता है। अंतरधार्मिक शादी को बढ़ावा देने वाली इस योजना को अब ख़त्म किया जा सकता है। जबरन धर्मांतरण को लेकर योगी सरकार पहले ही अध्यादेश ला चुकी है, अब अंतरधार्मिक विवाह को बढ़ावा देने वाली योजना भी बंद हो सकती है।