धर्मांतरण बाद पत्नी-बच्चे से जोर-जबरदस्ती, गिरफ्तार
पिछले दिनों धर्मेंद्र श्रीवास्तव के क्रियाकलाप व रहन-सहन में अचानक बदलाव आ गया. एक दिन वह घर में ही हरे कपड़े में लिपटी हुई किताब लेकर आया और अलमारी में रखते हुए पत्नी से बोला इसे छूना नहीं मैं मुस्लिम धर्म ग्रहण करना चाहता हूं.
हरे कपड़े में लिपटी किताब अलमारी में रखते हुए पत्नी से बोला- छूना नहीं-मैं मुस्लिम धर्म ग्रहण करना चाहता हूं फिर….
श्याम तिवारी/कानपुर20 जनवरी: उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में जबरन धर्मांतरण कराने के प्रयास का एक मामला सामने आया है. धर्मांतरण कराने के दबाव डालने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि महिला का पति है जो अपनी पत्नी और बेटे पर जबरन धर्मांतरण करने का दबाव डाल रहा है. धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने पर एफआईआर दर्ज की गई है. पत्नी और बच्चे पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने वाले आरोपित पति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि कल्याणपुर थाना क्षेत्र के आवास विकास में रहने वाले धर्मेंद्र श्रीवास्तव ने अपनी बेटी स्मिता की शादी क्षेत्र के केशव पुरम में रहने वाले धर्मेंद्र श्रीवास्तव से साल 2015 में की थी. दोनों का जीवन सुखमय चल रहा था और दोनों के 5 साल का एक बेटा अक्षत श्रीवास्तव है. पिछले दिनों धर्मेंद्र श्रीवास्तव के क्रियाकलाप व रहन-सहन में अचानक बदलाव आ गया. एक दिन वह घर में ही हरे कपड़े में लिपटी हुई किताब लेकर आया और अलमारी में रखते हुए पत्नी से बोला- इसे छूना नहीं मैं मुस्लिम धर्म ग्रहण करना चाहता हूं.
इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव
पत्नी के समझाने पर भी वह नहीं माना और उसने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया. जिसके बाद पत्नी स्मिता, नाबालिक बच्चे पर मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाने लगा. इनकार करने पर वह पत्नी और बेटे की बेरहमी से पिटाई करने लगा. पिछली 15 जनवरी को इस्लाम धर्म कुबूल करने से इनकार करने पर उसने पत्नी स्मिता की बेरहमी से पिटाई की और उसे जान से मारने की कोशिश की.
पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने किया गिरफ्तार
झगड़े की जानकारी मकान मालकिन ने मायके पक्ष को दी तो उन्होंने पुलिस से मामले की शिकायत की. सूचना पर मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों से धर्मेंद्र भिड़ गया और पुलिसकर्मियों से गाली गलौज करने लगा. जिस पर पुलिस कर्मियों ने पिटाई करने के बाद उसे हिरासत में ले लिया. पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने आरोपित धर्मेन्द्र के खिलाफ मारपीट और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 में मामला दर्ज कर लिया. पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर 151 में चालान कर दिया. पुलिस के अधिकारी मामले की जांच के बाद आगे कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं.
‘हम ब्राह्मण से मुसलमान हो गए लेकिन घर के आले में रामायण-कुरान साथ रखते हैं’
ब्राह्मण परिवार हुआ मुस्लिम
मेरे पति लगातार 27 महीनों तक मज़ार पर वक्त बिताते रहे. रोज़े पर रहे.वो मन से मुसलमान बन चुके थे.मेरा रोज उनसे झगड़ा होता.उन्हें नमाज़ अदा करते देखती तो संस्कारी ब्राह्मण मन भड़क उठता.2013 में मैंने और बच्चों ने भी इस्लाम कुबूल लिया.तब से आस-पड़ोस ने जीना मुहाल कर रखा है.
उत्तरप्रदेश के बांदा में एक ब्राह्मण परिवार ने इस्लाम कुबूल लिया. कभी तुलसीदल मुंह में लिए बगैर खाना नहीं खाते थे, अब पांच वक्त के नमाज़ी हो चुके इस परिवार ने लक्ष्मी-गणेश को घर निकाला नहीं दिया, बल्कि कुरान भी उसी आले में रखते हैं.
हालांकि नातेदार और पड़ोसियों के सवालों का तमंचा हर वक्त उन पर तना रहने लगा है.
2003 में शादी होकर ससुराल आई तो रोज कलह-क्लेश देखती.पति घनश्याम शुक्ला (मौहम्मद अकबर) की खास कमाई नहीं थी.बच्चे हुए, खर्च बढ़े और हमें घर से अलग कर दिया गया.हम गांव से बांदा आकर रहने लगे.किसी तरह बस गुजर-बसर होती.घर से अलगाव के कारण उनका मन खराब रहने लगा था.तकलीफ का मारा आदमी हर जगह जाता है.वो भी एक मज़ार पर जाने लगे.धीरे-धीरे उनका ज्यादातर वक्त वहीं बीतने लगा.मैं तीन बच्चों को लेकर परेशान रहती.उनका पेट भरना बड़ी मुश्किल थी.मायके-ससुराल,आस-पड़ोस कहीं से कोई मदद नहीं मिली.इसी दौरान पति मुसलमान बन गए.
वे घर लौटते,मैं झगड़ा करती.वे नमाज़ पढ़ते,मैं गुस्सा होती. डरती थी कि कहीं हमारे देवी-देवता हम पर नाराज न हो जाएं. तब मुश्किलें और बढ़ जातीं. बचपन से यही जानती थी कि भगवान खुश होते हैं या नाराज.
इस बीच सब हमसे नाता तोड़ चुके थे कि इसका पति मुसलमान हो गया है. जब कोई आसरा नहीं दिखा तो मैंने भी धर्म बदल लिया. दूसरी बिरादरी के लोगों से सहारा मिला. घर चलाने के लिए मुझे सिलाई सिखाई गई. सिलाई मशीन के लिए मदद मिली. थोड़े-बहुत ही सही, लेकिन अब घर पर पैसे आने लगे हैं. हालांकि मेरा अपना परिवार मुझे पूरी तरह से छोड़ चुका है. भाई ने कहा, अब हम तुम्हारे कोई नहीं लगते. मेरे बच्चे को परेशान किया. मैं इधर-उधर भागती फिरी. जिस धर्म में जन्म लिया, उस धर्म के लोगों ने मदद नहीं की.
हम नमाज़ी हो गए तो क्या हुआ, मैं राम-भजन थोड़े ही भूल जाऊंगी! मेरे घर के आले में पुराने भगवान और नए भगवान (कुरान) एक साथ रखे हुए हैं.
हमेशा से देखते आए हैं तो हमारी रसोई में गोश्त दूर, प्याज-लहसुन भी नहीं पकता. सरकारी राशन कार्ड और दूसरे कागजों में अब भी मैं कालिंद्री और वो घनश्याम हैं. नाम से क्या होता है, बात आस्था की है.
जिस धर्म में जो अच्छा लगा, उसे अपना लिया लेकिन पड़ोसी और परिवार इसपर वितंडा किए हुए हैं.
वे कहते हैं कि अब मेरे बच्चों की शादी कैसे होगी, कोई उन्हें नहीं अपनाएगा. वे हमें मोहल्ला छोड़ने के लिए धमकाते हैं. ऐसे लोगों से मैं कहती हूं कि जब ऊपरवाले ने जीवन दिया है तो आगे भी वही हमारा पतियारा (भरोसा) रखेंगे.
ये है पूरा मामला
उत्तरप्रदेश के बांदा में एक ब्राह्मण परिवार ने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म कुबूल लिया. तब से लगातार उन्हें घर छोड़ने, मोहल्ला छोड़ने जैसी धमकियां मिल रही हैं. इसपर कानूनी दखल भी हो चुका है ताकि शांति-व्यवस्था बहाल रहे.
(इनपुट: उमाशंकर मिश्रा)