सोम से आक्सीजन एक्सप्रैस, तीन लाख आइसोलेशन बैड को भी रेलवे तैयार
कोरोना संकट में ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाएगी रेलवे
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रेलवे ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों को ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस (OXYGEN Express) चलाने की योजना बनाई है। इन ट्रेनों को निर्बाध गति से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।
हाइलाइट्स:
कोरोना संकट के बीच रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाने की योजना
लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडरों को जाएगी यह ट्रेन
इन ट्रेनों को निर्बाध गति से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं
शकूरबस्ती स्टेशन पर 50 कोविड-19 आइसोलेशन कोच तैयार हैं
इन ट्रेनों को निर्बाध गति से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।
इन ट्रेनों को निर्बाध गति से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं।
नई दिल्ली 18 अप्रैल। देश में कोरोना के मामले रोज नया रेकॉर्ड बना रहे हैं और इसके साथ ही देश के कई राज्यों में ऑक्सीजन की कमी की भी खबरें आ रही है। रेलवे ने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (LMO) और ऑक्सीजन सिलेंडरों को ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस (OXYGEN Express) चलाने की योजना बनाई है। इन ट्रेनों को निर्बाध गति से चलाने के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। रेल मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी है। महाराष्ट्र से खाली टैंकर सोमवार को चलेंगे जो विशाखापत्तनम, जमशेदपुर, राउरकेला, बोकारो से ऑक्सीजन उठाएंगे ।
रेलवे ने बताया कि टेक्निकल ट्रायल्स के बाद खाली टैंकरों को कलमबोली/बोइसर से मुंबई भेजा जाएगा और फिर वहां से वाइजाग जमशेदपुर/राउरकेला/बोकारो भेजा जा रहा है। वहां इनमें लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन भरी जाएगी। कोविड संक्रमण के गंभीर मामलों के इलाज में ऑक्सीजन की अहम भूमिका है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सरकारों ने रेलवे से यह पता लगाने का अनुरोध किया था कि क्या रेलवे लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंकरों को ले जा सकती है।
कैसे हुआ ट्रायल
रेलवे ने तुरंत इस पर कार्रवाई की। लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन को रोल ऑन रोल ऑफ सर्विस के जरिए ले जाया जा सकता है। इसके लिए रोड टैंकर्स को फ्लैट वैगंस पर रखना होगा। रोड ओवरब्रिज और ओवरहेड इक्विपमेंट की वजह से कई स्थानों पर ऊंचाई कम है। यही कारण है कि 3320 मिमी ऊंचाई वाले रोड टैंकर मॉडल T 1618 को इस काम के लिए उपयुक्त माना गया। इसी आधार पर कई स्थानों पर ट्रायल किया गया। 15 अप्रैल को मुंबई के कलमबोली गुड्स शेड में डीबीकेएम वैगन को लाया गया और साथ ही लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन से भरा एक टी 1618 टैंकर भी यहां लाया गया। इंडस्ट्री और रेलवे के प्रतिनिधियों ने जॉइंट मेजरमेंट किया है।
कमर्शियल बुकिंग और फ्रेट पेमेंट के लिए रेल मंत्रालय ने 16 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया। 17 अप्रैल को इस बारे में रेलवे बोर्ड के अधिकारियों और स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नरों तथा इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई। इसमें फैसला हुआ कि टैंकर्स का इंतजाम महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर करेंगे। रविवार को पश्चिम रेलवे के बोइसर में इसका ट्रायल किया गया। एक फ्लैट डीबीकेएम पर लोडेडे टैंकर रखा गया और जरूरी माप लिया गया। रेलवे पहले ही कलमबोली और दूसरी लोकेशंस पर डीबीकेएम वैगंस रख चुकी है। सोमवार को 10 खाली टैंकर भेजने की योजना बनाई गई है। महाराष्ट्र के ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी ने 19 अप्रैल तक इन टैंकरों को मुहैया कराने का वादा किया है।
कोविड मरीजों के लिए 3 लाख आइसोलेशन बेड
इस बीच रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि दिल्ली के शकूरबस्ती स्टेशन पर 50 कोविड-19 आइसोलेशन कोच तैयार हैं जिनमें 800 बिस्तरों की सुविधा है। इसी तरह आनंद विहार स्टेशन पर 25 कोच कोरोना मरीजों के लिए उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि राज्यों की मांग पर रेलवे देशभर में 3 लाख से अधिक आइसोलेशन बेड्स का इंतजाम कर सकती है।
उत्तर रेलवे के जीएम ने एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि हर आइसोलेशन कोच में दो ऑक्सीजन सिलिंडर रखे गए हैं। अगर ज्यादा की जरूरत पड़ी तो राज्य सरकार को इसका इंतजाम करना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर रेलवे के नेटवर्क में 463 कोविड आइसोलेशन कोच हैं। ये राज्यों की मांग पर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि कोविड आइसोलेशन कोचेज के लिए राज्यों से कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन में फीस लेने का कोई प्रावधान नहीं है।