हामिद और जफरुल के बुलावे पर पाक पत्रकार नुसरत जासूसी को घूमा 15 राज्य
‘हामिद अंसारी ने बुलाया, भारत के 15 राज्यों में घूम कर ISI के लिए जुटाई सूचनाएँ’: Pak लेखक का खुलासा – भारत के 56 मुस्लिम सांसद थे मददगार
नुसरत मिर्जा ने जफरुल इस्लाम को लेकर भी किए खुलासे
पाकिस्तान के मशहूर स्तंभकार नुसरत मिर्जा (Nusrat Mirza) ने एक इंटरव्यू में कई आश्चर्यजनक खुलासे किए हैं। पाकिस्तानी पत्रकार और YouTuber शकील चौधरी (Shakil Chaudhary) को रविवार 10 जुलाई, 2022 को दिए इंटरव्यू में नुरसत मिर्जा ने दावा किया है कि उन्होंने 2005 से 2011 के बीच भारत दौरे में पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए जानकारियाँ एकत्र की थीं। उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और ‘मिल्ली गैजेट’ अखबार मालिक जफरुल इस्लाम खान ने भारत बुलाया था। सोशल मीडिया में ये इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा है।
इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “मैंने पाँच बार भारत यात्रा की। 2005 में चंडीगढ़ और 2006 में हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई गया। इसके बाद मैं कोलकाता, पटना और अन्य जगहों पर गया।”
‘मुझे हामिद अंसारी ने बुलाया था’
मिर्जा ने बताया कि भारत में कॉन्ग्रेस शासन में व आतंकवाद पर सेमिनार में शामिल होने भारत गए थे। उनके शब्दों में, “2010 में मुझे पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आतंकवाद पर सेमिनार में बुलाया था। मैं मानता हूँ कि हम भी बहुत बड़े एक्सपर्ट नहीं, लेकिन हम मुगल हैं। हमने सदियों भारत पर राज किया है। मैं उनकी संस्कृति समझता हूँ। वहाँ के हालात अच्छी तरह जानता हूं। हम उनकी कमजोरियां भी जानते हैं,लेकिन मसला ये है कि मेरी भारत से इकट्ठा जानकारियों का इस्तेमाल पाकिस्तान में अच्छे नेतृत्व की कमी से नहीं हो रहा। पाकिस्तान में ऐसा कोई नहीं, जो मेरे तर्जुबे से इत्तेफाक रखे।”
2011 में जफरुल इस्लाम खान से मिले
उन्होंने भारत की यात्राओं से एकत्र जानकारी का ठीक ढंग से उपयोग नहीं होने में पाकिस्तान की राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। “क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में क्या समस्या है? हर नया चीफ पिछले चीफ के सभी कार्य दरकिनार कर नए सिरे से कार्य शुरू करता है।” मिर्जा ने बताया कि साल 2011 में वह ‘मिली गैजे’ट के जफरूल इस्लाम खान (कांग्रेस ने इसे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष भी बनाया था)के बुलावे पर भारत पहुँचे थे। भारत से वापस पाकिस्तान आए तब उन्हें उस समय आईएसआई के रिटायर हो रहे डीजीएसआई ने कहा था कि अपनी इकट्ठा की जानकारी आईएसआई के नए चीफ जनरल कियानी को दें। मिर्जा ने बताया, “ मैंने कहा कि मैं उन्हें जानकारी नहीं दूँगा, आप खुद कियानी को ये जानकारी दे दें।” साल 2011 में केंद्र में कॉन्ग्रेस की सरकार थी।
एफएटीएफ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी जानकारी मिलने पर पाक आर्मी के ब्रिगेडियर का मुझे फोन आया। इस फोन कॉल में कहा गया कि ऐसी ही जानकारी अगर और मिल जाए तो बेहतर रहेगा। एफएटीएफ आने के बाद से पाकिस्तान ने भारत में कोई एक्टिविटी नहीं की है, उसके हाथ पैर बंधे हैं।”
जब चौधरी ने कहा कि वह एकेडमिक एक्सपर्ट के बारे में बात कर रहे हैं, तो मिर्जा ने कहा, “देखिए, उनके पास 29 राज्य हैं। मैंने उनमें से 15 का दौरा किया । तब लोकसभा और राज्यसभा के 56 मुस्लिम सदस्य थे। मेरी सभी से अच्छी दोस्ती थी। वे बहुत मददगार थे। ऐसा नहीं है कि भारत पर कोई शोध या लेखन नही हुआ। हमारे पास 60 के दशक की किताबें मौजूद हैं।”
बातचीत में चौधरी ने कहा कि पाकिस्तानी पत्रकारों को भारत की बुनियादी जानकारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बार एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि भारत के 40 राज्यों में अलगाववादी आंदोलन चल रहे हैं। जब उन्हें सही करने की कोशिश की कि भारत में केवल 29 राज्य हैं, तो वे इस पर नाराज हो गए और कहा कि हमें इसकी बखूबी जानकारी है। मिर्जा ने इसका जवाब दिया, “मुझे पता है कि अलगाववादी आंदोलन कहाँ हो रहे हैं, लेकिन कोई भी इस जानकारी का फायदा नहीं उठाना चाहता है। अलगाववादी आंदोलन भारत के सभी क्षेत्रों में हो रहे हैं। इस बारे में कोई संदेह नहीं है। मैंने कहा था कि भारत में 26 आंदोलन चल रहे थे, लेकिन किसी ने कहा कि अब 67 ऐसे आंदोलन हैं। मुख्य आंदोलन कश्मीर और बंगाल में हैं, लेकिन ये भी बहुत प्रभावी नहीं हैं क्योंकि कोई उनकी मदद नहीं कर रहा है।”
‘भारत शांति के खिलाफ है’
‘क्या भारत और पाकिस्तान आपस में शांति से रह सकते हैं’ सवाल पर मिर्जा ने भारत को शांति विरोधी और प्रतिशोधी बताते हुए कहा कि मुगलों ने भारत पर वर्षों राज किया है। भारत इसके बदले में पाकिस्तान खत्म करना चाहता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के एक नेता से मुलाकात की बात बताते हुए कहा, “ मैं यूपी गया तो पार्टी के एक नेता से मिला। उन्होंने मुझे बताया कि कैसे उनकी सरकार ने मुस्लिमों का समर्थन किया और उन्हें नौकरी दी। वह सही था। वे ऐसे जीना चाहते हैं तो ठीक है, लेकिन मुस्लिमों को गुलाम बनाना चाहते हैं, तो मंजूर नहीं।”
‘कश्मीर पर पाकिस्तान का अधिकार’
पाकिस्तान पर लगे आरोपों पर पूछा गया कि क्या 1947 से भारत के लिए कई समस्याएँ पैदा की हैं। इस पर मिर्जा कहते हैं, “भारत जबरदस्ती जूनागढ़ और हैदराबाद ले गया जहाँ के राजा मुस्लिम थे, लेकिन जनता हिंदू थी। अगर कश्मीर पर भी यही बात लागू हो, तो पाकिस्तान का कश्मीर पर अधिकार है।” वह इससे सहमत दिखे कि पाकिस्तानी नेताओं ने अतीत में कई गलतियाँ की हैं, लेकिन इस तर्क का समर्थन नहीं किया कि पाकिस्तान को केवल कश्मीर पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
‘मुस्लिमों का नरसंहार करना चाहता है भारत’
मिर्जा ने दावा किया कि भारत में मुस्लिम नरसंहार की योजना थी। यह उनके शब्द नहीं, बल्कि अमेरिका और अन्य देशों के बुद्धिजीवी और विशेषज्ञ ऐसा कह रहे थे। इस पर चौधरी ने मिर्जा से सवाल किया कि जुल्फिकार भुट्टो ने भी भारत के खिलाफ ऐसे ही आरोप लगाए थे, लेकिन तब से मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है। इस सवाल पर नाराज मिर्जा ने कहा, “मैं 15 राज्यों के हर हिस्से में गया हूँ। मुझे पता है कि वहाँ क्या हो रहा है।”
‘मुंबई हमले को भारत जिम्मेदार’
मिर्जा ने इंटरव्यू में दावा किया कि 2008 के मुंबई हमले में पाकिस्तान का हाथ नहीं था। “पाकिस्तान ने 26/11 में कोई भूमिका नहीं निभाई। यहाँ तक कि भारत के विशेषज्ञ भी कहते हैं कि यह अंदर का काम था।” उन्होंने पत्रकार अमरेश मिश्रा के लिखे लेखों का उल्लेख किया जो 26/11 हमले में पाकिस्तान को क्लीन चिट और उसके अपराध पर पर्दा डालने को जाने जाते हैं। उसकी रिपोर्ट मिर्जा के मीडिया हाउस ने दोबारा प्रकाशित की थी। मिर्जा ने दावा किया कि पाकिस्तान को दोष दे उसकी छवि खराब करना भारत की रणनीति का हिस्सा है।
पाकिस्तानी पत्रकार और यूट्यूबर शाहिद चौधरी का नुसरत मिर्जा से चर्चित इंटरव्यू। इसके बाद के सारे इंटरव्यू इसी की सफाई के हैं जिसमें और नेता भी फंस रहे हैं।
नुसरत मिर्जा को नहीं बुलाने पर भड़क गए थे हामिद अंसारी:आयोजक का दावा, कहा- झूठे हैं पूर्व उपराष्ट्रपति, सरकार करे जाँच
हामिद अंसारी और नुसरत मिर्जा (लाल घेरे में) (फोटो साभार: @adishcaggarwala)
पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा (Nusrat Mirza) द्वारा भारत आकर जासूसी करने में नया खुलासा हुआ है। ऑल इंडिया बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर आदिश अग्रवाल ने एक विस्तृत बयान जारी कर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर जानकारी छिपाने और झूठ बोलने का आरोप लगाया है। सरकार से इसकी जाँच की माँग की है। डॉक्टर अग्रवाल इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट्स के अध्यक्ष भी हैं।
बयान में बताया गया है कि अंसारी का कार्यालय चाहता था कि मिर्जा को सम्मेलन में बुलाया जाए। इसे स्वीकार नहीं किए जाने पर वे नाराज भी हो गए थे। डॉक्टर अग्रवाल ने जिस सम्मेलन को लेकर यह दावा किया है वह दिल्ली के विज्ञान भवन में 11 और 12 दिसंबर 2010 को आयोजित हुआ था।
#BREAKING: Fresh twist in #HamidAnsari controversy relating to Pakistani spy journalist. One Event organiser Dr. Adish Aggarwala issues detailed statement from London. Says, Vice President Ansari’s secretariat wanted Spy Nusrat Mirza to attend conference. Demands inquiry by Govt. pic.twitter.com/lGtVvklQXr
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 14, 2022
उन्होंने आतंकवाद पर जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम केे 27 अक्टूबर 2009 को दिल्ली के ओबेरॉय होटल में आयोजित सम्मेलन की तस्वीर भी शेयर की है। इसमें अंसारी और मिर्जा एक साथ मंच पर हैं। सम्मेलन में हामिद अंसारी, दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला और अन्य मुस्लिम नेताओं ने भाग लिया था। डॉक्टर अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि हामिद अंसारी और उनके दोस्त जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन में पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा से दोस्ती गांठ रहे थे।
Image issued by Dr. Adish C. Aggarwala, President, International Council of Jurists Mr. Hamid Ansari & Mr. Nusrat Mirza (marked in red circles) sharing dais #HamidAnsari #NusratMirza #PressRelease pic.twitter.com/tE1XKQmiZY
— Dr. Adish C Aggarwala (@adishcaggarwala) July 14, 2022
बयान के अनुसार ऐसा लगता है कि हामिद अंसारी और कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकारी एजेंसियों और जनता को गुमराह करने को जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के सम्मेलन के बारे में खुलासा नहीं किया है। ऐसे में सरकार से अनुरोध है कि वह इस मामले की जाँच करे, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा और जासूसी से संबंधित है।
बयान के अनुसार अंसारी और रमेश ने केवल 11 और 12 दिसंबर 2010 को विज्ञान भवन में आयोजित न्यायविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का ही उल्लेख किया है। इस सम्मेलन में अंसारी ने हिस्सा लिया था। लेकिन नुसरत मिर्जा इसमें नहीं थे। यहाँ तक कि नुसरत मिर्जा ने भी अपने साक्षात्कार में इस सम्मेलन का उल्लेख नहीं किया ।
डॉक्टर अग्रवाल का दावा है कि इस सम्मेलन का आयोजन हो रहा था तो तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को इसमें शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। अशोक दीवान उस समय उपराष्ट्रपति सचिवालय के निदेशक थे। बयान के अनुसार, “दीवान ने मुझे बताया था कि उप राष्ट्रपति (हामिद अंसारी) चाहते हैं कि पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा सम्मेलन में बुलाया जाए। लेकिन हम यह अनुरोध स्वीकार नहीं कर सके क्योंकि मिर्जा पाकिस्तानी पत्रकार थे और हमने पाकिस्तान से जज या वकील आमंत्रित नहीं किये थे।”
डॉक्टर अग्रवाल के अनुसार जब दीवान को यह पता चला कि हमने मिर्जा को आमंत्रित नहीं किया है, तो उन्होंने सम्मेलन से एक दिन पहले मुझे फोन कर नाराजगी जताते हुए बताया कि हामिद अंसारी को यह बुरा लगा है और अब वे केवल 20 मिनट को समारोह में शामिल होंगे। अग्रवाल के अनुसार शुरुआत में अंसारी ने एक घंटा कार्यक्रम में भाग लेने की सहमति दी थी।
गौरतलब है नुसरत मिर्जा (Nusrat Mirza) ने 10 जुलाई, 2022 को एक इंटरव्यू में कई हैरान करने वाले खुलासे किए थे। पाकिस्तानी पत्रकार और YouTuber शकील चौधरी (Shakil Chaudhary) को दिए इंटरव्यू में नुरसत मिर्जा ने दावा किया था कि उन्होंने 2005 से 2011 के बीच भारत दौरे के दौरान पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के लिए कई जानकारियाँ एकत्र की थीं। उन्हें पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और ‘मिल्ली गैजेट’ अखबार के मालिक जफरुल इस्लाम ने बुलाया था।
‘तब के विदेशी मंत्री सलमान खुर्शीद ने दिलवाया था वीजा’: जामा मस्जिद इमाम से भी मिला था हामिद अंसारी का ‘ISI वाला मेहमान’, भारत में ‘जासूसी
पाकिस्तान के कॉलमनिस्ट नुसरत मिर्जा ने हाल ही में खुलासा किया कि कैसे वो उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी का मेहमान बन कर भारत आया था और उसने यहाँ पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के लिए सूचनाएँ इकट्ठी की। अब वो तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें वो कई कार्यक्रमों में भाग लेते हुए दिखाई दे रहा है। उसने ये भी खुलासा किया कि तत्कालीन केंद्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने उसे वीजा दिलवाया था। उस समय केंद्र में यूपीए सरकार थी और कॉन्ग्रेस नेता मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री हुआ करते थे।
2007 और 2010 के बीच उसने अलीगढ़ और दिल्ली में आयोजित कार्यक्रमों में भाग लिया था। दिल्ली के ओबेरॉय इंटरनेशनल होटल में उसने आतंकवाद के खिलाफ आयोजित एक सम्मेलन में भाषण भी दिया था। ये कार्यक्रम 27 अक्टूबर, 2009 को हुआ था। इससे एक साल पहले मुंबई में ताज होटल सहित कई इलाकों में पाकिस्तानी आतंकियों ने कहर बरपाया था। एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी झुक कर इस पत्रकार का अभिवादन कर रहे हैं।
सफाई में नुसरत मिर्जा सलमान खुर्शीद, कैप्टन अमरिंदर सिंह ही नहीं,घोर दक्षिण पंथी पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ही नहीं, प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह को भी फंसा गया।
‘आज तक’ ने इन तस्वीरों को लेकर अपनी रिपोर्ट में कई खुलासे किए हैं। याह्या बुखारी भी इस दौरान उसके साथ दिख रहे हैं। कार्यक्रम को ‘जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम’ ने आयोजित किया था, जिसमें तत्कालीन उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी के अलावा दिग्गज कॉन्ग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे। नुसरत मिर्जा 2007 और 2010 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के कैनेडी ऑडिटोरियम में ‘स्टूडेंट सेमिनार’ में भी गेस्ट लेक्चरर थे।
‘मिर्जा फाउंडेशन’ की वेबसाइट पर भी ये तस्वीरें उपलब्ध हैं। नुसरत मिर्जा ने बताया कि आम तौर पर वीजा के लिए अप्लाई करने पर तीन शहरों में ही जाने की इजाजत मिलती थी, लेकिन सलमान खुर्शीद कसूरी की मदद से उसने 7 जगहों का दौरा किया। तब वो भारत के विदेश मंत्री थे। 2010 में वो जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में भी था। 2011 में वो ‘मिली गैजेट’ के जफरुल इस्लाम से मिला था, जिसे अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बड़ा पद दिया था।