‘मोहब्बती दुकान,नफरती पकवान’, जी 20 के समानांतर राहुल भारत विरोधियों से घी-शक्कर
‘मोहब्बत की दुकान, नफरती पकवान’: G20 पर दुनिया कर रही भारत की तारीफ, कॉन्ग्रेस के युवराज राहुल विदेशी धरती से अलाप रहे लोकतंत्र पर हमले का राग
8 September, 2023
कॉन्ग्रेस के पूर्व राहुल गाँधी (फाइल फोटो)
दुनिया भर के दिग्गज नेता G-20 में शामिल होने के लिए भारत पहुँच चुके हैं। इस वक्त पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। ऐसे समय में भी कॉन्ग्रेस के युवराज राहुल गाँधी भारत को कोसने से बाज नहीं आ रहे हैं। दरअसल राहुल गाँधी यूरोप दौरे पर हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के बाद अब उनकी ‘नफरती पकवान’ वाली ‘मोहब्बत की दुकान’ बेल्जियम पहुँच गई है, जहाँ उन्होंने एक बार फिर भारत विरोधी बयानबाजी शुरू कर दी है।
कॉन्ग्रेसियों के प्रिय युवा नेता 53 वर्षीय राहुल गाँधी ने बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में कहा कि भारत में बड़े पैमाने पर लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमला हो रहा है। देश के संविधान को बदलने की कोशिश हो रही है। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं। सरकार दहशत में है और पीएम मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं।
राहुल गाँधी के इस बयान को देखें तो वह भारत में लोकतंत्र, अल्पसंख्यक व दलित, वंचित वर्ग पर हो रहे हमलों का राग अलाप रहे हैं। सवाल यह है कि ‘मोहब्बत की दुकान’ का शिगूफा छोड़ने वाला कोई व्यक्ति यदि अपने भाषण में सिर्फ हमलों और दहशत की बात करेगा तो क्या उसकी दुकान सच में मोहब्बत की है, या फिर नफरत की?
राहुल गाँधी कहते हैं कि लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। संविधान बदला जा रहा है। फिर यह भी कहते हैं कि सरकार दहशत में है। अगर सरकार दहशत में है तो फिर वह किसी भी तरह का हमला कैसे कर सकती है? सवाल यह भी है कि कहीं ये हमले चीन परस्त विपक्ष तो नहीं कर रहा है? क्योंकि, राहुल ने ब्रसेल्स में भी शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की तारीफ कर चीन की ‘बटरिंग’ करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी।
राहुल गाँधी आज देश में अल्पसंख्यक और दलितों पर हो रहे हमलों की बात कर रहे हैं, लेकिन शायद उन्हें यह याद नहीं कि उनकी पार्टी ने इस देश में सबसे लंबे समय तक राज किया है। उनके सिपहसालारों की लंबी फौज और ‘गुरु’ सैम पित्रोदा भी उन्हें यह नहीं बताते कि देश में सबसे अधिक दंगे और दलितों पर अत्याचार उनकी पार्टी की सरकार में ही हुए हैं।
देश में अल्पसंख्यकों पर हमले का सबसे बड़ा उदाहरण 1984 के सिख दंगे हैं। इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए ये वही दंगे हैं, जिनमें राजधानी दिल्ली समेत देश भर के कई हिस्सों में कॉन्ग्रेस नेताओं की अगुवाई में सिखों का कत्लेआम हुआ था। इन्हीं दंगों को लेकर राहुल गाँधी के पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने कहा था कि ‘जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है’।
कॉन्ग्रेस सरकार में दलितों के नरसंहार की पूरी लिस्ट है। इस दौरान कॉन्ग्रेस कभी राज्य में तो कभी केंद्र में सत्ता में रही। कई प्रदेश तो ऐसे भी थे, जहाँ केंद्र के साथ-साथ वहाँ भी कॉन्ग्रेस की सरकार थी। तमिलनाडु का कीजवेनमनी, आंध्र प्रदेश का करमचेडु, गुजरात का गोलाना, कर्नाटक का कंबलपल्ली, महाराष्ट्र का खेरलानजी, ओडिशा का लाथोर नरसंहार समेत कॉन्ग्रेस शासन के दौरान देश के अनेक हिस्सों में दलितों के खिलाफ हुई हिंसा के बड़े उदाहरण हैं।
इन तमाम नरसंहार पर न तो कभी राहुल गाँधी की जुबान खुलती है और न ही आज तक किसी कॉन्ग्रेस नेता ने एक शब्द बोला है। राहुल गाँधी दुनिया के सबसे मजबूत लोकतंत्र भारत के खिलाफ लगातार विदेशी धरती पर बदजुबानी करते आ रहे हैं। कॉन्ग्रेस की खोई हुई सियासी जमीन को फिर से पाने के लिए भले ही राहुल गाँधी कोई भी पैंतरा आजमाएँ और पीएम मोदी-भाजपा पर हमला बोलें, लेकिन सच्चाई ये है कि कॉन्ग्रेस की सत्ता में रहते हुए अल्पसंख्यकों और दलितों पर जैसा अत्याचार हुआ, वैसा कभी नहीं हुआ।
बहरहाल, बात यह है कि राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के युवराज हैं। देश के खिलाफ बयानबाजी करना, घोटालों पर घोटाले करना और दूसरे देशों के हित की सोचना कॉन्ग्रेस की पुरानी आदत रही है। राहुल गाँधी यह सब ऐसे समय में बोल रहे हैं जब देश G-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन भारत की तारीफ कर रहे हैं। विश्व बैंक खुल कर कह रहा है कि भारत ने 50 साल का काम 6 साल में कर दिया है।
सीधे शब्दों में कहें तो पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक शक्ति बनकर उभर रहा है। यही कॉन्ग्रेस के पूर्व राहुल गाँधी की आँख की किरकिरी बन रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या राहुल गाँधी को तेजी से मजबूत होती भारत की अर्थव्यवस्था, देश के विकास और भारत का लोहा मान रही दुनिया से दिक्कत हो रही है या फिर कारण कुछ और ही है
ब्रसेल्स पहुँचे राहुल गाँधी भारत विरोधी EU सांसदों से मिले, भारत के खिलाफ यूरोपीय यूनियन के संसद में लाए गए प्रस्ताव में थी इनकी भूमिका
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी 7 सितंबर 2023 एक बार फिर 6 दिवसीय विदेशी दौरे पर हैं। सफर के पहले पड़ाव में राहुल गाँधी बेल्जियम की राजधानी और यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स पहुँचे हैं। कॉन्ग्रेस के आधिकारिक हैंडल इंडियन ओवरसीज कॉन्ग्रेस ने उनके इस सफर का पूरा कार्यक्रम शेयर किया है।
कॉन्ग्रेस सांसद का दोपहर में यूरोपीय संघ के सांसदों से मिलने का कार्यक्रम था, तो शाम को ‘सिविल सोसाइटी’ से मिलने का। उसके बाद उन्हें एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करना था और फिर एक ‘डायस्पोरा मीट’ में जाना था। राहुल गाँधी 8-9 सितंबर को फ्रांस की राजधानी पेरिस, 10-11 सितंबर को नीदरलैंड के हेग और 11-12 सितंबर को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में रहेंगे।
राहुल के विदेशी सफर पर गौर किया जाए तो वे अक्सर भारत विरोधी लोगों से मिलते दिखते हैं। इस साल मई में जब वो अमेरिका गए थे तो उन्होंने वहाँ ‘बे एरिया मुस्लिम कम्युनिटी’ के एक सवाल के जवाब में कहा था कि जिस तरह भारत में मुस्लिमों पर हमला हो रहा है। मैं गांरटी दे सकता हूँ कि सिख, ईसाई, दलित, आदिवासी भी ऐसा ही महसूस कर रहे होंगे’।
उन्होंने वहाँ ये तक कह डाला था, “मैंने अडानी और हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर देश की संसद में बोला तो मेरी सांसदी चली गई।” इस दौरान उन्होंने वहाँ पीएम मोदी को लेकर कहा था कि अगर उन्हें भगवान के बगल में बैठा दिया जाए तो वो भगवान को समझाने लगेंगे कि ब्रह्मांड कैसे काम करता है। उनके सेन फ्रांसिस्को के कार्यक्रम में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगे।
#WATCH| Congress' Rahul Gandhi in response to a question from 'Bay Area Muslim community' says," The way you (Muslims) are feeling attacked,I can guarantee Sikhs,Christians,Dalits,Tribals are feeling the same. What is happening to Muslims in India today happened to Dalits in… pic.twitter.com/sukYLT9Ctp
— ANI (@ANI) May 31, 2023
इस बार भी उन्होंने कुछ ऐसा ही किया है। वो ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के सांसदों- अलविना अलमेत्सा और पियरे लारौतुरौ सहित कई लोगों से मिले। कॉन्ग्रेस ने इन बैठकों की तस्वीरें अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर साझा की हैं।
इन तस्वीरों में दिख रहा है कि राहुल गाँधी और सैम पित्रोदा यूरोपीय यूनियन के सांसदों के साथ बैठे हुए हैं। बताते चलें कि सांसद पियरे वही शख्स हैं, जिन्होंने जुलाई में मणिपुर मुद्दे पर यूरोपीय संघ की संसद में पारित भारत विरोधी प्रस्ताव की पैरवी की थी।
LIVE: Shri @RahulGandhi interacts with the media in Brussels, Belgium. https://t.co/NjUHrzWjm1
— Congress (@INCIndia) September 8, 2023
दूसरी तरफ, शुक्रवार (8 सितंबर) को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के प्रेस क्लब में राहुल गाँधी ने फिर वही किया है, जो अक्सर विदेशी दौरें में भारत की छवि को लेकर करते हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक संस्थाओं के ऊपर बड़े पैमाने पर हमले हो रहे हैं। सत्ताधारी बीजेपी देश के संविधान को बदलने की कोशिश कर रही है।
#RahulGandhi is in Brussels as a part of his reach out program in Europe tour, organised by Indian Overseas Congress
Today's Itinerary:
2:30 PM- EU Parliament Meetings
07:30 PM- Civil Society
08:30 PM – Press Conference
11:30PM – Diaspora meet#RabulInEurope pic.twitter.com/irgpCT2b3a— Indian Overseas Congress (@INCOverseas) September 7, 2023
कौन हैं अलविना अलमेत्सा और पियरे लारौतुरौ?
सांसद अलविना अलमेत्सा और पियरे लारौतुरौ बेहद खुशी के साथ राहुल गाँधी के साथ तस्वीरें शेयर कीं। इतना ही नहीं, ‘भारतीय लोकतंत्र के महान शख्स’ बताकर उनकी तारीफ भी की।
पियरे लारौतुरौ ने लिखा, “आज यूरोपीय संसद में राहुल गाँधी का स्वागत करते हुए बहुत सम्मानित महसूस हो रहा है। वो भारतीय लोकतंत्र की महान हस्तियों में से एक हैं और मोदी सरकार के अति-राष्ट्रवाद के खिलाफ वर्षों से लड़ रहे हैं। 7 अलग-अलग समूहों के एमईपी के साथ हमने मानवाधिकारों, सामाजिक न्याय और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई पर एक बहुत ही दिलचस्प चर्चा की।”
गौरतलब है कि मणिपुर मुद्दे पर जुलाई में यूरोपीय संघ की संसद में पारित भारत विरोधी प्रस्ताव के पीछे एमईपी लारौतुरौ अहम व्यक्ति थे। जुलाई में यूरोपीय संघ ने “इंडिया, द सिच्युएशन इन मणिपुर” शीर्षक से ये प्रस्ताव पास किया था।
एक लंबे सोशल मीडिया पोस्ट में शेखी बघारते हुए पियरे ने यह भी साफ कर दिया था कि यूरोपीय संघ का ये प्रस्ताव खास तौर से पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा को निशाने पर लेने के लिए पास किया गया था।
साभार एक्स पर @ClaFrancavilla
यूरोपीय संघ की संसद ने 12 जुलाई 2023 को स्ट्रासबर्ग में अपने पूर्ण सत्र में मणिपुर की स्थिति पर तत्काल बहस की। यह चर्चा फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के पीएम नरेंद्र मोदी को बैस्टिल डे परेड में सम्मानित अतिथि के न्योते पर उनकी राजकीय यात्रा से ठीक पहले हुई थी।
ये चर्चा ‘मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों पर बहस, लोकतंत्र और कानून का शासन’ के तहत की गई थी। तब यूरोपीय संसद में समाजवादियों और डेमोक्रेट्स के प्रगतिशील गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले पियरे ने ‘भारत, मणिपुर की स्थिति’ शीर्षक वाले प्रस्ताव को पेश किया था।
भारत ने इस प्रस्ताव को दृढ़तापूर्वक खारिज कर दिया था और एक कड़ा बयान जारी किया था। तब भारतीय विदेश मंत्रालय ने यूरोपीय संघ की संसद को भारत के आंतरिक मामलों में अनावश्यक तौर पर दखलअंदाजी करने की कोशिश का आरोप लगाया था यूरोपीय संघ की संसद से ‘अपने काम से काम रखने’ की चेतावनी दी थी।
भारतीय विदेश मंत्रालय के 13 जुलाई के इस बयान में यूरोपीय संसद को अपने आंतरिक मुद्दों पर अपना समय देने और ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी। राहुल गाँधी ने ब्रसेल्स में जिन अलविना अलमेत्सा से मुलाकात की थी वो भी उन एमईपी में से एक थीं, जो भारत के खिलाफ लाए गए इस प्रस्ताव के पीछे थीं। वो यूरोप में भारत विरोधी मुखर कैंपेनर हैं।
गणतंत्र दिवस से पहले भारत में अलविन्ना अल्मेत्सा का कार्यक्रम
इस साल जनवरी में अलविना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े संगठन ‘द लंदन स्टोरी’ की एक चर्चा में प्रशांत भूषण और शाहरुख आलम के साथ शिरकत की थी। जुलाई में ईयू पूर्ण सत्र में अलविना ने मणिपुर के हालातों की ‘निगरानी’ करने और इस मामले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए बाहरी पर्यवेक्षकों की तैनाती को मंजूरी देने की वकालत की थी।
उन्होंने कहा था कि भारत में मानवाधिकारों और प्रेस की स्वतंत्रता के हालात बदतर हो रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने की अपील की थी। इस साल जनवरी में डिसइन्फोलैब ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अलविना की वार्ता की मेजबानी करने वाले संगठन FTLS की आईएसआई और जमात के साथ गहरी साँठ-गाँठ है।
My deepest condolences to those affected by the violence and human rights violations in Manipur. We must end the violence and find a peaceful resolution to the situation. Here is my complete address to the European Parliament on the situation. pic.twitter.com/bqtoXTw8CR
— Alviina Alametsä (@alviinaalametsa) July 17, 2023
इस रिपोर्ट में एक लंबा ब्योरा देते हुए बताया था कि कैसे अलविना यूरोपीय संघ में भारत के खिलाफ लॉबी करने की आईएसआई की कोशिशों का हिस्सा रही हैं। अलविना अलमेत्सा भारत के खिलाफ अपने कैंपेन, कॉलम लिखने, लॉबी करने और यूरोपीय संघ में भारतीय हितों के खिलाफ अभियान चलाने में लगातार लगी हुई हैं।
Alviina Almetsa is part of the Leftist Anti-India Lobby.
Sanjiv Bhat, Stan Swamy, Teesta, Prashant Bhushan.. Alviina was connected to all those who hate Modi.
No wonder Rahul Gandhi met her to support her speaking against India. pic.twitter.com/Z4sZpoUC9O
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 7, 2023
जनवरी 2021 में उन्होंने ईयू ऑब्जर्वर में एक लेख लिखकर भारत में ‘मानवाधिकार’ के हालातों पर दखल देने के लिए ईयू से अपील तक की थी। अपनी भारत-केंद्रित बातचीत और कहानियों में अलविना इन प्लेट्फार्म्स का इस्तेमाल तीस्ता सीतलवाड, संजीव भट्ट से लेकर स्टेन स्वामी जैसे भारत विरोधियों को बढ़ावा देने या समर्थन करने के लिए करती रही हैं।
राहुल गाँधी और उनकी भारत विरोधी ताकतों से मुलाकातें
यह लगभग एक पैटर्न बन गया है कि जब भी राहुल गाँधी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो वो भारत विरोधी पैरवीकारों और राजनेताओं से मिलने की कोशिश में रहते हैं। इन मुलाकातों और बैठकों में लगभग हमेशा एक ही बात होती है कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, मानवाधिकारों की स्थिति खराब हो रही है और कॉन्ग्रेस के नेता के तौर में केवल वे ही इन सबका ‘समाधान’ कर सकते हैं।
राहुल और उनके सहयोगियों का दावा है कि भारत में परेशानी केवल मोदी सरकार की वजह से पैदा हो रही है। इस साल की शुरुआत में जब राहुल गाँधी वाशिंगटन डीसी में थे, तब उन्होंने सीएए पर झूठ बोला और गलत सूचना फैलाई थी। उन्होंने कहा था कि वो अच्छी तरह जानते हैं कि डोनल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा से ठीक पहले 2020 में दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगे क्यों हुए।
अपने 10 दिन के अमेरिकी दौरे के दौरान राहुल गाँधी को हडसन इंस्टीट्यूट में सुनीता विश्वनाथ के साथ गहन बातचीत करते देखा गया। सुनीता विश्वनाथ ‘हिंदू फॉर ह्यूमन राइट्स (एचआरएचआर)’ की सह-संस्थापक हैं। उन्होंने रशीद अहमद के नेतृत्व वाले आईएएमसी के साथ मिलकर राष्ट्रपति बाइडेन को लिखे एक पत्र पर दस्तख़त किए थे। इसमें बाइडेन से पीएम मोदी के लिए आयोजित राजकीय रात्रिभोज को रद्द करने के लिए कहा गया था।
डिसइन्फो लैब की जाँच से पता चला कि एचआरएचआर ‘हिंदू बनाम हिंदुत्व’ की भ्रामक कहानी को बढ़ावा दे रहा था। इसी संगठन को ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ यानी दुनिया में हिंदुत्व को ख़त्म करने वाले कार्यक्रम का समर्थन करते हुए भी देखा गया था।
वर्तमान में, भारत में राहुल गाँधी के गठबंधन सहयोगी हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाने में व्यस्त हैं। राहुल गाँधी के साथ गठबंधन में राज्य स्तर पर सत्ता में बैठे राजनेता ऐलान कर रहे हैं कि हिंदू धर्म एक ‘संक्रामक बीमारी’ है और वे इसे खत्म होते देखना चाहते हैं।
विदेशी ताकतों से देश के आंतरिक मामलों में दखल की माँग
भारत में अपने राजनीतिक फायदे के लिए राहुल गाँधी द्वारा ‘विदेशी मदद’ माँगने के कई उदाहरण हैं। देश में एक के बाद एक चुनावों में हारने के बाद और लोकतांत्रिक तरीके से भारतीय जनता का विश्वास जीतने में नाकाम रहने के बाद उन्होंने वैश्विक वामपंथियों के सामने कहना शुरू कर दिया है कि भारत अराजकता में डूबा हुआ है और यहाँ लोकतंत्र का पतन हो रहा है। सिर्फ वे ही इसे ठीक कर सकते हैं।
अप्रैल 2021 में हार्वर्ड केनेडी स्कूल के इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स में राहुल ने जोर देकर कहा था कि अमेरिकी सरकारी प्रतिष्ठानों को ‘भारत में क्या हो रहा है’ के बारे में ‘और अधिक बोलना’ चाहिए। यूनाइटेड किंगडम में 2022 में ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन में उन्होंने भारत में विदेशी दखल की माँग को दोहराया था।
अपने विवादास्पद भाषण के दौरान राहुल गाँधी ने दो बार विदेशी दखल की अपनी इच्छा जाहिर की थी। पहली बार इसका जिक्र उन्होंने रूस-यूक्रेन मुद्दे की बात करते हुए किया और दूसरा तब कहा था कि जब उन्होंने भारतीय राजनयिकों के यूरोपीय लोगों से आदेश लेने में अनिच्छुक होने की आलोचना की थी। इसी सम्मेलन में उन्होंने लद्दाख की तुलना यूक्रेन से करते हुए कहा था कि इसमें अमेरिकी दखल की जरूरत है।
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