मत:लोकतंत्र की गरिमा तार-तार करने पहुंचे वाम नर्सरी कोलंबिया?

मत: ‘वामपंथ की नर्सरी’ में लोकतंत्र की गरिमा को तार-तार कर बैठे राहुल गांधी, लेकिन उनके दावे में दम कितना?

राहुल गांधी ने वामपंथी मंच पर भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोश‍ि‍श की है. विपक्ष को आलोचना का हक है, लेकिन विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करना थोड़ा परेशान करने वाला है.

कोलंबिया, जहां की हवा में वामपंथी क्रांति की खुशबू अभी ताजा है. उस धरती से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र की गर‍िमा को एक बार फ‍िर तार-तार कर द‍िया. कोलंबिया को ‘वामपंथ की नई नर्सरी’ इसल‍िए कहा जा रहा है, क्‍योंक‍ि यहां 200 साल के इतिहास में पहली बार वामपंथ की सरकार बनी है. और इसी मिट्टी से राहुल गांधी ने भारत के लोकतंत्र पर सवाल क‍िया. कह डाला क‍ि भारतीय लोकतंत्र में कुछ स्‍ट्रक्‍चरल खामियां हैं. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में द‍िए अपने भाषण में उन्‍होंने न‍ सिर्फ मोदी सरकार पर लोकतंत्र को खत्‍म करने का आरोप लगाया, बल्‍क‍ि आरएसएस-भाजपा की विचारधारा को ‘कायरता’ से प्रेरित बताया और विनायक दामोदर सावरकर के लेखन को तोड़-मरोड़कर पेश किया. सवाल ये है राहुल गांधी बार-बार ऐसा प्रयास क्‍यों करते हैं? वे ज‍िस जगह पर भारत के बारे में सुना रहे थे, वहां तो भारत में द‍िलचस्‍पी लेने वाले शायद ही कुछ लोग होंगे. क्‍या ये पूरी दुन‍िया में मैसेज देने की कोश‍िश है?

राहुल गांधी ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में भारत के बारे में कई बातें कही हैं.

राहुल गांधी का यह भाषण कोई आकस्मिक टिप्पणी नहीं था. कोलंबिया की राजनीत‍ि देखें तो स्पष्ट हो जाएगा क‍ि वे एक ऐसे मंच पर बोल रहे थे, जहां वामपंथी विचारधारा को वैधता मिल चुकी है. पेत्रो ने 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की, जो कोलंबिया के 200 साल के इतिहास में पहली बार वामपंथ का सत्ता में आना था. इससे पहले, देश का नेतृत्व उदारवादी दक्ष‍िणपंथी ताकतों ने किया. राहुल गांधी का वहां जाना क्या महज संयोग था या जानबूझकर चुना गया मंच, जहां उनकी ‘लोकतंत्र पर खतरा’ वाली कथा को ताली बजाकर सुनने वाले मिल जाएं? भाजपा ने इसील‍िए राहुल गांधी को ‘प्रोपगैंडा लीडर’ करार दिया है, जो विदेशी मंचों पर भारत को बदनाम करने का पुराना खेल खेल रहे हैं.

स्‍ट्रक्‍चरल खामियां एक द‍िन में नहीं बनतीं
भाषण की शुरुआत तो आशावादी लगी. राहुल गांधी ने कहा, भारत की इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में मजबूत क्षमताएं हैं, इसलिए मैं देश के प्रति बहुत आशावादी हूं. लेकिन जल्द ही यह आशावाद ‘संरचनात्मक खामियों’ की आलोचना में बदल गया. उन्होंने दावा किया कि भारत में लोकतंत्र पर ‘व्यापक हमला’ हो रहा है, जो देश की सबसे बड़ी चुनौती और ‘बड़ी जोखिम’ है. यहां 16-17 प्रमुख भाषाओं और कई धर्मों वाले लोग रहते हैं और सबकी परंपराओं को सम्‍मान देना जरूरी है. तो क्‍या अभी ऐसा नहीं हो रहा? उन्‍हें एक घटना बतानी चाह‍िए थी, जहां पर क‍िसी की परंपरा का अपमान हुआ हो. विदेश में बैठकर ‘संरचनात्मक खामियां’ का रोना रोना आसान है, लेकिन क्‍या क‍िसी लोकतंत्र का सोशल स्‍ट्रक्‍चर एक दिन में बन जाता है? राहुल गांधी को शायद पता होगा, इसमें दशकों लग जाते हैं. और ये वही दशकों हैं, जिसमें उनकी दादी, पिताजी और पर‍िवार ने शासन क‍िया है.

रिपोर्ट और रेटिंग तो देख लेते
लोकतंत्र की बात करें, तो उन्‍हें भी पता है क‍ि ये नंबरगेम है. और इस गेम में जनता ज‍िसे चुनती है, शासन वही करता है और यही लोकंतंत्र की पर‍िभाषा है. फ्रीडम हाउस की 2025 रिपोर्ट में भारत को ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ (Partly Free) रेटिंग मिली है, जो 2014 से पहले कांग्रेस युग में भी यही थी. सबसे महत्वपूर्ण, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता 75% है, जो दुनिया के लोकतांत्रिक नेताओं में सबसे ऊपर है. राहुल गांधी का ‘हमला’ वाला दावा अगर सच्चा होता, तो 2024 चुनावों में विपक्ष को इतनी सीटें क्यों मिलीं? या मोदी की वैश्विक स्वीकृति क्यों इतनी ऊंची है? क्‍या वे जानबूझकर इसे नजरंदाज कर रहे हैं.

चीन पर बेतुकी बात
अब आते हैं भाषण के सबसे विवादास्पद हिस्से पर… आरएसएस-भाजपा की विचारधारा को ‘कायरता’ से जोड़ना. राहुल गांधी ने कहा, यह भाजपा-आरएसएस की प्रकृति है. अगर आप विदेश मंत्री के बयान पर गौर करें, तो उन्होंने कहा, चीन हमसे कहीं अधिक शक्तिशाली है. मैं उनके साथ कैसे लड़ सकता हूं?’ इस विचारधारा का मूल कायरता है. यह आरोप न केवल आधारहीन है, बल्कि सवाल खड़े करता है क‍ि विदेश की धरती पर बैठकर कोई अपने देश के बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है? विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया. फैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि जयशंकर ने चीन की आर्थिक ताकत को स्वीकारा है, लेकिन हमेशा कड़ा रुख अपनाया. 2024 में उन्होंने कहा, भारत-चीन संबंधों में सीमा विवाद एक विशेष समस्या है, लेकिन हम इसे हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मार्च 2024 में अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को उन्होंने ‘हास्यास्पद’ बताया. जून 2025 में उन्होंने कहा, चीन और भारत एक नया संतुलन बना रहे हैं. लेकिन यह कमजोरी का इजहार नहीं, बल्कि हकीकत बताना है.

कोर्ट तक पहुंचे, फ‍िर भी गलत बोला
अब बात सावरकर पर बयान की. राहुल गांधी ने दावा किया कि सावरकर की किताब में लिखा है, “उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने एक मुस्लिम व्यक्ति को पीटा, और उन्हें उस दिन बहुत खुशी हुई. अगर पांच लोग एक व्यक्ति को पीटें, तो यह कायरता है.” यह दावा पुराना है और बार-बार खारिज हो चुका. सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने 2023 में राहुल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया, जिसमें कहा गया कि कोई ऐसी घटना सावरकर के लेखन में नहीं है. 2025 में पुणे कोर्ट में सुनवाई के दौरान राहुल को इस बयान पर झूठ बोलने का आरोप लगा. सावरकर की ‘जेल नोट्स’ या अन्य किताबों में ऐसा कोई वर्णन नहीं मिलता. कोर्ट में पेशी के बाद भी राहुल गांधी ऐसी बातें क्‍यों कर रहे हैं, समझ से परे है.

पैटर्न नया नहीं
राहुल गांधी का यह पैटर्न नया नहीं. 2023 में लंदन में उन्होंने कहा था कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, जिस पर भाजपा ने ‘विदेशी एजेंट’ का तमगा दिया. अमेरिका में भी यही कथा दोहराई. अब कोलंबिया, जहां पेत्रो सरकार खुद विवादों में घिरी है, राहुल शायद यहीं से प्रेरणा ले रहे हैं. लेकिन भारत का संदर्भ अलग है. यहां विपक्ष मजबूत है. संसद में बहस होती है, अदालतें स्वतंत्र हैं. अगर लोकतंत्र पर ‘हमला’ हो रहा होता, तो राहुल लोकसभा में विपक्ष के नेता कैसे बनते?

@Gyanendra Mishra
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18. com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for ‘Hindustan Times Group’ for location Lucknow, Agra, Moradabad, New Delhi. He was part of many relaunching-special projects. Covers politics of the Hindi Heartland. Covered Lok Sabha elections of 2014, 2019 and 2024; Assembly polls of 2012, 2017 and 2022 in UP. Interest in foreign affairs and political affairs. Mr. Gyanendra belongs to Maharajganj, Uttar Pradesh. He has completed his education from Allahabad University.

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