ज्ञान: पसंद नहीं तो नाम बदलवाना आपका अधिकार,सरकारी रिकॉर्ड में भी

Right To Change Name A Fundamental Right Important Court Verdicts

नाम नहीं पसंद, तो क्या बदलवा सकते हैं? क्या है आपका अधिकार, जानिए हर एक बात
नाम बदलने के अधिकार पर अदालतों ने कब-कब दिए महत्वपूर्ण फैसले
क्या आप अपना नाम बदलकर अपनी पसंद के हिसाब से रख सकते हैं? जवाब है- हां। आप तय प्रक्रिया अपनाकर नाम बदल सकते हैं। लेकिन नाम बदलने के बाद आपको तमाम डॉक्यूमेंट्स में बदलाव कराने पड़ते हैं क्योंकि नाम ही तो पहचान है। अगर कोई अथॉरिटी नाम बदलने से इनका करे तब? हक की बात में बात नाम बदलने के अधिकार की।

हाइलाइट्स
अपनी पसंद का नाम रखने या उसमें बदलाव करना व्यक्ति का मौलिक अधिकार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा कि नाम बदलने का अधिकार है मौलिक
सुप्रीम कोर्ट भी नाम बदलने के अधिकार को अभिव्यक्ति की आजादी का हिस्सा बता चुका है

नई दिल्ली 02 जून: लोग अलग-अलग कारणों से कई बार अपना नाम बदलते हैं। जैसे अगर किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया या फिर कोई शख्स यूं ही अपना नाम अपनी पसंद का रखना चाहता है। कभी-कभी कुछ लोग शादी के बाद भी नाम बदलवाते हैं जैसे कोई लड़की शादी के बाद अपने पति का सरनेम अपनाना चाहती है। नाम बदलने की वजह कुछ भी हो सकती है। इसके बाद सारे डॉक्यूमेंट्स में नया नाम दर्ज कराना होता है। लेकिन अगर अथॉरिटी नए नाम से डॉक्यूमेंट जारी करने से इनकार कर दे तो? अगर ऐसा हो तो आप कानूनी रास्ता अपना सकते हैं क्योंकि नाम बदलना आपका मौलिक अधिकार है। ‘आपका अधिकार’ श्रृंखला  के इस अंक में जानते हैं नाम बदलने के अधिकार और इस पर समय-समय पर आए बड़े अदालती फैसलों के बारे में।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक हाल के आदेश में साफ कहा कि नाम बदलना मौलिक अधिकार है। नाम को यथावत रखना या अपनी पंसद के हिसाब से उसे बदलना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जो संविधान में उसे मिला हुआ है। 25 मई 2023 को दिए अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि अपनी पसंद का नाम रखना अनुच्छेद 14, 19 और 21 में मौलिक अधिकार है।

 

ये था मामला

 

शाहनवाज नाम के एक व्यक्ति ने तय कानूनी प्रक्रिया अपनाकर अपना नाम बदल मोहम्मद समीर राव कर लिया। उसने इसके बारे में सितंबर-अक्टूबर 2020 में अखबार में विज्ञापन से बताया कि उसे अब मोहम्मद समीर राव नाम से जाना जाए। इसके बाद अपने एजुकेशनल डॉक्युमेंट में बदलाव के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद में आवेदन दिया। उसने परिषद से 2013 में हाई स्कूल और 2015 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। लेकिन माध्यमिक शिक्षा परिषद (उत्तर प्रदेश) के बरेली स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के क्षेत्रीय सचिव ने 24 दिसंबर 2020 को उसके आवेदन को खारिज कर दिया। बोर्ड ने नए नाम से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट जारी करने से इनकार कर दिया। इसके खिलाफ मोहम्मद समीर राव इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे जिस पर फैसला देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाम बदलने का अधिकार मौलिक अधिकार है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये व्यक्ति के ऊपर है कि वह अपना नाम बरकरार रखना चाहता है या बदलना चाहता है। ये संविधान के आर्टिकल 19 (1) (अभियव्यक्ति की स्वतंत्रता), आर्टिकल 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) और आर्टिकल 14 (समानता का अधिकार) में मूल अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि परिषद ने याचिकाकर्ता के इन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर 2020 के परिषद के फैसले को रद्द करते हुए उसे आदेश दिया कि वह बदले हुए नाम के साथ याचिकाकर्ता को हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के सर्टिफिकेट जारी करे।

जिग्या यादव बनाम सीबीएसई और अन्य केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

3 जून 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि रिजल्ट घोषित करने के बाद सीबीएसई नाम बदलने से इनकार नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि बोर्ड रिजल्ट घोषित करने के बाद स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और अन्य विवरणों में बदलाव पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगा सकता। जस्टिस एएम खानविलकर, बीआर गवई और कृष्ण मुरारी की बेंच ने सीबीएसई के सर्टिफिकेट में नाम/उपनाम या जन्मतिथि में बदलाव या माता-पिता के नाम में बदलाव से जुड़ीं 22 याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाम को बदलने का अधिकार अपनी पहचान की अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का हिस्सा है।

रश्मि श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

जुलाई 2022 में भी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में आदेश दिया था कि नाम बदलने का अधिकार मौलिक अधिकार का ही एक पहलू है। कोर्ट ने कबीर जायसवाल और जिग्या यादव मामलों का हवाला देते हुए कहा कि नाम बदलने का अधिकार संविधान के आर्टिकल 19 (1) में मिले मौलिक अधिकार का पहलू है। इस मामले में रजनी श्रीवास्तव नाम की महिला ने अपना नाम बदलकर रश्मि श्रीवास्तव कर लिया था। बाद में उसने डॉ

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