आईआईटी रुड़की ने एलुमिनाई आउटरीच एक्टीविटी से गांधीनगर में मनाया175वां स्थापना वर्ष
आईआईटी रुड़की ने गांधीनगर में एलुमनाई आउटरीच एक्टिविटी के साथ 175 साल की उत्कृष्टता का जश्न मनाया
रुड़की, 27, 03, 2022: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटीआर), थॉमसन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग और रुड़की विश्वविद्यालय, समाज के विकास में तकनीकी शिक्षा और योगदान देने के 175 साल (1847-2022) मना रहा है। समारोह 25 नवंबर, 2021 से शुरू हुआ और 24 नवंबर, 2022 तक चलेगा। पूरे एक साल चलने वाले इस समारोह के दौरान छात्रों, शिक्षकों, कर्मचारियों और पूर्व छात्रों के साथ विभिन्न शैक्षणिक, सांस्कृतिक, खेल, आउटरीच एक्टिविटीज की जाएगी।
28 मार्च, 2022 को गांधीनगर में एक एलुमनाई आउटरीच कार्यक्रम का समापन किया गया था। आईआईटी रुड़की ने पहली बार जोनल आउटरीच एक्टिविटीज का आयोजन किया। अहमदाबाद (पश्चिम), कोलकाता (पूर्व), दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु / हैदराबाद के सभी पूर्व छात्रों तक पहुंचने, उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए एलुमनाई मीट का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में आईआईटी गांधीनगर के पूर्व निदेशक और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के मौजूदा कुलपति प्रोोफेसर सुधीर जैन ने उपस्थित होकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में 1958 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस, पूर्व नगर आयुक्त अहमदाबाद, पूर्व अध्यक्ष अहमदाबाद चैप्टर श्री एन एम बिजलानी, 1965 बैच की प्रैक्टिसिंग आर्किटेक्ट और अहमदाबाद चैप्टर की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती कुमुद मुखर्जी, 1974 बैच के सेवानिवृत्त आईटी आयुक्त श्री देश राज, 1979 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस और अतिरिक्त मुख्य सचिव तथा वर्तमान में जीआईडीएम, गुजरात आपदा प्रबंधन संस्थान के निदेशक श्री पीके तनेजा, 1990 बैच के भूकंप विज्ञान संस्थान, गांधीनगर के निदेशक डॉक्टर सुमेर चोपड़ा, 1994 बैच के आईपीएस, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, इंटेलिजेंस, गुजरात राज्य श्री अनुपम घलोट, 1997 बैच के आईआईटी गांधीनगर के कार्यवाहक निदेशक डॉक्टर अमित प्रशांत, 1997 बैच के आईपीएस, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, गुजरात राज्य श्री संदीप सिंह शामिल थे।
इसके अलावा, कई कंपनियों के सीईओ, एसवीएनआईटी, निरमा विश्वविद्यालय के डीएआईआईसीटी के फैकल्टी मेंबर्स, प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, ओएनजीसी, इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भी इस कार्यक्रम में अपने जीवनसाथियों के साथ भाग लिया।
इस कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की के उप-निदेशक प्रोफेसर मनोरंजन परिदा, आईआईटी रुड़की के रिसोर्सेज एंड एलुमनाई अफेयर्स के डीन प्रोफेसर पार्थ रॉय, आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर अरुण कुमार, रूड़की कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड फिल्म स्क्रीनिंग के इतिहास के बारे में श्री जेसी सेठी और आईआईटी रुड़की की एलुमनाई मीट के बारे में डॉक्टर डीआर रजक ने उद्बोधन दिया।
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने स्नातक के 50 वर्ष पूरे करने वाले गुजरात के वरिष्ठ पूर्व छात्रों को एक उपहार दिया। इस सूची में श्री एन एम बिजलानी (बैच 1958), श्रीमती सुरेखा कुमरा चड्ढा (बैच 1962), श्री ए के प्रधान (बैच 1963), श्रीमती कुमुद मुखर्जी (बैच 1965), श्री एच के गुप्ता (बैच 1966), श्री एस सी गुप्ता (बैच 1966), श्री आर के त्यागी (बैच 1967), श्री विजय कुमार (बैच 1967), श्री केएल गुलाटी (बैच 1968), श्री केजी यादव (बैच 1969), श्री मनोज जोशी (बैच 1970), श्री श्याम तनेजा (बैच 1971) शामिल है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत कुमार चतुर्वेदी ने कहा, “हमने अपने पूर्व छात्रों के बीच आईआईटी रुड़की के 175 वें वर्ष का जश्न मनाने की अपनी योजना को मूर्तरूप देने के लिए गांधीनगर को अपने पहले पड़ाव के रूप में चुना। ये कार्यक्रम हमें अपने पूर्व छात्रों से जुड़ने और आईआईटी रुड़की में होने वाली गतिविधियों के बारे में उन्हें बताने का एक मौका देता है। हमें विश्वास है कि उन्हें यह जानकर अच्छा लगेगा कि उनका कॉलेज अब नई ऊंचाइयां छू रहा है और वे आईआईटी रुड़की पर लगातार गर्व कर सकते हैं।”
आईआईटी गांधी नगर के पूर्व डायरेक्टर और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रोफेसर सुधीर जैन ने आईआईटी रुड़की के 175 साल होने पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “आईआईटी रुड़की एक ऐसा संस्थान है, जिसका फोकस समर्पित फैकल्टीज को तैयार करने और बेहतर गवर्नेन्स पर रहा है। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने बिल्कुल सही कहा है कि किसी भी संस्थान को फायदा उसके एलुमिनी से मिलता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम संस्थान को डोनेट करके ये फ़र्क पैदा करें।”
आईआईटी गांधीनगर के निदेशक प्रोफेसर अमित प्रशांत कार्यक्रम के दौरान ने कहा, “एलुमनाई मीट का उद्देश्य पूर्व विद्यार्थियों के मन में अपने संस्थान के प्रति लगाव को बढ़ाते हुए उनमें एक कम्युनिटी होने का भाव पैदा करना है। यह नए पेशेवरों को नेटवर्किंग और दोस्ती करने में मदद करेगा। साथ ही, शिक्षकों, पूर्व विद्यार्थियों और मौजूदा विद्यार्थियों द्वारा उत्कृष्ट परियोजना कार्यों, शोध पत्रों या अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पुरस्कार और पुरस्कार प्रदान करना। यह विद्यार्थियों को इंस्टीटूशनल कनेक्शन बढ़ाकर अन्य लोगों से मिलने और नए सोशल कनेक्शन के साथ अपने शैक्षणिक कैरियर की शुरुआत करने का मौका देगा।”
संस्थान का इतिहास
आईआईटी रुड़की, जिसे पहले रुड़की कॉलेज के नाम से जाना जाता था, 1847 AD में ब्रिटिश साम्राज्य में पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में स्थापित किया गया था। स्वतंत्र भारत की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसके प्रदर्शन और क्षमता को देखते हुए, नवंबर 1949 में इसे तत्कालीन कॉलेज से स्वतंत्र भारत के पहले इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया था। 21 सितंबर 2001 को, विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया, संसद में एक विधेयक पारित करके, रुड़की विश्वविद्यालय को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की बनाया गया।