तो जम्मू को भी मुस्लिम बहुल बनाने को बसाये गये रोहिंग्या
जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने के पीछे गहरी साजिश, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं से जुड़े हैं तार
सारे शरणार्थी जम्मू में ही बसाए गए हैं
नीलू रंजन, नई दिल्ली 30 नवंबर । जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थी खुद-ब-खुद नहीं गए थे, बल्कि उन्हें एक षड्यंत्र के अंतर्गत लाकर बसाया गया है। केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की ताजा पड़ताल में यह बात सामने आई है। इसके लिए कुछ एनजीओ का सहारा लिया गया था, जिनके तार कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के नेताओं से जुड़े बताए जा रहे हैं। षड्यंत्र कितना बड़ा है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इन एनजीओ को यूएई और पाकिस्तान से हवाला के मार्फत फंडिंग होने के सुबूत भी मिले हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार रोहिंग्या शरणार्थियों को जम्मू-कश्मीर में लाकर बसाने में एक साफ पैटर्न देखा जा सकता है। अब तक 2513 रोहिंग्या परिवारों को लाकर बसाया जा चुका है। इसमें कुल 5514 लोग हैं। ये सभी जम्मू के इलाके में रहते हैं। कश्मीर घाटी में एक भी रोहिंग्या शरणार्थी नहीं है। जबकि इन्हें लाकर बसाने में लगे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) घाटी से जुड़े हैं। यानि प्रयोजन हिंदू बहुल जम्मू को भी मुस्लिम बहुऊ बनाना था। कांग्रेस के मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने तो सरकारी जमीनों पर इन्हें ला बसाया था। इसके अलावा इन शरणार्थियों को जानबूझ कर सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील स्थानों के पास बसाया गया, जो पिछले तीन दशक से अधिक समय से पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से ग्रसित इलाके में सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।
पूछताछ में हुए चौंकाने वाले खुलासे
सूत्रों के अनुसार केंद्र शासित प्रशासन ने सभी रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान की है और उनसे पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जम्मू में बसाये गए अधिकांश रोहिंग्या शरणार्थियों को पश्चिम बंगाल के मालदा और आसपास के जिलों में शरणार्थी शिविरों से लाया गया। इसके लिए श्रीनगर से एनजीओ के प्रतिनिधियों ने बाकायदा पश्चिम बंगाल में शरणार्थी शिविरों का दौरा किया। वहां उन्हें बताया कि जम्मू-कश्मीर में उनके रहने के साथ-साथ अन्य सुविधाओं का बेहतर ख्याल रखा जाएगा। एनजीओ के प्रतिनिधियों ने शरणार्थियों को जम्मू तक लाने की पूरी व्यवस्था भी की।
हवाला के माध्यम से पाकिस्तान और यूएई से हुई बड़ी मात्रा में फंडिंग
सूत्रों के अनुसार जम्मू में लाकर उनके रहने-खाने की पूरी व्यवस्था की गई। बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के कारण आसपास के लोगों को दिक्कत होने लगी तो कुछ लोगों ने अपने घर को बेचकर दूसरी जगह जाकर रहना बेहतर समझा। जांच में यह भी पता चला कि इन एनजीओ ने ऐसे घरों को खरीद कर उन्हें रोहिंग्या शरणार्थियों को रहने के लिए दे दिया। जब यह पता लगाने की कोशिश की गई कि इन एनजीओ के पास इतने पैसे कहां से आए तो और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि इन एनजीओ के खातों में हवाला के मार्फत पाकिस्तान और यूएई से बड़ी मात्रा में फंडिंग हुई है। सूत्रों के अनुसार इस फंडिंग के पुख्ता सुबूत भी मिल गए हैं।
सूत्रों के अनुसार केंद्र शासित राज्य प्रशासन का रोहिंग्या शरणार्थियों को राज्य से बाहर करने का कोई इरादा नहीं है। उन्हें राज्य में ही रखा जाएगा। लेकिन शरणार्थी परिवारों को अब ऐसे इलाकों में भेजा जाएगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील नहीं हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान और यूएई से हवाला फंडिंग के सहारे शरणार्थियों को लाकर बसाने में शामिल एनजीओ के खिलाफ कार्रवाई पर भी विचार किया जा रहा है।