अराजकता:काबुल एयरपोर्ट पर रात में भी आपा-धापी, भगदड़
काबुल एयरपोर्ट पर देर रात भी जारी रही अफ़रा-तफ़री
एयरपोर्ट
काबुल में तालिबान के दाख़िल होने के बाद राजधानी से आम और ख़ास लोगों के भागने और अफ़रा-तफ़री का माहौल रविवार देर रात तक जारी रहा है.
हमने पहले रिपोर्ट किया था कि काबुल के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गोलीबारी की आवाज़ सुनाई दी थी और अराजकता का माहौल था.
ऐसी रिपोर्ट हैं कि एयरपोर्ट के रनवे पर लोग घायल हुए हैं. एक चश्मदीद ने कहा कि भागने की बेचैनी में एक भगदड़ की स्थिति बन गई.
वहीं, पीबीएस की जेन फ़र्ग्यूसन ने रिपोर्ट किया है कि अब अगर किसी अफ़ग़ानी नागरिक को घर लौटना होगा तो उन्हें तालिबान चेकपॉइंट से होकर गुज़रना होगा.
पत्रकार बिलाल सर्वरी ने एयरपोर्ट का एक वीडियो शेयर किया है जो कि 16 अगस्त के शुरुआती घंटों का है.
Hamid Karzai international airport. 16 August, 2021. pic.twitter.com/LXsAQPpFXG
— BILAL SARWARY (@bsarwary) August 15, 2021
अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में 1,000 और सैनिक भेज रहा
एक अधिकारी ने अमेरिकी मीडिया से कहा है कि पेंटागन काबुल से लोगों को निकालने के लिए 1,000 अतिरिक्त सुरक्षाबल भेज रहा है.
इससे पहले बीते सप्ताह उन्होंने 3,000 सैनिकों को भेजा था.
इस तरह से अस्थाई तौर पर अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिका के 6,000 सैनिक हो जाएंगे.
2011 में अमेरिका के सबसे अधिक सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में तैनात थे. उस समय देश में 1.10 लाख अमेरिकी जवान थे.
ब्रिटेन दूतावास के स्टाफ़ को निकाला गया, सऊदी अरब भी निकाल रहा अपने लोग
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ब्रिटेन के रक्षा सूत्रों ने बताया है कि 600 ब्रिटिश सैनिक काबुल पहुंचे हैं.
उनका कहना है कि रॉयल एयर फ़ोर्स के सैन्य विमानों ने ब्रिटेन के दूतावास स्टाफ़ को बाहर निकाला है.
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ब्रिटेन के राजदूत और एक छोटा स्टाफ़ ब्रिटिश नागरिकों को निकालने के लिए शहर में मौजूद है.
वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि पश्चिमी देशों ने मिलकर काम किया और यह साफ़ किया कि कोई भी अफ़ग़ानिस्तान को आतंक पनपने की जगह नहीं बनने देना चाहता है.
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान मे परिस्थितियां बेहद कठिन हैं, आगे और कठिन होंगी.
वहीं, सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने भी ट्वीट करके बताया है कि वो काबुल में अपने दूतावास से लोगों को निकाल रहा है
देश छोड़कर भागने पर अशरफ़ ग़नी की सफ़ाई, तालिबान पर भी साधा निशाना
अफ़ग़ानिस्तान से भागने के बाद राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने सोशल मीडिया पर अपना बयान जारी करते हुए इसको लेकर सफ़ाई दी है.
उन्होंने फ़ेसबुक पर पोस्ट लिखी है कि उन्होंने देश में रक्तपात रोकने के लिए यह क़दम उठाया है.
वो लिखते हैं कि उनके रहते हुए तालिबान के काबुल में आने के बाद झड़प होती जिससे लाखों लोगों की ज़िंदगियां ख़तरे में पड़ जातीं.
अशरफ़ ग़नी
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “आज मुझे एक मुश्किल फ़ैसला करना था कि या तो मैं सशस्त्र तालिबान जो महल (राष्ट्रपति भवन) में दाख़िल होना चाहते थे उनके सामने खड़ा हो जाऊं या फिर अपने प्यारे मुल्क जिसकी बीते 20 सालों में सुरक्षा के लिए मैंने अपनी ज़िंदगी खपा दी उसे छोड़ दूं.”
“अगर इस दौरान अनगिनत लोग मारे जाते और हमें काबुल शहर की तबाही देखनी पड़ती तो उस 60 लाख आबादी के शहर में बड़ी मानवीय त्रासदी हो जाती.”
उन्होंने आगे लिखा कि तालिबान ने तलवारों और बंदूक़ों के ज़ोर पर जीत हासिल कर ली है, और अब मुल्क की अवाम के जानो माल और इज़्ज़त की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी तालिबान पर है.
उन्होंने कहा, “मगर वो दिलों को जीत नहीं सकते हैं. इतिहास में कभी भी किसी को सिर्फ़ ताक़त से ये हक़ नहीं मिला है और न ही मिलेगा. अब उन्हें एक ऐतिहासिक परीक्षा का सामना करना है, या तो वो अफ़ग़ानिस्तान का नाम और इज़्ज़त बचाएंगे या दूसरे इलाक़े और नेटवर्क्स.”
अशरफ़ ग़नी
“बहुत से लोग अनिश्चित भविष्य के बारे में डरे हुए और चिंतित हैं. तालिबान के लिए ये ज़रूरी है कि वो तमाम जनता को, पूरे राष्ट्र को, समाज के सभी वर्गों और अफ़ग़ानिस्तान की औरतों को यक़ीन दिलाएं और उनके दिलों को जीतें.”
उन्होंने कहा कि, “वो अफ़ग़ानिस्तान के भविष्य को लेकर योजना बनाएं और उसे जनता को बताएं. मैं हमेशा अपने मुल्क और क़ौम की बेहतरी और तरक़्क़ी के लिए काम करता रहूंगा.”
देश छोड़ने के बाद यह उनकी पहली प्रतिक्रिया है. वो इस समय कहां पर मौजूद हैं इसको लेकर उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी है.
पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने कहा- वो काबुल में ही रहेंगे
करज़ईअफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने एक वीडियो फ़ेसबुक पर जारी करते हुए अपने प्रशंसकों से कहा है कि वो काबुल में ही रहेंगे.
अपनी तीन बेटियों के साथ खड़े करज़ई ने कहा कि वो और उनका परिवार अपने ‘प्यारे काबुल वासियों’ के साथ है.
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि हमारे देश और हमारी राजधानी के मुद्दे अच्छी तरह से और शांतिपूर्ण तरीक़े से सुलझा लिए जाएंगे.”
“तालिबान इस्लामी आंदोलन के सुरक्षाबलों से मैं कहता हूं कि वे जहां भी हैं लोगों की संपत्ति और ज़िंदगी की सुरक्षा सुनिश्चित करें और लोगों की संपत्ति और ज़िंदगी पर ध्यान दें. इस पर हमारे सुरक्षाबल और तालिबान के सुरक्षाबल दोनों ध्यान दें.”
अमेरिका के देश में सैन्य अभियान के बाद 2001 में करज़ई देश के नेता बने थे. 2014 तक वो इस भूमिका में रहे और एशिया में सबसे अधिक समय तक शीर्ष पद पर रहने वाले नेता बने.
उस समय करज़ई को लेकर विदेशी सरकारों की ख़राब राय थी. उनका मानना था कि वो भ्रष्टाचार को रोकने में और महिला अधिकारों को बढ़ावा देने वाले परंपरावादियों से टकराने में नाकाम रहे.
तालिबान काबुल के 11 ज़िलों में दाख़िल, एयरपोर्ट पर सभी कमर्शियल उड़ानें निलंबित
विमान
एक नेटो अधिकारी के मुताबिक़, काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सभी कमर्शियल उड़ानों को निलंबित कर दिया गया है.
अब वहां से केवल सैन्य विमानों को संचालन करने की अनुमति दी गई है.
इससे पहले ब्रिटिश एयरवेज़ ने पुष्टि की थी कि वो अफ़ग़ानिस्तान के हवाई मार्ग का फ़िलहाल इस्तेमाल नहीं करेगा.
काबुल के 11 ज़िलों में पहुंचा तालिबान
वहीं, तालिबान ने दावा किया है कि उसने काबुल के कई ज़िला केंद्रों में अपनी पहुंच बना ली है और उनमें से 11 को अपने नियंत्रण में ले लिया है.
एक प्रवक्ता ने कहा कि वे ज़िलों में इसलिए दाख़िल हुए हैं ताकि ‘सुरक्षा सुनिश्चित’ की जा सके.
इससे पहले तालिबान ने दावा किया था कि उसने राष्ट्रपति भवन पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
अफ़ग़ानिस्तान में तेज़ी से बदलते घटनाक्रम के बीच राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने देश छोड़ दिया है और तालिबान राजधानी काबुल में दाख़िल हो चुके हैं
तालिबान ने राष्ट्रपति भवन पर क़ब्ज़ा किया- रिपोर्ट्स
तालिबान
तालिबान का दावा है कि उसने काबुल में राष्ट्रपति भवन को अपने नियंत्रण में ले लिया है.
रविवार को राष्ट्रपति ग़नी ने देश छोड़ दिया था लेकिन भवन की स्थिति अभी भी साफ़ नहीं है.
स्थानीय पत्रकार बिलाल सरवरी ने उन दो अफ़ग़ान लोगों से बात की है जो तालिबान से सीधी बातचीत में शामिल थे. उनका कहना था कि समझौते के तहत राष्ट्रपति भवन में सत्ता हस्तांतरण का समारोह होना था जिसमें ग़नी मौजूद रहते लेकिन वो और उनके सहयोगी इसकी जगह देश छोड़कर चले गए
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सहयोगियों का कहना है, “राष्ट्रपति भवन के कर्मचारियों को कथित तौर पर भवन छोड़ने के लिए कहा गया था और वो ख़ाली हो चुका था.”
तालिबान ने बाद में समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि उन्होंने उस पर क़ब्ज़ा कर लिया है.
गनी की कारस्तानी:रूस का दावा- काबुल से भागते वक्त चार कारें और हेलिकॉप्टर भरकर कैश ले गए पूर्व अफगान राष्ट्रपति, उनकी लोकेशन पता नहीं
स्कोो्को्क्कोो्को््कोो्क््क्कोो्कोो्को्
काबुल स्थित रूस की एम्बेसी ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी को लेकर हैरान करने वाला खुलासा किया है। सोमवार को रूस की RIA न्यूज एजेंसी ने अपनी एम्बेसी के हवाले से कहा- गनी मुल्क से भागते वक्त अपने साथ चार कारें और हेलिकॉप्टर में भरकर कैश ले गए हैं। नगद रकम इतनी ज्यादा थी कि वो जब हेलिकॉप्टर में नहीं आई तो उसे एयरपोर्ट पर ही छोड़ दिया गया।
तालिबान ने भी दावा किया था कि उसे काबुल एयरपोर्ट पर काफी कैश मिला है। दावा किया गया था कि यह 50 लाख डॉलर के करीब है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। अब रूस के काबुल स्थित दूतावास ने इसकी पुष्टि कर दी है।
गनी की लोकेशन के बारे में जानकारी नहीं
अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति सालेह ने रविवार को काबुल छोड़ दिया था। उनके साथ कुछ बेहद करीबी लोग भी थे। अब तक यह साफ नहीं है कि वो किस एयरक्राफ्ट से भागे। इसके अलावा उनकी लोकेशन के बारे में भी सही जानकारी अब तक सामने नहीं आ सकी है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि गनी तजाकिस्तान में हैं तो कुछ में कहा गया कि वे अमेरिका गए हैं।
रविवार रात एक फेसबुक पोस्ट में गनी ने कहा था कि अगर वे काबुल में रुकते तो ज्यादा खून-खराबा हो सकता था, इसलिए उन्होंने मुल्क छोड़ना ही बेहतर समझा। उन्होंने तालिबान से अपील में ये भी कहा कि वो देश में अमन बहाली के लिए काम करे।
दूतावास बंद नहीं करेगा रूस
रूस ने सोमवार को एक बयान में साफ कर दिया कि वो काबुल में अपना दूतावास बंद नहीं करेगा। रूस ने कहा- हम तालिबान से संबंध बनाने की कोशिश करेंगे, लेकिन उसे मान्यता देने में कोई जल्दबाजी नहीं की जाएगी। हम तालिबान के बर्ताव और कामों पर नजर रखेंगे।
काबुल में रूसी दूतावास की प्रवक्ता निकिता आईचेंको ने कहा- गनी ने काबुल छोड़ दिया है। चार कारों और एक हेलिकॉप्टर में कैश रखा गया था। ये इतना ज्यादा था कि इनमें समा नहीं पाया। इसलिए कुछ कैश काबुल एयरपोर्ट पर ही छोड़ दिया गया। बाद में न्यूज एजेंसी से बातचीत में भी निकिता ने यही बयान दोहराया। उन्होंने दावा किया कि उनके पास यह जानकारी चश्मदीदों के हवाले से आई है।
कुछ पैसा तो देश में जरूर होगा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अफगान मामलों पर स्पेशल एडवाइजर जामिर काबुलोव ने रविवार को कहा था- हम नहीं जानते कि भागने वाली सरकार देश के लिए कितना पैसा छोड़कर गई है। उम्मीद करते हैं कि कुछ पैसा तो वो जरूर यहां छोड़कर गए होंगे, क्योंकि पूरा कैश ले जाना मुमकिन नहीं था।