लव जिहाद: प्रेमिका डॉ. चयनिका के हत्यारे डॉ.रफीक को उम्रकैद,32 लाख का जुर्माना
प्रेमिका की हत्या कर ट्राली बैग में शव रखनेे वाले डॉक्टर को आजीवन कारावास
2017 में तीन नवंबर को होटल में मिलने आई प्रेमिका की हत्या कर शव को ट्राली बैग में रख आया था स्टेशन आजीवन कारावास के साथ अदालत ने किया 32 लाख का जुर्माना।
Vikas Srivastava
प्रेमिका की हत्या कर ट्राली बैग में शव रखनेवाले डॉक्टर को आजीवन कारावास
जमशेदपुर। वर्ष 2017 में तीन नवंबर को होटल में प्रेमिका की हत्या कर शव को ट्राली बैग में रखकर स्टेशन पर रखने के मामले में डॉक्टर मिर्जा रफीक उल हक को शुक्रवार को आजीवन कारवास की सजा सुनाई गई।
आजीवन कारवास के साथ ही 32 लाख रुपये का अर्थदंड भी एडीजे प्रथम राधाकृष्ण की अदालत ने लगाया है। अथदंड नहीं चुकाने पर उसकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी। कदमा निवासी चयनिका कुमारी की हत्या करने के मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद विगत 21 दिसंबर 2019 को अदालत ने डॉ. मिर्जा रफीक उल हक को दोषी करार दिया था।
डॉ. मिर्जा ने मेडिट्रिना अस्पताल की ऑपरेशन मैनेजर चयनिका की बिष्टुपुर स्थित एक होटल में तीन नवंबर 2017 को हत्या कर दी थी। हत्या करने के बाद डॉक्टर ने चयनिका के शव को ट्रॉली बैग में डालकर स्टेशन की पार्किग के पास छोड़ दिया था। हालांकि उसे अगले ही दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। तबसे वह जेल में ही रहा। सजा के बिंदु पर शुक्रवार को जमशेदपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे एक के न्यायाधीश राधाकृष्ण की अदालत ने उसे आजीवन कारावास और 32 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
इससे पहले सजा के बिंदु पर सुनवाई के दौरान सहायक लोक अभियोजक राम नारायण तिवारी ने अभियुक्त को फांसी सजा देने की मांग की थी। सुनवाई के समय न्यायालय परिसर में चयनिका कुमारी के पिता अरुण कुमार और परिवार वाले उपस्थित थे।
पहले मनाया प्रेमिका का जन्मदिन, फिर कर दी हत्या
पुलिस के सामने दिए गए बयान के अनुसार जमशेदपुर आने के बाद डॉ मिर्जा ने होटल में चयनिका का जन्मदिन सेलीब्रेट किया था। 2017 में 31 अक्टूबर की रात चयनिका से बातचीत कर तरह बिष्टुपुर के एक होटल पहुंचा। ऐसा वह पहले भी कई बार कर चुका था।
इस बार उसने तीन नवंबर तक के लिए ठहरा था। 4 नवंबर को वापस कोलकाता जाने का समय निर्धारित किया था। 1 नवंबर को चयनिका अपनी स्कूटी से होटल आई। उसके दोपहिया वाहन को होटल के पार्किंग में रखवा दिया। दोनों होटल में रहे। 2 नवंबर को चयनिका कुमारी का जन्मदिन दोनों ने सेलेब्रेट किया। केक भी काटा गया।
होटल के कमरे में चयनिका कंघी कर रही थी जब गले में स्टील की चेन फंसाकर मार डाला
डॉक्टर. मिर्जा रफीक ने गिरफ्तारी के बाद पुलिस को बताया था कि वह हत्या की पूरी योजना बनाकर ही कोलकाता से शहर आया था। इसके लिए चाकू और अटैची बांधने वाली स्टील की चेन भी अपने साथ लेकर आया था। हत्या के दिन तीन नवंबर को दिन के 12 बजे वह चयनिका कुमारी के साथ होटल में था। करीब तीन-चार बजे उसकी चयनिका से कहा-सुनी हुई।
चयनिका के अपने पूर्व प्रेमी से संबंध होने को लेकर बहस हुई तो उसने (रफीक ने) हत्या कर देने का निश्चय कर लिया। शाम पांच से साढ़े पांच बजे के करीब चयनिका कुमारी कंघी कर रही थी। पीछे से उसके गले में स्टील की चेन फंसाकर उसने गला घोंट दिया। इसके बाद लाश को छुपाने के उद्देश्य से वह बिष्टुपुर स्थित लगेज वल्र्ड दुकान से ब्लू कंपनी का ट्राली बैग को छह हजार रुपये में खरीद लाया और उसमें शव को रख स्टेशन के बाहर रख आया।
कोलकाता के बिड़ला अस्पताल में आरएमओ था डॉक्टर मिर्जा
अपनी प्रेमिका की हत्या करनेवाला डॉक्टर. मिर्जा कोलकाता के अलीपुर बीएम बिड़ला अस्पताल में आरएमओ के पद पर कार्यरत था। जमशेदपुर की रहने वाली चयनिका कुमारी से उसकी लंबे समय से जान-पहचान थी। हालांकि चयनिका के परिजनों को उन दोनों के प्रेम संबंध की जानकारी नहीं थी। घटना से कुछ दिन पहले ही डॉ. मिर्जा को पता चला कि चयनिका का कोई दूसरा प्रेमी भी है जो बंगाल के दुर्गापुर का रहने वाला है। शक होने पर उसने चयनिका को मारने का निश्चय किया था।
मामले में कुल 14 लोगों की हुई गवाही
इस मामले में कुल 14 लोगों की गवाही हुई। हत्या मामले के अनुसंधान अधिकारी बागबेड़ा थाना के तत्कालीन इंस्पेक्टर रामयश प्रसाद थे। 21 दिसंबर 2019 को अभियुक्त को न्यायालय ने दोषी करार दिया था। हत्या के एक दिन पहले 2 नवंबर 2017 को चयनिका का जन्मदिन था। होटल में ही डॉक्टर मिर्जा रफीक उल हक ने चयनिका के जन्मदिन सेलीब्रेट किया था।
चयनिका के पिता ने कहा – कलेजे को पहुंची ठंडक, ईश्वर और पुलिस पर था भरोसा था
चयनिका कुमारी के पिता टाटा स्टील से सेवानिवृत है। कदमा मारिया अपार्टमेंट के सीटू ब्लाक में पत्नी के साथ रहते है। पुत्री की हत्या में अदालत का फैसला आने पर अरुण कुमार ने कहा कि आज कलेजे को ठंडक मिली। ईश्वर और पुलिस पर भरोसा था। अनुसंधान अधिकारी रामयश प्रसाद ने ईमानदारी पूर्वक कर्तव्य का पालन किया। हर साक्ष्य जुटाया जिसके कारण पुत्री के हत्यारे को सजा मिली। बेटी तो अब लौटकर नहीं आने वाली, लेकिन मीडिया समेत सभी ने साथ दिया।
पांच दिन तक गवाही, अनुसंधान में साक्ष्य को मेहनत से जुटाया : अनुसंधान अधिकारी
चयनिका हत्याकांड के अनुसंधान अधिकारी रहे रामयश प्रसाद वर्तमान में डीएसपी है। घटना के समय वे इंस्पेक्टर पद पर थे। रामयश प्रसाद ने बताया कि मामले में पांच दिन तक उनकी गवाही लगातार न्यायालय में चली। हत्या में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मेडिकल बोर्ड की टीम से शव का पोस्टमार्टम कराया। डॉ. को होटल से गिरफ्तार किया। सीसीटीवी फुटेज से लेकर मोबाइल लोकेशन समेत तमाम साक्ष्य एकत्र किए। शव छुपाने को जिस दुकान से डॉक्टर मिर्जा ने ट्राली बैग खरीदा था। उसकी और होटल वाले की गवाही कराई।
जमशेदपुर में सीनियर डॉक्टर रफीक मिर्जा ने डॉक्टर चयनिका कुमारी की स्टील की चेन से गला घोंटकर हत्या कर दी और लाश को ट्रॉली बैग में भरकर रेलवे स्टेशन पर फेंक दिया…
डॉक्टर चयनिका जमशेदपुर में कदमा थाना के अशोक पथ पर स्थित मारिया अपार्टमेंट के सी 2 फ्लैट की रहनेवाली थी… वह माता-पिता की इकलौती संतान थी… अपनी मौत के १० दिन पहले ही उसने अपने प्रेमी डॉक्टर रफीक मिर्जा हक के साथ जन्मदिन मनाया था…
- जरा इस घटना पर गौर करें, जिस लड़की की हत्या हुई वो हिन्दू डॉक्टर, जिसने हत्या की वो एक मुसलमान डॉक्टर… मृतका चयनिका कुमारी डॉक्टरी पढ़ने गई थी, वहीं साथ के मुसलमान लड़के से दोस्ती हुई, दोनों पढ़े-लिखे थे, अपने निर्णय खुद ले सकते थे, लड़की के घरवलों ने यह सोचकर शादी तय करवा दी…पर यह ध्यान नही दिया कि.. ये लड़का मुसलमान है…
जरा सोचिये, डॉक्टर बनने के बाद भी जो आदमी ७वें आसमान और ७२ हूरों में विश्वास रखता हो, उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? बस यही कारण था कि रफीक, लगातार डाक्टर चयनिका पर इस्लाम कुबूल करने का दबाव डाल रहा था.. क्योंकि ऐसा करने से अल्ला के खाते में उसकी नेकियाँ बढ़ जाती और उसे आल्ला का दूत कहा जाता, कि देखो भैजान उसने एक हिन्दू काफ़िर(गैर मुस्लिम) को.. इस्लाम की राह पर मोड़ दिया… परन्तु जब उस हिन्दू काफ़िर डॉक्टर चयनिका ने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उस “पढ़े-लिखे” लड़के ने उसी इस्लाम का अनुसरण करते हुए, उसकी हत्या कर दी.
हिंदुओं को अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ यह फर्क भी बताना आवश्यक है, कि कोई बड़ा आदमी चाहे तो भले ही डीएनए समान होने की बात आपको समझाता रहे… लेकिन अक्सर हॉस्टल में रहने वाली, या बाहर जाकर पढ़ाई या जॉब करने वाली लड़कियां / महिलाएं इस चंगुल में फंस ही जाती हैं, खासकर ऐसी स्थिति में आपको नवयुवा लड़कियों की संख्या १० में से ९ मिलेगी…
और इतने सारे लाईव उदाहरणों के बावजूद किसी को नहीं समझना, तो कोई बात नहीं… उन मूर्ख लड़कियों को भी नहीं समझना तो कोई बात नहीं… भाड़ में जाएं… तुम्हारे टुकड़े ऐसे ही सूटकेस से निकलते रहेंगे…
सुरेश चिपलूनकर दादा ( Suresh Chiplunkar ) से साभार…