संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मोरारी बापू की नौ दिवसीय राम कथा शुरू
मोरारी बापू की राम कथा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुरू
नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2024: जाने-माने आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में नौ दिवसीय राम कथा प्रवचन शुरू किया है। ऐसा महत्वपूर्ण आयोजन पहली बार हो रहा है, जब किसी आध्यात्मिक गुरु ने संयुक्त राष्ट्र में इस तरह का भव्य धार्मिक आयोजन किया है, जो इसके वैश्विक महत्व को उजागर करता है।
पहले दिन मोरारी बापू ने गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस की दो केंद्रीय पंक्तियों को उद्धृत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया, जिसके बाद पूरे प्रवचन का स्वर निर्धारित हो गया। पंक्तियों का भावार्थ है: यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड मेरी रचना है और मैं सभी के प्रति समान रूप से दयालु हूँ। मैं सभी से प्रेम करता हूँ क्योंकि वे मेरी रचना हैं और मनुष्य मुझे सबसे अधिक प्रिय हैं।
पूज्य बापू ने कहा कि, “रामचरित मानस का करिश्मा ही हम सभी को यहां लेकर आया है। कई साल पहले मैंने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय भवन की परिक्रमा की थी। उस समय मैंने संयुक्त राष्ट्र के अंदर कथा करने के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन कथा ने मन ही मन, इसकी इच्छा की होगी और इस तरह से आज हम यहां हैं।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि, यह राम कथा सभी भारतीयों की सद्भावना लेकर आती है तथा यह शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रवचन है। उन्होंने हिंदू धर्म के सनातन धर्म होने के संदर्भ में कहा कि, “जो ऐतिहासिक है वह पुराना और क्षीण हो सकता है, लेकिन जो आध्यात्मिक है वह शाश्वत ही रहता है।”
मोरारी बापू ने संयुक्त राष्ट्र के चार मुख्य लक्ष्यों पर चर्चा की, जिसमें : वैश्विक शांति बनाए रखना; राष्ट्रों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना; भूख, बीमारी और निरक्षरता पर विजय प्राप्त करके गरीब लोगों के जीवन में सुधार लाना तथा एक-दूसरे के अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करना शामिल है। उन्होंने पांच अतिरिक्त लक्ष्य; वैश्विक संवाद, स्वीकार्यता, सत्य, प्रेम और करुणा प्रस्तावित किए।
उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन में सहयोग के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव और उनकी टीम का आभार व्यक्त किया।
मानस वसुधैव कुटुंबकम
मोरारी बापू ने कथा का नाम “मानस वसुधैव कुटुंबकम” रखा है। वसुधैव कुटुंबकम एक संस्कृत वाक्यांश है, जो महा उपनिषद जैसे हिंदू पवित्र ग्रंथों में पाया जाता है, जिसका अर्थ “विश्व एक परिवार है” होता है। यह शब्द वर्ष 2023 में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत सरकार का विषय(थीम) भी था।
मोरारी बापू के मानवीय प्रयास विश्व भर में आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक फैले हुए हैं, जिनमें युद्धग्रस्त क्षेत्र भी शामिल हैं। बापू ने युद्ध समाप्त करने और शांति स्थापित करने के लिए यूक्रेन और रूस की सीमा पर राम कथा आयोजित करने की भी पेशकश की है। उन्होंने इजरायल में भी यही प्रस्ताव रखा था।
करुणा के प्रति बापू की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता यौनकर्मियों, ट्रांसजेंडर और समाज द्वारा अक्सर नजरअंदाज किए जाने वाले अन्य लोगों तक उनकी पहुंच स्पष्ट होती है। उनके उपदेश संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) विशेष रूप से शांति, पर्यावरणीय स्थिरता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के अनुरूप है। वह पेड़ लगाने की पुरजोर हिमायत करते रहे हैं और श्रद्धालुओं से अपने घर के पिछवाड़े में कम से कम 5 पेड़ लगाने का आग्रह करते रहे हैं।