हाईवे पर मुसलमानों के हिंदू नामों से ढाबों के पीछे क्या है इरादा?
UP and uttarakhand News: नाम वैष्णो ढाबा लेकिन मालिक मुसलमान, आखिर नाम बदलकर धंधा करने के पीछे क्या है षड्यंत्र?
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के एमडीडीए कालोनी अजबपुर में दसियों साल बाद कालोनी वालों को पता चलता है कि गंगा ज्वेलर्स का मालिक मुसलमान है। लोग एतराज़ करते हैं कि ये यहां की भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाने की चाल है और वे मालिक को नाम बदलने को मजबूर करते हैं और दुकान का नाम एमके ज्वैलर्स हो जाता है। अनजान आदमी को अभी भी पता नहीं चलेगा कि दुकान का मालिक मुसलमान है। फिर हर ओर से अनगिनत खबरें आती है मुसलमानों के फल-सब्जी, अन्य भोजन सामग्री और तैयार भोजन में थूक और पेशाब डालने,नाई की दुकानों में हिंदू ग्राहकों के मुंह और बालों पर थूकने की। रही सही कसर लव जिहाद की खबरें पूरा कर रही हैं। जाहिर है, सामाजिक वातावरण अत्यंत विस्फोटक है।
Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा से पहले देहरादून-नैनीताल हाईवे समेत तमाम हिंदू नाम वाले ढाबे फिर से तैयार हो गए हैं. इनमें से बहुत सारे ढाबे मुसलमान चला रहे हैं लेकिन वे आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं.
Hindu Name Muslim Shop UP and uttarakhand News: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा से ठीक पहले हिंदू-मुसलमान पर नया विवाद छिड़ गया है. इसके पीछे कारण है वो दुकान और ढाबे, जिसमें हिन्दू देवी देवताओं के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस समय कई दुकानें और ढाबे ऐसे हैं, जिनके मालिक तो मुसलमान हैं लेकिन उनकी दुकानों के नाम हिन्दू देवी देवताओं पर हैं. हमारी टीम ने इन दावों का रियलिटी चेक किया तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए.
मालिक मुसलमान और दुकान का नाम वैष्णो ढाबा
आस्था और धर्म के देश भारत में जब बात कारोबार की आती है तो मज़हब की दीवार गिर जाती है. धर्म से मुसलमान लेकिन ढाबे का नाम वैष्णो देवी. यूपी और उत्तराखंड में ऐसे दर्जनों ढाबे चल रहे हैं जो चला तो मुसलमान रहे हैं लेकिन उनके नाम हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं से जुड़े हैं. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि सावन के मौके पर जब शिवभक्त कांवड यात्रा पर निकलते हैं तो उन्हें इन्हीं नामों से ढाबे की तरफ खींचने की कोशिश होती है.
ढाबे में कांवड यात्रियों के लिए अलग से व्यवस्था होने का दावा किया जाता है, इन ढाबों में वेज और नॉनवेज सब कुछ बनता है लेकिन कावंडियों के सामने शुद्ध शाकाहारी ढाबा होने का दावा किया जाता है. वहीं कावंडियों की इस बात की रत्ती भर भी भनक नहीं होती कि ढाबा चलाने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग हैं. कांवड यात्रा से ठीक पहले इस मुद्दे को उठाते हुए उत्तर प्रदेश के मंत्री कपिल देव ने बताया कि कैसे मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानों का नाम हिन्दू देवी-देवताओं के नाम पर रखकर कारोबार कर रहे हैं.
देहरादून-नैनीताल हाइवे पर चल रहा गोरखधंधा
हिन्दुओं के नाम पर कारोबार कर रहे मुसलमानों की सच्चाई जानने की लिए हमारी टीम ने कई जगहों पर रियल्टी चेक किया और इस रियल्टी चेक में मंत्री कपिल देव के बयान की सच्चाई सामने आई.
हमारी टीम जब बिजनौर के देहरादून-नैनीताल हाइवे पर पहुंची तो वहां 20 से ज़्यादा ऐसे ढाबे मिले जो हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर हैं और इन्हें चलाने वाले मुस्लिम समाज के लोग हैं. इनमें श्री खाटू श्याम ढाबा, नीलकण्ठ फैमिली रेस्टोरेंट, हिमालयन ढाबा, सैनी रेस्टोरेंट, पंजाबी ढाबा, न्यू पंजाबी रेस्टोरेंट और शिव ढाबा के नाम से ढाबे चल रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में भी ऐसे ही हिन्दू देवी देवताओं के नाम पर कई ढाबे चलते पाए गए, जिसमें एक था जनता वैष्णो ढाबा और उसके मालिक भी मुस्लिम समुदाय के ही निकले, हमारी टीम ने जब ढाबा मालिक मोहम्मद अनस सिद्दीकी से बात की तो उन्होंने दावा किया कि इस नाम से उन्हें पिछले 15 सालों में कोई परेशानी नहीं हुई और कावंडियों के लिए उनके यहां विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं.
अहमद मियां चला रहे चौधरी स्वीट्स
उत्तर प्रदेश के बरेली में भी हिन्दू नाम से दुकान चलाने वाले एक मुस्लिम कारोबारी की जानकारी सामने आई. वहां चौधरी स्वीट्स के नाम से अहमद मियां कई सालों से दुकान चला रहे हैं. उसके पीछे दलील ये है कि हिन्दू धर्म के लोग उनकी दुकान से मिठाई खरीदें इसके लिए दुकान का नाम चौधरी स्वीट्स रखा गया. इस बीच हिन्दू धर्मगुरु ने कांवड यात्रा को देखते हुए मुस्लिम कारोबारियों को अपने धर्म के नाम पर दुकानें खोलने की नसीहत दी.
सिर्फ चौधरी स्वीट्स ही नहीं बरेली में ऐसी कई दुकानें हैं जो हिन्दुओं के नाम पर चल रही हैं. बताया गया कि ये ढाबे और दुकानें कई सालों से हिन्दुओं के नाम पर चल रहे हैं और मकसद सिर्फ यही है कि कारोबार चले चाहे नाम कोई भी हो.
(अजय कश्यप की रिपोर्ट)
हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर मुसलमानों के होटलों को लेकर यूपी में विवाद क्यो?
पिछले साल बीबीसी के लिए अमित सैनी, ,दिलनवाज़ पाशा की रपट
उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में कांवड़ यात्रा के दौरान इसके यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी मुसलमान मालिकों के सभी होटल और कथित तौर पर बंद करा दिए गए. इनमें मांसाहारी और शाकाहारी, दोनों तरह के ही होटल शामिल थे.
कांवड़ यात्रा मार्ग के वे सभी होटल और ढाबे क़रीब 15 दिन बंद रहे, जिनके मालिक या स्टाफ़ मुसलमान हैं. हालांकि अब ये होटल और ढाबे धीरे-धीरे खुलने लगे हैं लेकिन अब इनके सामने एक नई चुनौती है.
मुज़फ़्फ़रनगर में एक हिंदूवादी संत ने इन ढाबों के ख़िलाफ़ अब धरना शुरू कर दिया है. दो हफ़्ते तक होटलों के बंद रहने की वजह से इनके मालिकों को आर्थिक नुक़सान भी हुआ है.
कांवड़ यात्रा के मार्गों पर हाल के वर्षों की कांवड़ यात्रा के दौरान मांस या मछली की दुकानें बंद करवाई जाती रही हैं. लेकिन इस बार मुसलमान मालिकों के शाकाहारी होटल भी बंद करवा दिए गए.
इस बारे में मुज़फ़्फ़रनगर के सिटी मैजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने एक बयान में कहा, “कांवड़ यात्रा के दौरान पिछली बार एक घटना प्रकाश में आई थी. इस बार सभी होटल मालिकों की बैठक की गई और उन्हें निर्देशित किया गया कि जो आपका नाम है वही डिस्पले कीजिए, इसके अलावा कुछ और नहीं.”
वहीं मुज़फ़्फ़रनगर के ज़िलाधिकारी अरविंद बंगारी ने इस विषय पर ये कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अब कांवड़ यात्रा समाप्त हो गई है और कोई विवाद नहीं है.
कांवड़ मार्ग पर मुस्लिमों के शाकाहारी होटल और ढाबे क्यों बंद कराए गए? उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा और कितना नुक़सान हुआ? इन्हीं सवालों का जवाब तलाशने के लिए हमने मुज़फ़्फ़रनगर के कई ढाबा मालिकों से बात की.
दिल्ली-देहरादून हाईवे-58 पर स्थित चण्डीगढ़ दा ढाबा, इसके मालिक एक मुस्लिम है
ढाबा मालिकों का क्या है कहना?
कांवड़ यात्रा के मुख्य मार्ग एनएच-58 पर बाग़ों वाली चौराहा स्थित पंजाबी न्यू स्टार शुद्ध ढाबा पर हमारी मुलाक़ात सोनू पाल और सादिक़ त्यागी से हुई.
सोनू पाल बताते हैं, “मैं होटल का मालिक हूं, लेकिन मोहम्मद यूसुफ़ उर्फ़ गुड्डू होटल में पार्टनर है. ज़मीन भी मुस्लिम की ही है, जिनका नाम आलम है.”
सोनू कहते हैं, “कांवड़ का सीज़न था और प्रशासन ने हमारा होटल बंद करा दिया. फूड लाइसेंस से लेकर सारा काम मेरे यानी सोनू के नाम से ही हैं.”
वे बताते हैं, “30-35 लड़कों का स्टाफ़ है, सभी खाली पड़े रहे. सीज़न की वजह से एडवांस में सामान भी लाकर रखा हुआ था. सब ख़राब हो गया. हमे क़रीब तीन-चार लाख का नुक़सान हुआ है.”
सोनू दावा करते हैं, “किसी भी तरह का नोटिस नहीं मिला. केवल दो-चार पुलिस वाले आए और होटल बंद करा दिया. पूछने पर जवाब मिला कि तुम मुसलमान होकर हिंदू के नाम पर होटल चला रहे हो.”
पंजाबी न्यू स्टार शुद्ध ढाबा के मालिक सोनू पाल
मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन ने ऐसे होटल बंद किए जाने को लेकर कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया था.
हालांकि ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि ऐसे होटल बंद कराए गए हैं जिनके मालिक मुसलमान हैं और नाम हिंदू हैं. आगे के लिए भी कोई आदेश अभी जारी नहीं हुआ है.
एनएच-58 पर स्थित ‘वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा’ का कांवड़ यात्रा से पहले तक नाम ‘ओम शिव वैष्णो’ ढाबा था. लेकिन कांवड़ यात्रा के दौरान हुए विरोध के बाद अब इसका नाम बदल दिया गया है.
ढाबा मालिक आदिल राठौर कहते हैं, “इस होटल को पहले कंवरपाल ओम शिव वैष्णो ढाबा के नाम से चला रहे थे. इसे फिर हमने किराए पर ले लिया और इसी नाम से चलाते रहे.”
आदिल बताते हैं, “हम वेज खाना बनाते हैं. पूरा स्टाफ़ मिंटू, अमन, सोनू, बिजेंद्र और विक्की आदि सब हिंदू हैं. अंडा या प्याज़-लहसुन तक इस्तेमाल नहीं करते. फिर भी हमारे होटल को 4 तारीख़ को बंद करवा दिया. आज ही खोला है. हमें क़रीब 4-5 लाख रुपये का नुकसान हुआ है.”
वे कहते है, “कुछ स्टाफ़ बच्चों समेत ढाबे पर रहते हैं. ढाबा बंद होने के दौरान खाने-पीने की भी दिक्कत हुई. मेरा गांव 30 कि.मी. दूर खतौली के पास खोकनी नगला है, वहां से मेरा भाई ज़रूरत का सामान लेकर यहां आया.”
आदिल ये भी कहते हैं, “किराया, बिजली का बिल और कारीगरों को वेतन देने की चिंता सता रही है.”
आदिल कहते हैं, “पता नहीं था कि इससे किसी हिंदू को परेशानी हो जाएगी. इससे पहले भी मीरापुर में बाबा अमृतसरी के नाम से कई साल होटल चला चुके हैं. वहां किसी को कोई परेशानी नहीं हुई.”
वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा (पहले ओम शिव वैष्णो ढाबा) का फाईल फोटो
‘शाकाहारी खाना ही बनाया है, आगे भी शाकाहारी ही बनाएंगे’
आदिल के पिता सनव्वर राठौर ने भी यही बताया, “पहले इस होटल का नाम ओम शिव वैष्णो ढाबा था, जिसे कंवरपाल चला रहे थे. हमे ज्यों का त्यों दे दिया गया तो हमने ऐसे ही चला दिया.”
सनव्वर राठौर कहते हैं, “हम मुस्लिम राजपूत हैं. हम हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान करते हैं. हमने जब से ढाबागिरी की है, तभी से शुद्ध शाकाहारी खाना ही बनाया है और आगे भी शाकाहारी ही बनाएंगे.”
सनव्वर कहते हैं, “चाहते तो हम मुस्लिम ढाबा भी चला सकते थे. लेकिन आनंद शाकाहारी खाना बेचने में ही आता है. नाम को लेकर किसी को आपत्ति हुई तो पुलिस के कहने पर हमने बदलकर वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा कर दिया. अब आगे से हम इसी नाम से चलाते रहेंगे.”
वेलकम टू पिकनिक पॉइंट टूरिस्ट ढाबा के मुस्लिम मालिक आदिल राठौर
‘हमने कोई पहचान नहीं छिपाई’
हम इसी मार्ग पर आगे बढ़े तो नेशनल हाइवे भोपा बाइपास के पास चंडीगढ़ दा ढाबा दिखाई दिया. यहां पहुंचने पर हमारी मुलाक़ात अफ़सर अली से हुई.
अफसर अली ने बताया, “मैं यहां पर कर्मचारी हूं. मालिक कोई और है. दो कर्मचारी यहां मुस्लिम और सात हिंदू हैं. जो मुस्लिम कर्मचारी हैं, उनका काम केवल बिलिंग और सामान लाने-ले जाने का है. बाकी सारा काम हिंदू कर्मचारी ही करते हैं.”
वे कहते हैं, “कोरोना काल से होटल इंड्रस्टी का मामला गड़बड़ ही है. खर्च निकालना ही बहुत भारी हो जाता है. कांवड़ यात्रा और गर्मियों की छुट्टियां जैसे जो बड़े सीज़न आते हैं, होटल वालों का काम इन्हीं पर निर्भर रहता है. उन दिनों में ही साल भर का खर्चा निकलना होता है. इसमे हमें लाखों रुपये का नुकसान तो हुआ ही है, कर्मचारियों को भी नुक़सान हुआ है.”
अफसर कहते हैं, “ये शुद्ध शाकाहारी होटल है. यहां हम अंडा भी नहीं बनाते. क्योंकि ये हरिद्वार जाने का रास्ता है. हमें पता है कि यहां से बहुत से लोग अस्थियां लेकर भी जाते हैं. हम उनकी आस्था का पूरा सम्मान करते हैं.”
पहचान छिपाने की बात पर अफ़सर कहते हैं, “चंडीगढ़ से प्रेरित होकर ही होटल का नाम चंडीगढ़ पर रखा था. हमने कोई पहचान नहीं छिपाई है. बाक़ायदा रजिस्ट्रेशन चस्पां किया हुआ है.”
वे बताते हैं, “चौकी इंचार्ज आए थे. माहौल ख़राब होने की आशंका जताते हुए बंद करने को कहा था. उन्हीं के कहने पर हमने बंद किया था.”
हालांकि वो दावा करते हैं कि पुलिस ने प्रशासन की ओर जारी कोई नोटिस नहीं दिखाया, सिर्फ़ मौखिक आदेश दिया कि ढाबा बंद रखना हैं।
‘मुस्लिम मालिक होने से दिक्कत नहीं होनी चाहिए’
सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो भी आते हैं जिनमें मुसलमानों के होटलों पर गंदगी होने और उनके खाने में मांस आदि मिलाने के दावे किये जाते हैं.
अफ़सर इस तरह के आरोपों को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहते हैं, “अगर किसी के पास सबूत है तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन ये कहना सरासर ग़लत है कि ऐसा सभी करते हैं.”
जो हिंदूवादी संगठन मुसलमान मालिकों के होटलों के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे हैं वो भी इसी तरह के दावे करते हैं.
चंडीगढ़ दा ढाबा पर खाना बनाने वाले भोजराम कहते हैं, “मुझे यहां पर खाना बनाते हुए चार साल हो गए हैं. यहां पर अंडा, मांस-मछली कुछ नहीं बनता है. बिल्कुल शाकाहारी है. जैसा दावे किए जा रहे हैं, ऐसा कुछ नहीं है.”
ललित दीक्षित यहां के नियमित ग्राहक हैं. ललित ने बताया, “हम पिछले दो-तीन सालों से यहां खाना खाने आ रहे हैं. ज़्यादातर हम लंच यहीं करते हैं. हम ख़ुद पंडित हैं. हमें पता है ये शुद्ध शाकाहारी है और कारीगर भी हिंदू हैं. मुस्लिम मालिक होने से हमें कोई दिक्कत नहीं है और किसी और को भी नहीं होनी चाहिए.”
,चण्डीगढ़ दा ढाबा पर खाना बनाने वाले भोजराम
‘आरोप बेतुके, बेबुनियाद और घटिया हैं’
जब हम वापस हरिद्वार जाने वाले रास्ते से लौट रहे थे तो हमारी नज़र भगवान गणेश की तस्वीर लगे बंद पड़े ‘न्यू गणपति टूरिस्ट ढाबा नंबर-1’ पर पड़ी. यहां पर बझेड़ी गांव के रहने वाले वसीम मिले, जो ढाबे के मैनेजर हैं.
वसीम ने बताया, “ये होटल क़रीब दस साल से इसी नाम से चल रहा है. ज़मीन बागों वाले निवासी नसीम अहमद की है. पहले इसे वीरपाल चलाते थे. उनसे हमने ले लिया. क़र्ज़ की वजह से क़रीब दो साल पहले मैंने होटल अपने परिचित पुष्पराज सिंह उर्फ़ सोनू को बेच दिया.”
वसीम कहते हैं, “पुष्पराज के कहने पर मैं होटल संभाल ज़रूर रहा हूं, लेकिन मालिक वो ही हैं. अब कांवड़ यात्रा के दौरान एक विवाद खड़ा हो गया. प्रशासन के कुछ लोग आए और एतराज़ उठाया कि, तुम मुसलमान हो. इस वजह से इस नाम और फ़ोटो को लगाकर होटल नहीं चला सकते.”
वसीम कहते हैं, “हमारा होटल रंजिश के कारण बंद कराया गया. सभी स्टाफ़ हिंदू हैं. कांवड़ के दौरान दो-चार रुपये कमाने का वक़्त था, लेकिन हमारी वजह से मालिक का एक-डेढ़ लाख रुपये का नुक़सान हो गया.”
वसीम ये भी बताते हैं, “ कर्मचारी संतोष ने होटल बंद होने पर बाहर चाय की टपरी लगा ली,लेकिन पुलिस ने उसे भी बंद करा दिया.”
हिंदूवादी संगठनों के आरोपों पर वसीम कहते हैं, “पूरा स्टाफ़ हिंदू है. वो ऐसे कैसे खाने में कुछ मिला सकते हैं? सभी आरोप बेतुके, बेबुनियाद और घटिया हैं. ऐसा न था और न ही होगा.”
होटल का नाम बदलने और फ़ोटो हटाने के सवाल पर वसीम कहते हैं, “मैं तो कर्मचारी हूं. मालिक ही जाने कि बंद करेंगे या चलाएंगे. हालांकि मेरी राय में ये नहीं लगता कि वो नाम बदलेंगे. नाम तो शायद ये ही रहेगा. क्योंकि वो भी तो हिंदू ही हैं. तो क्या वो देवी-देवताओं की तस्वीरें नहीं लगा सकते?”
‘मुसलमान अपने नाम पर कारोबार चलाएं, हमें कोई दिक्कत नहीं’
इसी रास्ते पर इसी होटल से मिलते जुलते नाम गणपति टूरिस्ट ढाबा नंबर-1 है. इस होटल के बड़े-बड़े होर्डिंग और बोर्ड लगे हुए हैं. सभी पर ‘गुप्ता जी’ की फ़ोटो लगी हुई है.
हमने होटल मालिक से बात की तो वो बोले, “मेरी राय में मुस्लिमों को अपने ही नाम पर होटल के नाम रखने चाहिए. मुस्लिमों ने हिंदुओं के नाम पर होटल खोले हुए हैं. ये अपना नाम रखें. चाहे कुछ भी रखें. ये ग़लत ही तो है. सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए.”
गुप्ता कहते हैं, “हमारा गणपति होटल है. मुसलमानों ने भी अपने होटल के नाम में गणपति ही लगाया हुआ है. नाम बदलकर काम कर रहे हैं. अपने आप को लाला कहलवा रहे हैं. ऐसे कई सारे होटल हैं.”
अपना पूरा नाम बताने से इनकार करते हुए ‘गुप्ता जी’ बताते हैं, “हिंदू स्टाफ़ रखने से मतलब नहीं है. अपना नाम रखें न, या फिर प्रोपराइटर में अपना नाम लिखें ताकि लोगों को पता चले. फिर हमें कोई दिक्कत नहीं है.”
भारत का संविधान सभी को बराबरी का हक़ देता है और हर नागरिक के पास कारोबार करने का अधिकार है. फिर किसी के कारोबार से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है?
इस सवाल पर गुप्ता जी दावा करते हैं, “मुसलमान नाम बदलकर धोखाधड़ी करते हैं. खाने में थूक देते हैं. इस तरह के होटल बंद हुए थे. ये फिर खुल गए हैं. हमारे आसपास भी ऐसे कई होटल हैं.”
हालांकि वे इस तरह के आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं पेश कर पाते और न ही बीबीसी हिंदी इस तरह के दावों की पुष्टि करता है. वे ये ज़रूर कहते हैं कि सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो आते रहते हैं.
वे कहते हैं, “सभी अपने कारोबार को अपने-अपने नाम से चलाएं. रोजी रोटी सबको चाहिए, लेकिन ये ग़लत हो रहा है. हमारे भगवान के नाम पर क्यों किया जा रहा है? जिसे मानते हैं, उसी के नाम से होटल चलाए, फिर हमें कोई दिक्कत नहीं.
मुसलमानों के शाकाहारी ढाबों के ख़िलाफ़ अभियान
मुज़फ़्फ़रनगर में मुसलमानों के शाकाहारी ढाबों के ख़िलाफ़ स्वामी यशवीर ने अभियान चलाया है. संत होने का दावा करने वाले स्वामी यशवीर का आश्रम बघरा में है.
स्वामी यशवीर दावा करते हैं, “कई मुसलमानों के ऐसे होटल हैं, जो हिंदूओं और हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर हैं. यात्रा के दौरान हिंदू नाम और फ़ोटो देखकर इन होटलों पर खाना खाते हैं.”
स्वामी यशवीर ने कई ऐसे उदाहरण दिए और बोले, “ये लोग खाने में थूक भी रहे हैं और मूत्र भी कर रहे हैं. तो ऐसे जिहादियों पर हम विश्वास नहीं कर सकते.”
स्वामी यशवीर ने इन होटलों पर खाने में थूकने, मूत्र करने और गाय का मांस डाले जाने की आशंका भी जताई.
यशवीर कहते हैं, “इसलिए हमने इनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई. ये लोग मुस्लिम होकर हिंदू या हिंदू देवी-देवताओं के नाम से नहीं, बल्कि अपने और अपने मज़हब के नाम से होटल चलाए तो हमे कोई परेशानी नहीं है.”
कांवड़ यात्रा के दौरान बंद होने वाले मुस्लिम होटलों पर हिंदू स्टाफ़ को लेकर स्वामी यशवीर कहते हैं, “ये सब भ्रमित करने वाली बात है. इन होटलों के संचालक भी मुसलमान हैं और स्टाफ़ भी मुसलमान हैं.”
हिंदू देवी देवताओं के फोटो और नाम पर मुस्लिम होटल-ढाबों का मुद्दा उठाने वाले स्वामी यशवीर महाराज
कांवड़ यात्रा के दौरान बंद हुए होटलों के दोबारा खोले जाने को लेकर स्वामी यशवीर महाराज कहते हैं, “अगर नाम नहीं बदले तो हम उन्हीं होटलों के बाहर से शांति पूर्वक धरना प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे.”
ग्राहक किस होटल पर खाना खाएंगे ये उनकी अपनी पसंद है लेकिन मुज़फ़्फ़रनगर में इस तरह के आरोपों और अभियान के चलते एक वर्ग को कारोबार से दूर किया जा रहा है. इसे लेकर मुसलमान होटल मालिकों में चिंता भी व्याप्त है.
आदिल सवाल उठाते हैं, “हम कई सालों से यहीं कारोबार करते आ रहे हैं. अगर हमारे होटल बंद कराए गए तो हम आगे क्या करेंगे? हमें कारोबार करने का हक़ है. हम ये समझ नहीं पा रहे कि हमारे साथ ऐसा भेदभाव क्यों हो रहा है.”
उधर स्वामी यशवीर महाराज कांवड़ यात्रा के ख़त्म होने के बाद खुले इन ढाबों के ख़िलाफ़ एक बार फिर सड़क पर उतरते हुए मुज़फ़्फ़रनगर ज़िलाधिकारी के दफ़्तर के बाहर अपने समर्थकों के साथ भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.