सरकार तो एनडीए की ही, फिर शेयर बाजार पातालगामी क्यों?

Stock Market Crash: चुनाव नतीजों में NDA की वापसी तय, फिर क्यों लुढ़का शेयर बाजार, डर क्या है?
Lok Sabha Election Result के दिन मंगलवार को शेयर बाजार में सुनामी आई और सेंसेक्स (Sensex) 6000 अंक का गोता लगा गया. निफ्टी (Nifty) में भी जोरदार 1900 अंकों तक की गिरावट आई. मार्केट में इस गिरावट के पीछे कारण कई हैं, जिनमें कुछ डर भी शामिल हैं।

एनडीए की वापसी के रुझानों के बावजूद बिखरा शेयर बाजार

नई दिल्ली,04 जून 2024,लोकसभा चुनाव के नतीजों (Election Results) का आना जारी है और जैसे-जैसे आंकड़े सामने आते जा रहे हैं, शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट भी घटती जा रही है. मार्केट खुलने के साथ ही मंगलवार को Stock Market Crash हो गया था और दोपहर 12 बजे तक तो सेंसेक्स 6000, जबकि निफ्टी 1900 अंक तक बिखर गया. हालांकि, इसके बाद बाजार ने करीब 2000 अंकों की रिकवरी की. इस बीच सबसे बड़ा सवाल ये है कि लोकसभा इलेक्शन परिणाम आने पर अचानक शेयर बाजार में ये सुनामी क्यों आई, आखिर चुनाव नतीजों में PM Modi के नेतृत्व में एनडीए (NDA) की वापसी तय होने के बावजूद बाजार क्यों लुढ़का और ऐसा कौन सा डर मार्केट को सता रहा है?

झटके में निवेशकों के 45 लाख करोड़ डूबे

इस डर का कारण जानने से पहले शेयर मार्केट (Share Market) में आज हुए कारोबार की बात कर लेते हैं. तो बता दें कि सुबह 9.15 बजे पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स (Sensex) 1700 अंक, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 400 अंक फिसलकर खुला था. फिर जैसे-जैसे चुनाव के नतीजे (Election Results) आने शुरू हुए, बाजार बिखरता चला गया. दोपहर  12 बजे के आस-पास सेंसेक्स 6000 अंक तक टूट गया था और निफ्टी भी 1900 अंक तक फिसल गया था. हालांकि, मार्केट क्लोज होने तक इसमें रिकवरी देखने को मिली और सेंसेक्स में 4389.73 अंक या 5.74% गिरकर 72,079.05 पर बंद हुआ और निफ्टी में 1379.40 या 5.93% टूटकर 21,884.50 के लेवल पर क्लोज हुआ. शेयर बाजार में आई इस सुनामी में Stock Market Investors के 45 लाख करोड़ रुपये डूब गए.
क्या सहयोगियों के साथ बनानी पड़ेगी सरकार?
चुनावी नतीजों के अब तक के रुझान देखें, तो भले ही अबकी बार एनडीए 400 पार होती नहीं दिख रही, लेकिन फिर भी सत्ता में तीसरी बार उसकी वापसी लगभग तय मानी जा रही है. खबर लिखे जाने तक NDA को 294 सीटें मिलती दिख रही थीं, जबकि BJP की अनुमानित सीटों का आंकड़ा लगभग 244 है. यानी इस बार पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख नहीं रहा और भाजपा को गठबंधन के सहयोगी दलों की मदद से सरकार बनानी होगी. यही शेयर बाजार का भी सबसे बड़ा डर है.

दरअसल, Share Market का इतिहास देखें, तो देश में स्पष्ट बहुमत की सरकारों में इसने शानदार ग्रोथ पाई है. उन सरकारों की तुलना में जो गठबंधन से  सत्ता में आई हैं. Sensex-Nifty में 10 साल के आंकड़े इसका प्रमाण  हैं.

स्पष्ट बहुमत की सरकार में जबरदस्त ग्रोथ

साल 2014 में BJP को स्पष्ट बहुमत मिला और साल 2019 में भी जोरदार जीत से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्ता में आई. इन 10 सालों के BSE Sensex में 50000 अंकों से ज्यादा का उछाल आया है. 2014 में सेंसेक्स 21,222 के स्तर पर था, लेकिन स्पष्ट बहुमत वाली मोदी सरकार के कार्यकाल में 76000 का आंकड़ा पार करते हुए इतिहास रच दिया. यही नहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने भी इतिहास रचा. इसी 21 मई को BSE Market Cap 5 ट्रिलियन डॉलर का स्तर छू गया और भारतीय शेयर बाजार दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा बाजार बन गया.

इकोनॉमी की रफ्तार का भी साथ

शेयर बाजार सेंटीमेंट पर कई कारक असर डालते हैं. इनमें स्पष्ट बहुमत की सरकार के साथ ही इकोनॉमी की दिशा में सरकार के बड़े कदम भी शामिल हैं.  इंडियन इकोनॉमी पिछले 10 साल में दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर उभरी है और तेज रफ्तार से ये विश्व की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी भी बनी है. अब यहां भी बाजार के डर से जुड़ी एक खास बात है.वो ये कि स्पष्ट बहुमत वाली सरकार को कड़े फैसले लेने और उन्हें लागू करने को किसी दवाब का सामना नहीं करना होता है. इससे उलट गठबंधन सरकार को ऐसे फैसलों को सहयोगियों की सहमति की जरूरत होती है और इसमें कई बार उसे अपने फैसले बदलने तक पड़ जाते हैं.

उदाहरण से समझें आखिर क्यों डर रहा शेयर बाजार?
इस पूरे मामले में लोकसभा चुनावों में एक बातचीत में प्रशांत किशोर (PK) के मोदी सरकार के 100 दिन के एजेंडे को लेकर जताए गए अनुमान से समझा जा सकता है. पीके ने कहा था कि तीसरी बार सत्ता में वापसी पर Modi Govt सबसे पहला काम राज्यों की फाइनेंशियल ऑटोनोमी में कटौती कर सकती है. केंद्र कुछ ऐसे फैसले ले सकता है, जिससे राज्यों के रेवेन्यू पर असर पड़ सकता है. इसके लिए सबसे बड़ा कदम पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) को जीएसटी में लाया जा सकता है. अगर ऐसा होता है, तो फिर राज्यों के रेवेन्यू पर असर पड़ेगा.
दरअसल, राज्यों के पास राजस्व के तीन सबसे प्रमुख स्रोत हैं और इनमें पेट्रोलियम पदार्थों के अलावा शराब और भूमि शामिल हैं. अगर, पेट्रोल-डीजल जीएसटी (Petrol-Diesel GST)  में आया, तो राज्यों का वैट खत्म हो जाएगा. हालांकि, ऐसे में जो पैसा राज्यों को पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स से सीधे मिल जाता था, अब वो केंद्र के पास जाएगा और राज्यों को वहां से मिलेगा. मतलब साफ है कि अगर देश में स्पष्ट बहुमत वाली सरकार होगी, तो ये संभव होगा, नहीं तो गठबंधन सरकार को अपने सहयोगी राज्यों की सहमति लेनी होगी और ऐसा भी हो सकता है कि संबंधित राज्य अपने राजस्व में इस तरह की कटौती के फैसले के पक्ष में न हों.

शेयर बाजार में मंगलवार को आई गिरावट के पीछे इस तरह का डर भी एक कारण माना जा सकता है क्योंकि Exit Poll के अनुमानों में जब भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिलने से जुड़े आंकड़े सामने आए थे, तो अगले ही दिन शेयर बाजार ने भी तूफानी तेजी के साथ इतिहास रच दिया था.लेकिन जैसे ही मंगलवार को चुनावी नतीजों वाले दिन ये अनुमान हकीकत बनते नहीं दिखे,तो Share Market में हाहाकार मच गया.

इससे पहले 23 मार्च, 2020 को कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लगाए जाने पर सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 13% की गिरावट हुई थी। पीएसयू,सार्वजनिक बैंकों, बिजली,ऊर्जा,तेल और गैस तथा पूंजीगत वस्तुओं के शेयरों में भारी मुनाफावसूली हुई।

अनिश्चितता से गिरा बाजार, एनडीए सरकार की आशा में संभला 
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, कि‘आम चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों ने घरेलू बाजार में डर पैदा किया। इस वजह से हाल में हुई भारी तेजी पलट गई। इसके बावजूद, बाजार ने भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन के भीतर स्थिरता की अपनी उम्मीद को बनाए रखा।’
उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक अर्थशास्त्र पर ध्यान केंद्रित करने वाली राजनीति में बड़ा बदलाव होगा, जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
नरेन्द्र मोदी सरकार जब 16 मई, 2014 को सत्ता में आई थी, तब सेंसेक्स 261.14 अंक या 0.90 प्रतिशत बढ़कर 24,121.74 अंक पर बंद हुआ था। उस दिन निफ्टी 79.85 अंक या 1.12 प्रतिशत बढ़कर 7,203 अंक पर पहुंच गया था।

दूसरी बार सत्ता में आने पर बाजार ने लगाई थी दौड़
मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने पर 23 मई, 2019 को सेंसेक्स 298.82 अंक या 0.76 प्रतिशत की गिरावट से 38,811.39 अंक पर बंद हुआ था। इस दिन निफ्टी 80.85 अंक या 0.69 प्रतिशत की गिरावट के साथ 11,657.05 अंक पर बंद हुआ था।

सेंसेक्स की कंपनियों में एनटीपीसी में सबसे अधिक करीब 15 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके अलावा एसबीआई में 14 प्रतिशत, एलएंडटी में 12 प्रतिशत और पावर ग्रिड में 12 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।

टाटा स्टील, इंडसइंड बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू स्टील में भी उल्लेखनीय गिरावट हुई। दूसरी ओर हिंदुस्तान यूनिलीवर में छह प्रतिशत और नेस्ले में तीन प्रतिशत की तेजी आई। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एशियन पेंट्स और सन फार्मा भी लाभ में रहे।

एफएमसीजी को छोड़कर सभी क्षेत्रीय सूचकांक नुकसान के साथ बंद हुए। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने सोमवार को 6,850.76 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.88 प्रतिशत गिरकर 76.89 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर आ गया।

TOPICS: गठबंधन सरकार शेयर बाजार,लोकसभा चुनाव 2024,नरेंद्र मोदी राहुल गांधी,पेट्रोल डीजल,जीएसटी
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