पाक उलेमा ने चेताया:इमाम हुसैन के बहाने हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने से बचें मुसलमान
बांग्लादेश में हिंसा के बाद पाकिस्तान के इस धर्म गुरु ने भारतीय मुसलमानों के लिए जारी की ये एडवाइजरी
देहरादून 15 अगस्त 2024 । पाकिस्तान के धर्म गुरु इंजीनियर मोहम्मद अली मिर्जा ने कहा है कि इस्लाम में किसी भी हथियारबंद विद्रोह की इजाजत नहीूं है. किसी भी सरकार के खिलाफ हथियार उठाना गैर इस्लामी है. इससे देश में अनार्की फैलती है. इसके साथ ही सरकार में काबिज लोगों के पास हथियार है, ऐसे में वो बेगुनाहों की हत्या कर देंगे. लिहाजा, मैं भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे अपने यहां अपनी सरकारों के खिलाफ किसी तरह की हिंसक गतिविधियों में शामिल न हो.
Bangladesh Student Protest: बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के आरक्षण के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के बाद सत्ता परिवर्तन हो चुका है. लेकिन, अब भी वहां के हालात सामान्य नहीं हुए हैं. पूर्ववर्ती सत्ताधारी अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ हिंसा का दौर जारी है. इस बीच पाकिस्तान के धर्म गुरु इंजीनियर मोहम्मद अली मिर्जा (Engineer Muhammad Ali mirza) ने हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त बयान दिया है.
दरअसल, सऊदी अरब में रह रहे एक बांग्लादेशी युवक रैहान ने उनसे सवाल पूछा था कि उनके देश में एक डिक्टेटर ने कब्जा जमा लिया है. ऐसे डिक्टेटर के खिलाफ कुरआन और हदीस में किया पैगाम दिया गया है. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इस्लाम में किसी भी हथियारबंद विद्रोह की इजाजत नहीं है. किसी भी सरकार के खिलाफ हथियार उठाना गैर इस्लामी है. इससे देश में अनार्की फैलती है. इसके साथ ही सरकार में काबिज लोगों के पास हथियार है, ऐसे में वो बेगुनाहों की हत्या कर देंगे. लिहाजा, मैं भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों से अपील करना चाहूंगा कि वे अपने यहां अपनी सरकारों के खिलाफ किसी तरह की हिंसक गतिविधियों में शामिल न हो.
हजरत इमाम हुसैन का सहारा लेना गलत
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी सरकार को ग़लत या गै़र इस्लामी बता कर विद्रोह करते हैं. फिर अपने विद्रोह को जायज़ ठहराने के लिए हज़रत इमाम हुसैन की उस वक्त के शासक यज़ीद बिन मुआविया के खि़लाफ़ खु़रूज को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं, जो पूरी तरह ग़लत है.
ऐसे लोगों की क्लास लगाते हुए उन्होंने कहा कि न तो आज का शासक यजीद है और न ही आपका नेता इमाम हुसैन है, लिहाजा किसी भी ऐसी एक्टिविटी को इमाम हुसैन के नाम पर जायज नहीं ठहराया जा सकता है. इमाम हुसैन के जमाने के लोग पैगम्बर मुहम्मद के प्रशिक्षित लोग थे. ऐसे में उनके फैसले को आज के नेताओं के फैसले से तुलना करना बिल्कुल ही गलत है.
लोकतांत्रिक तरीके से राजनीतिक संघर्ष करने की दी सलाह
उन्होंने हिंसक विद्रोह की जगह अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने की सलाह दी. इसके साथ ही उन्होंने प्रश्न पूछने वाले बांग्लादेशी शख्स को बताया कि देखिए, आप लोगों के संघर्ष से चीजें बदल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. लिहाजा, किसी भी और मामले में भी राजनीतिक संघर्ष करें, ऐसा करने से समस्याओं का हल निकल जाता है.
उन्होंने अमेरिका और यूरोप का हवाला देते हुए कहा कि इस वक्त वहां जो अमन, तरक्की और इंसाफ का राज कायम है. वह एक दिन में तो कायम नहीं हुआ है. उसके पीछे वर्षों का संघर्ष है. इसलिए, लोकतांत्रिक रास्ता अपनाना ही सही तरीका है.
सशस्त्र संघर्ष से सत्ता बदलने से भी नहीं बदलते हैं हालात
सशस्त्र विद्रोह का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आप सशस्त्र विद्रोह कर किसी को सत्ता से हटा भी देंगे, तो आप सत्ता में तो आएंगे नहीं. फिर से उसी पार्टी का या किसी और पार्टी का कोई सत्ता में आ जाएगा. इससे हालात बदलेंगे नहीं, इससे बेहतर ये हैं कि जो सिस्टम कायम है, उसके अंदर रहते हुए लोकतांत्रिक तरीके से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया जाए, तो इसके नतीजे अच्छे आएंगे.