28 मई को करेंगें मोदी ने संसद भवन का उद्घाटन
नए संसद भवन का उद्धाटन 28 मई को प्रधानमंत्री करेंगे:पुरानी बिल्डिंग से 17 हजार वर्गमीटर बड़ा; 28 महीने में बनकर तैयार हुआ
64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन चार मंजिला है।
नई दिल्ली 18 मई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई पार्लियामेंट बिल्डिंग (संसद भवन) का उद्धाटन 28 मई को करेंगे। नए संसद भवन के सिविल स्ट्रक्चर की सफाई शुरू हो गई है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में बनी ये बिल्डिंग प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया।
4 मंजिला बिल्डिंग, भूकंप का असर नहीं
64 हजार 500 वर्ग मीटर में बना नया संसद भवन 4 मंजिला है। इसमें 3 दरवाजे हैं, इन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार नाम दिया गया है। सांसदों और VIPs के लिए अलग एंट्री है। नया भवन पुराने भवन से 17 हजार वर्ग मीटर बड़ा है। इस पर भूकंप का असर नहीं होगा। इसका डिजाइन HCP डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार किया है। इसके आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं।
संविधान हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी
नई बिल्डिंग की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है। कहा जा रहा है कि इस हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी। इसके अलावा महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं।
नई संसद की विशेषता
अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है।
अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।
लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।
कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।
कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।
जनवरी 2021 में शुरू हुआ था निर्माण
तिकोने आकार के नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तब उन्होंने कहा था कि संसद की नई बिल्डिंग से अधिक सुंदर कुछ नहीं हो सकता, जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मनाएगा।
क्यों बनाई गई नई बिल्डिंग
मौजूदा संसद भवन को 95 साल पहले 1927 में बनाया गया था। मार्च 2020 में सरकार ने संसद को बताया था कि पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। इसके साथ ही लोकसभा सीटों के नए सिरे से परिसीमन के बाद जो सीटें बढ़ेंगीं, उनके सांसदों के बैठने के लिए पुरानी बिल्डिंग में पर्याप्त जगह नहीं है। इसी वजह से नई बिल्डिंग बनाई जा रही है।
पिछले साल राजपथ को मिला था कर्तव्य पथ नाम
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक 3 किलोमीटर लंबे सड़क का रिडेवलपमेंट किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 सितंबर को इसका उद्घाटन किया था। उन्होंने उसी दिन इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्य पथ करने का ऐलान किया था।
PM आवास भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा
कर्तव्य पथ, संसद भवन के अलावा प्रधानमंत्री का ऑफिस-घर, सेंट्रल सेक्रेटेरियट की बिल्डिंग और वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव भी सेंट्रल विस्टा पावर कॉरिडोर का हिस्सा हैं। इन्हें केंद्र सरकार की एजेंसी CPWD बना रही है।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन, मोदी बोले- गुलामी का प्रतीक राजपथ अब कर्तव्य पथ बन गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर 2022 को शाम 8 बजे इंडिया गेट के सामने कर्तव्य पथ का उद्घाटन किया। वे शाम 7 बजे कर्तव्य पथ पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया। 19 महीने तक लगातार चले काम के बाद सेंट्रल विस्टा एवेन्यू बनकर तैयार हुआ है।
सेंट्रल विस्टा एवेन्यू पर पहला दिन; लॉन से लाइट तक सब नया, उड़ती धूल और खराब फव्वारे अब नहीं
लुटियंस जोन, दिल्ली का सबसे पॉश इलाका। देश का पावर कॉरिडोर। इंडिया गेट, संसद भवन, PMO, राष्ट्रपति भवन, मिनिस्ट्री ऑफिस… सब कुछ यहीं, इसी इलाके में है। यही है सेंट्रल विस्टा एवेन्यू। जैसे ही आप इंडिया गेट के सामने पहुंचेंगे, 3.2 किमी लंबा भव्य ‘कर्तव्य पथ’ दिखाई देगा। ये इंडिया गेट से शुरू होकर राष्ट्रपति भवन तक जाता है।
सेंट्रल विस्टा के डिजाइनर बिमल पटेल, आज पश्चिम से पूरब तक रीडेवलपमेंट के मास्टर आर्किटेक्ट
दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट, वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर, अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट डेवलपमेंट और पुरी में जगन्नाथ मंदिर की मास्टर प्लानिंग- भारत के कल्चरल और अरबन लैंडस्केप के ये सभी सिंबल्स भले ही देश के अलग-अलग कोनों में स्थित हैं, लेकिन इनके मास्टर आर्किटेक्ट एक ही हैं- बिमल पटेल।