पद्यश्री कृषक रामशरण वर्मा की समझ से बाहर है किसान आंदोलन
यूपी: हाई स्कूल फेल पद्मश्री किसान रामशरण वर्मा उगा रहे हरा सोना, नये कृषि कानून का किया समर्थन
किसान भले ही आंदोलन कर रहे हैं लेकिन इस बीच बाराबंकी के किसान रामशरण वर्मा ने खेती में नई तकनीक का इस्तेमाल कर बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने कृषि कानून का समर्थन भी किया.
बाराबंकी 29 दिसंबर ( सतीश कश्यप): एक तरफ किसान कृषि कानून को लेकर आंदोलन कर रहे हैं तो वहीं हम आपको मिलवाएंगे एक ऐसे किसान से जिन्होंने महज 3 एकड़ से खेती शुरू की थी और आज 300 एकड़ पर वह ग्रुप फार्मिंग करते हैं. अब तक 50,000 से ज्यादा किसानों को वह खेती की नई तकनीक और विधा पर जागरूक कर चुके हैं. इतना ही नहीं खेती और किसानी के लिए उन्हें देश के सर्वोच्च पुरस्कार में से एक पदम श्री से भी सम्मानित किया गया है. उनकी मानें तो जिस कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर किसान विरोध कर रहे हैं वह तो लंबे समय से देश में की जा रही है. बाराबंकी के रहने वाले इस किसान ने देश और प्रदेश का मान बढ़ाया है.
पद्मश्री से सम्मानित
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग साथ आते गये और कारवां बनता गया. “मंजिलें उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उडान होती है” इन्ही चंद शब्दों को चरितार्थ करके दिखाया उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जनपद के हाई स्कूल फेल हाईटेक किसान रामशरन वर्मा ने, जिन्होंने अपने छोटे से गांव में रहकर वो कामयाबी हासिल की है जिसका कायल आज हर वो इन्सान है जिसने सपनों को सपनों तक ही सीमित रखा हकीकत में कभी नहीं सोची. सपनों को हकीकत में बदल दिया है रामशरण वर्मा ने अपने छोटे से गांव दौलतपुर में आज यहां बड़े से बड़े अधिकारी, विधायक, मंत्री और देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों का भी यहां आना जाना लगा रहता है. रामशरन वर्मा को प्रदेश में कृषि क्षेत्र में उन्हें पदमश्री से भी सम्मानित किया गया है.
खेती से सब कुछ हासिल किया
उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे 30 किमी दूर बाराबंकी जनपद में खेतों से यहां उगता है हरा सोना और ये सोना जमीन से उगाने वाला वो मामूली इंसान हैं जो आज करोड़पति है.हाई स्कूल फेल होने के बावजूद उन्होंने आज वो सब करके दिखा दिया,जिसे पढ़ाई की बड़ी बड़ी डिग्री लेने के बाद भी लोग इतना बड़ा मुकाम हासिल नहीं कर पाते. वो महज इतनी कम पढाई करके मेहनत और लगन से जिंदगी में वो सब हासिल कर लिया जिसकी वजह से आज उत्तर-प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी उनका नाम प्रसिद्ध है. उन दिनों में जब किसान खेती छोड़कर अधिक लाभ के लोभ में शहरों की तरफ पलायन कर रहे थे तो ऐसे समय में रामशरण वर्मा खेतों से हरा सोना पैदा करने का सपना देख रहे थे. यदि कोई किसान सालाना खेती के जरिये ही करोड़ों रुपये टर्नओवर की बात करे तो जरूर एक अजूबा लगता है और यही अजूबा देखने बाराबंकी के ग्राम दौलतपुर अक्सर लोग जाया करते हैं.
खेती की उन्नत तकनीक सीखने आते हैं
किसानों के साथ साथ रामशरण वर्मा से हाईटेक खेती सीखने तमाम वीआईपी हस्तियां भी उनके फ़ार्म हाउस पर पहुंचते हैं. बीते कुछ वर्षों में प्रदेश के राजनैतिक लोग भी रामशरण वर्मा की हाई-टेक एग्रीकल्चरल फ़ार्म हाउस को देखकर दंग रह गए. रामशरण वर्मा के खेतों से हरा सोना उगते देखने की जिज्ञासा ने बीते दिनों में विदेश के किसानों को भी दौलतपुर गांव पंहुचा दिया.
बाराबंकी मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर बसे गांव दौलतपुर में आज कृषि क्षेत्र में अजूबा देखने को मिलता है. जहां रामशरण वर्मा का कृषि फार्म हाउस देखते ही बनता है. मामूली किसान से करोड़पति बने हाई टेक किसान रामशरण वर्मा को अब तक दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं.
कृषि कानून का समर्थन
कृषि कानून पर रामशरण का कहना हैं कि हम किसान भाइयों के साथ में हैं.हमारे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान भाई क्यों आंदोलन कर रहे हैं? कानून में दो तीन बातें ही हैं जो हमारी सरकार कह रही है कि हम एमएसपी जारी रखेंगे,दूसरा हमारा मंडी है,तीसरा कोई भी आदमी कहीं भी कुछ भी खाद्यान्न ले जा सकता है,खरीद सकता है. उन्होंने कहा कि हम तो यही मानते हैं कि पिछले साल से ज्यादा धान हमारा बाराबंकी जिले में खरीद रहे हैं.
रामशरण वर्मा बताते हैं कि उनके पास पुश्तैनी तीन एकड़ जमीन थी.जिसमें उनके पिताजी खेती करते थे.रामशरण आगे बताते हैं कि उनकी सफलता का राज उनके द्वारा खेतों पर रहकर पेड़ पौधों से सुख दुख की बातें करना है.उन्होंने बताया 1986 से वह तीन एकड़ जमीन से आज वह 300 एकड़ पर खेती कर रहे हैं.उनका कहना है कि खेती में मेहनत बहुत जरूरी है.उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई जिलों से किसान उनके फार्म हाउस पर आकर उनकी खेती की तकनीक सीखते हैं.उन्होंने कहा उन्हें बड़ी खुशी होती है जब कोई उनसे खेती के बारे में जानकारी लेने उनके पास आता है.
उत्तर भारत में एग्री टूरिज्म का केंद्र बनेगा दौलत पुर
-अयोध्या आने वाले पर्यटकों को मिलेगा पद्मश्री रामसरन वर्मा के कृषि प्रक्षेत्र में घूमने का मौका
वह दिन दूर नहीं जब उत्तर भारत में दौलतपुर एग्री टूरिज्म का सबसे बड़ा केंद्र होगा और जिसका सीधा ताल्लुक अयोध्या से रहेगा। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण पूरा होने के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को खेती-किसानी की तकनीक देखने और सीखने की सुविधा मिल सकेगी, वह भी पर्यटक के तौर पर।
बाराबंकी के दौलतपुर निवासी पेशे से किसान पद्मश्री रामसरन वर्मा का इरादा अगले दो से तीन वर्षों में एग्री टूरिज्म शुरू करने का है। वे रामनगरी आने वाले उन श्रद्धालुओं को अपने कृषि प्रक्षेत्र के रूप में नया पर्यटन केंद्र देना चाहते हैं, जो खेती-किसानी में रुचि रखते हैं। इससे न सिर्फ खेती में रुचि रखने वाले पर्यटक व श्रद्धालु उन्नत कृषि तकनीक जान सकेंगे, बल्कि टूरिज्म इंडस्ट्री को भी वर्मा के प्रक्षेत्र के रूप में नया केंद्र मिलेगा।
दौलतपुर स्थित रामसरन वर्मा के कृषि प्रक्षेत्र को देखने के लिए अब तक करीब 20 लाख लोग आ चुके हैं। इनमें सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि फिलीपींस, केन्या, बांग्लादेश, वियतनाम समेत 40 से ज्यादा देशों के किसान, विज्ञानी और शोधार्थी हैं। अब वर्मा अपने प्रक्षेत्र को एग्री टूरिज्म केंद्र के तौर पर विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें न सिर्फ रहने और खाने की सुविधा होगी, बल्कि लघु एवं सीमांत किसानों को खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी निश्शुल्क दी जाएगी। एग्री टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वे अपने प्रक्षेत्र में हेलीपैड बनाएंगे। वर्मा की योजना उनके प्रक्षेत्र पर आने वालों को अयोध्या और अयोध्या आने वालों को उनके प्रक्षेत्र में घूमने का अवसर सुलभ कराने का है।
नरेंद्रदेव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में रविवार से आरंभ हुए कृषि मेले में शामिल होने आए रामसरन वर्मा ने ‘जागरण’ से यह जानकारी साझा की। उनका कहना है कि हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक अयोध्या आते हैं। इसमें बड़ी संख्या में किसान भी होते हैं। ऐसे में यदि उन्हें पर्यटन के साथ खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी मिले तो यह एक पंथ दो काज होगा। इसके लिए कृषि विभाग का भी सहयोग लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रक्षेत्र पर आने वाले किसानों को भी अयोध्या दर्शन की सुविधा शुरू की जाएगी। वे कहते हैं कि देखकर सीखने का तरीका, पढ़ने या सुनने से भी अच्छा है। इसीलिए एग्री टूरिज्म शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
मिलेगी ये जानकारियां
रामसरन वर्मा का इरादा किसानों को भारत के अलग-अलग राज्यों की खेती की जानकारी देना है। इसमें किसानों को यह बताया जाएगा कि दूसरे राज्यों की कौन-कौन सी प्रजातियों की पैदावार उत्तर भारत में कम लागत से की जा सकती है। यह भी जानकारी साझा की जाएगी कि विदेशी फसलों की कौन सी प्रजाति यहां उगाई जा सकती है। किसानों से सीधे फसलों को खरीदने वाले व्यापारियों की जानकारी भी दी जाएगी और कृषकों को विपणन का तरीका भी बताया जाएगा।
अयोध्या से 80 किमी है दूरी
बाराबंकी स्थित दौलतपुर से अयोध्या की दूरी करीब 80 किलोमीटर है। अयोध्या से दौलतपुर तक का मार्ग भी अच्छा है। इस वजह से यह दूरी तय करने में मुश्किल से डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। अयोध्या से बस की सुविधा भी उपलब्ध है,जबकि आप अपने निजी साधन से भी जा सकते हैं।