बायडन से वार्ता: दुनियाभर को खिलाने के मोदी के प्रस्ताव में है दम

India Foodgrains Production: 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन देने वाला भारत दुनिया को खिलाने को तैयार, मोदी की बात में दम है, आंकड़ों से समझिए

दुनिया में जगह-जगह खाने-पीने की चीजों की कमी होने लगी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukraine War)। अब वहां से निर्यात नहीं हो पा रहा है और खेती पर भी असर पड़ रहा है। ऐसे में भारत ने दुनिया को खाद्यान्न मुहैया कराने का ऑफर दिया है। प्रधान मंत्री ने बाइडेन के सामने प्रस्ताव रखा है कि भारत दुनिया को खाद्यान्न सप्लाई करने को तैयार है।

हाइलाइट्स
1-दुनिया में जगह-जगह खाने-पीने की चीजों की कमी होने लगी है
2-इसकी सबसे बड़ी वजह है रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध
3-अब वहां से निर्यात नहीं हो पा रहा है और खेती पर भी असर पड़ रहा है
4-ऐसे में भारत ने दुनिया को खाद्यान्न मुहैया कराने का ऑफर दिया है
5-प्रधानमंत्री मोदी ने बाइडेन के सामने प्रस्ताव रखा है कि भारत दुनिया को खाद्यान्न सप्लाई करने को तैयार है

नई दिल्ली 15 अप्रैल : जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध (Russia Ukrain War) शुरू हुआ तो पूरी दुनिया को ये बात समझ आ गई थी कि इसका असर उन पर भी पड़ेगा। हुआ भी वैसा ही। कच्चे तेल की सप्लाई बाधित हुई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Price) आसमान छूने लगे। गैस के दाम (Gas Price) भी रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हैं। सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि अब दुनिया में जगह-जगह खाने-पीने की चीजों की कमी होने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि रूस और यूक्रेन दुनिया को खाने-पीने की बहुत सारी चीजें सप्लाई (Foodgrains supply) करते हैं और युद्ध के चलते वह सब रुक गया है। ऐसे में जो बाइडन से हुई बातचीत में पीएम मोदी ने प्रस्ताव दिया है कि अगर विश्व व्यापार संगठन (WTO) इजाजत देता है तो भारत अपने भंडार से खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति (India Foodgrains Production) दुनिया को कर सकता है।

रूस-यूक्रेन युद्ध से किन चीजों पर पड़ा असर

अगर बात रूस और यूक्रेन से दुनिया को सप्लाई होने वाली चीजों की करें तो गेहूं, मक्का और सूरजमुखी तेल निर्यात के मामले में ये दुनिया के सबसे बड़े देश हैं। इन दोनों देशों को तो यूरोप के ब्रेड बास्केट के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया में कुल गेहूं निर्यात का करीब 30 फीसदी और मक्के का निर्यात करीब 20 फीसदी इन्हीं दोनों देशों से होता है। बात अगर सूरजमुखी तेल की करें तो यूक्रेन सबसे बड़ा उत्पादक है और रूस दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक। तुर्की और मिस्र जैसे देश तो करीब 70 फीसदी गेहूं रूस और यूक्रेन से आयात करते आ रहे हैं। वहीं यूक्रेन अब तक चीन का सबसे बड़ा मक्का सप्लायर रहा है। दोनों देशों के बीच हो रहे युद्ध से इन सभी चीजों का सकंट पैदा हो गया है।

भारत कर सकता है दुनिया की ये जरूरतें पूरी

 

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बातचीत के दौरान ऑफर दिया कि अगर विश्व व्यापार संगठन (WTO) अनुमति देता है तो भारत अपने भंडार से दुनिया भर को खाने-पीने की ये चीजें सप्लाई कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया के तमाम हिस्सों में खाने-पीने की चीजों की कमी हो गई है। दुनिया एक नए संकट का सामना कर रही है, खाने की चीजों का भंडार कम हो रहा है, अगर डब्ल्यूटीओ इजाजत दे तो भारत तुरंत खाद्य सप्लाई शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास पर्याप्त खाद्यान्न है और अब देश के किसानों ने दुनिया को भी खिलाने की व्यवस्था कर ली है।

गेहूं-चावल की भारत में कितनी खपत और कितना स्टॉक?

भारत में हर साल करीब 1050 लाख मीट्रिक टन गेहूं (करीब 88 लाख मीट्रिक टन प्रति माह) की खपत होती है। वहीं चावल की खपत करीब 1035 लाख मीट्रिक टन (करीब 86 लाख मीट्रिक टन प्रति माह) है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों को देखें तो 1 अप्रैल 2022 को भारत सरकार के पास 323.22 लाख मीट्रिक टन चावल और 189.90 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक है। वहीं धान का स्टॉक भी 473.69 लाख मीट्रिक टन है, जिसकी प्रोसेसिंग के बाद चावल बनाया जा सकता है। यह स्टॉक हर महीने बदलता रहता है। इसके अलावा लोगों के खेतों में खड़ा बहुत सारा गेहूं भी कुछ ही दिनों में बाजार में आ जाएगा।

गेहूं के मामले में भारत ने हासिल किया नया मुकाम

अगर बात गेहूं की करें तो भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 2020 में दुनिया के कुल गेहूं उत्पान में भारत की हिस्सेदारी 14.14 फीसदी रही। देश में सालाना 10.759 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन होता है। वहीं दूसरी ओर गेहूं के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है। 2020-21 में भारत ने यमन, अफगानिस्तान, कतर और इंडोनेशिया जैसे नए बाजार अपने साथ जोड़े। मिस्र उन देशों में शामिल है जो रूस और यूक्रेन से बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात करते हैं। भारत ने 2020-21 में 21.5 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था, जो 2021-22 में बढ़कर करीब 3 गुना हो गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पैदा हुए गेहूं संकट में भारत को गेहूं निर्यात का अच्छा मौका मिला है और इस साल भारत ने एक करोड़ टन गेहूं निर्यात का लक्ष्य रखा है। भारत के कुल निर्यात में बांग्लादेश की हिस्सेदारी 54 फीसदी से अधिक है। बांग्लादेश के अलावा नेपाल, यूएई, श्रीलंका, यमन, अफगानिस्तान, कतर, इंडोनेशिया, ओमान और मलेशिया भी भारत से गेहूं मंगाते हैं।

मक्के के मामले में भी भारत कम नहीं

भारत से मक्के का निर्यात भी इस वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कोरोना महामारी के बावजूद पिछले तीन साल में मक्के के निर्यात में करीब छह गुना बढ़ोतरी हुई है। भारत से मक्का आयात करने वाले देशों में बांग्लादेश, नेपाल और वियतनाम प्रमुख हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में 81.631 करोड़ डॉलर का मक्का निर्यात किया गया जो पिछले पूरे वित्त वर्ष से अधिक है। पिछले वित्त वर्ष भारत से 63.485 करोड़ डॉलर का मक्का निर्यात किया गया था। भारत में मक्के का सालाना उत्पादन करीब 222 लाख मीट्रिक टन है।

अन्य खाद्यान्न उत्पादन में भी भारत काफी आगे

भारत में धान का उत्पादन भी करीब 1200 लाख मीट्रिक टन हो गया है। इससे धान की प्रोसेसिंग के बाद उससे करीब 60 फीसदी चावल मिलता है, बाकी भूसी होती है। दूध, दालें और जूट के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। वहीं अगर बात की जाए गेहूं, चावल, गन्ना, मूंगफली, सब्जियां, फल और कॉटन की तो भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इतना ही नहीं, मसाले, मछली, पॉल्ट्री, लाइवस्टॉक और प्लांटेशन क्रॉप का भी एक बड़ा सप्लायर है। वहीं भारत के कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकतर हिस्से में खेती होती है, यानी हम दुनिया भर की डिमांड को पूरा करने की ताकत को रखते ही हैं। वैसे भी अगर गेहूं, चावल, मक्का की मांग अधिक होती तो उसकी कीमत भी अच्छी मिलेगी। ऐसे में किसान इन चीजों की उत्पादन बढ़ाने में जरा भी देरी नहीं करेंगे।

दलहन-तिलहन का कितना प्रोडक्शन?

इस साल दलहन उत्पादन भी अपने सर्वकालिक उच्चस्तर 2.69 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है। एक साल पहले यह 2.54 करोड़ टन रहा था। वहीं मोटे अनाज का उत्पादन मामूली घटकर 4.98 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल यह 5.13 करोड़ टन रहा था। यह भी उम्मीद की जा रही है कि तिलहन उत्पादन 3.71 करोड़ टन के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा, जो पिछले साल 3.59 करोड़ टन रहा था। तिलहनों में रैपसीड सरसों का उत्पादन रेकॉर्ड 1.14 करोड़ टन रहेगा। पिछले साल यह 1.02 करोड़ टन रहा था। गन्ना उत्पादन 2021-22 में 41.40 करोड़ टन के रेकॉर्ड पर पहुंच सकता था। पिछले फसल वर्ष में यह 40.53 करोड़ टन रहा था। कपास उत्पादन मामूली घटकर 3.40 करोड़ गांठ (एक गांठ 170 किलो) पर आने का अनुमान है जो पिछले साल 3.52 करोड़ गांठ रहा था।

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