चीनी दुस्साहस के पीछे भारत-अमेरिका औली सैन्य अभ्यास, आंतरिक समस्यायें और भारत की प्रगति से जलन
भारत-अमेरिका दोस्ती, औली में युद्धाभ्यास.. तो इसलिए चीन को लगी हुई है मिर्ची!
बीते 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों ने भारत में घुसपैठ की कोशिश की। भारतीय सेना ने चीनियों को खदेड़ दिया। चीन पिछले दिनों उत्तराखंड के औली में हुए भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास से चिढ़ा हुआ है। उसने इस सैन्य अभ्यास के खिलाफ कड़ी आपत्ति जताई थी।
उत्तराखंड में LAC के पास हुआ था सैन्य अभ्यास
हाल ही में भारत और अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ उत्तराखंड के ओली में हुआ था। ये इलाका एलएसी के पास है।
दुश्मन पर घात लगाने का किया अभ्यास
सैन्य अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने युद्ध नीति और तकनीकि सांझा की। जंगलों में कैसे छिपकर दुश्मन पर हमला करना है इसका खास प्रशिक्षण किया।
चीनी ड्रोन को मार गिराने वाले बाज
युद्ध अभ्यास के दौरान ट्रेंड बाज ने भी अपना करतब दिखाया। ये बाज चीनी ड्रोन को मार गिराने में सक्षम हैं।
एक लक्ष्य पर गोलीबारी
इस सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के सैनिकों ने जंगल लेन इलाके में अभ्यास के दौरान एक लक्ष्य पर गोलीबारी की।
दुश्मन पर अचूक निशाना
सैन्य अभ्यास के दौरान भारत और अमेरिका के सैनिकों ने आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल करके अचूक निशाना लगाने का अभ्यास किया।
साथ में कई मुश्किल टास्क का किया अभ्यास
भारत और अमेरिकी सेना के जवान साथ में कई मुश्किल टास्क को पार करते दिखे। भारत-अमेरिका के बीच सैन्य अभ्यास का ये 18वां संस्करण था।
पहाड़ों पर चढ़ने का अभ्यास
दुर्गम पहाड़ी इलाकों में तैनात सैनिक पहाड़ों पर चढ़कर दुश्मन को परास्त करने में सक्षम होते हैं।
हर पल अलर्ट रहना है
सैनिक जंगलों में छिपकर भी हमेशा अलर्ट रहते हैं। दुश्मन की हर एक्टिविटी पर नजर रखते हैं।
रेस्क्यू और हवाई ऑपरेशन का अभ्यास
दोनों देशों के सैन्य अभ्यास के दौरान सैनिकों ने हेलिकॉप्टर से लटक कर रेस्क्यू करने का अभ्यास किया।
घर में घुसकर मार सकते हैं जवान
भारत और अमेरिका के इस संयुक्त सैन्य अभ्यास में कई सीक्रेट ऑपरेशन का अभ्यास किया गया। सैनिक दुश्मन के घर में घुसकर उसे खत्म कर सकते हैं।
घर में फेल जिनपिंग तवांग के बहाने चल रहे हैं चाल ! क्या गलवान का सबक भूल गया ड्रैगन?
India-China Faceoff In Tawang: चीन में शी जिनपिंग को कई मोर्चे पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पहले तो उन्हें सख्त कोविड नीति के वजह से लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। उसके बाद आर्थिक मंदी ने उनके लिए और माहौल बिगाड़ दिया है।
मुख्य बातें
1-चीन में सख्त कोविड नीतियों के कारण शी जिनपिंग पहली बार खुलकर विरोध का सामना करना पड़ा है।
2-रियल एस्टेट सेक्टर का बुरा हाल हो गया है, बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है।
3-प्रमुख एजेंसियों ने ग्रोथ के मामले में भारत को चीन से आगे निकलते हुए दिखाया है।
Tawang Clash: एक बार फिर से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी धूर्तता दिखाई हैं। इस बार इसके लिए उन्होंने अरूणाचल प्रदेश के तवांग को चुना है। चीन की सेना PLA ने ठीक उसी तरह दुस्साहस किया है जो उसने जून 2020 में लद्धाख के गलवान घाटी में किया था। वहां पर भी भारतीय सैनिकों ने चीन को सबक सिखाया था और अब फिर तवांग में भी उसे मुंह की खानी पड़ी है। सरकार के अनुसार तवांग में चीन के सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प हुई थी जिसमें भारतीय सैनिकों उन्हें वापस खदेड़ दिया। इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को चोटें आई हैं, लेकिन चीन के सैनिक ज्यादा चोटिल हुए हैं जबकि भारतीय सैनिकों को मामूली चोटें आई है। महत्वपूर्ण यह है कि चीनी सैनिकों ने उस समय हिमाकत की है जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश में बुरी तरह घिरे हुए हैं। ऐसे में जिनपिंग की यह चाल एक्सपोज होती दिख रही है। और यह भी लग रहा है कि उन्हें गलवान का सबक भूल गया है।
जिनपिंग को भारी विरोध का करना पड़ रहा है सामना
चीन में शी जिनपिंग कई मोर्चे पर विरोध का सामना कर रहे हैं। पहले तो उन्हें सख्त कोविड नीति से लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। उसके बाद आर्थिक मंदी ने स्थितियां और बिगाड़ दी है। वहां पर हालात ऐसे हो गए कि एक समय लोग अपने बैंक से पैसे तक नहीं निकाल पा रहे थे। इसके अलावा चीन का रियल एस्टेट सेक्टर बुरी हालत में हैं। महंगाई से लोगों के पास ईएमआई को पैसे नहीं है। कोविड की सख्ती से बेरोजगारी बढ़ गई है। कमर्शियल गतिविधियां ठप होने का असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। कई शहरों में इस साल प्रॉपर्टी के दाम 20 प्रतिशत से ज्यादा गिरे हैं। हाल के महीनों में बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं। चीन में रोजगार संकट बढ़ता जा रहा है। हालात यह हैं कि चीन में 16 से 24 साल का हर पांचवां युवा बेरोजगार है।
हालात यह हो गए कि एक तरफ शी जिनपिंग माओ के बाद सबसे शक्तिशाली प्रीमियर बन के उभरे और तीसरी बार राष्ट्रपति चुने गए। लेकिन उनके खिलाफ मात्र एक महीने में ही नारे लगने लगे और शी जिनपिंग इस्तीफा दो, कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता छोड़ो, हम पीसीआर नहीं स्वतंत्रता चाहते हैं’ चीन के विभिन्न शहरों में ऐसे नारे लगना आम बात हो गई। लोगों के भारी विरोध का ही परिणाम था कि जिनपिंग कोविड नीतियों में नरमी बरतनी पड़ी।
तवांग विवाद से क्या हासिल होगा
इस बीच जैसी खबरें आ रही है उससे यह साफ है कि तवांग ने चीन में अचानक दुस्साहस नहीं किया है। उसके लिए पहले से तैयारियां हुई थी। ऐसे में साफ है कि जिनपिंग भारत के साथ सीमा विवाद बढ़ाकर घरेलू मोर्चे पर राहत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन उनका यह कदम एक बार भारत और चीन के बीच टेंशन को बढ़ाएगा।
इसके अलावा भारत जैसे दुनिया के देशों के लिए ब्राइट स्पॉट बन रहा है, और कंपनियां भारत में निवेश को लेकर उत्साह जता रही है। वह भी जिनपिंग के लिए चिंता का सबब बनता दिख रहा है। आईएमएफ सहित दुनिया की प्रमुख एजेंसियों ने भारत को सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रोजेक्ट किया है जिसमें वह चीन से भी आगे है। आईएमएफ के अनुसार भारत 2023 में 6.2 प्रतिशत की ग्रोथ हासिल करेगा। जबकि चीन 4.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। इसी तरह 2027 तक भारत के चीन से आगे रहने का अनुमान है। ऐसे में अगर भारत में अशांति होगी तो निश्चित तौर पर उसके ग्रोथ पर असर होगा। चीन यहीं चाहता है।