राजधानी की गणतंत्र परेड में सूचना की झांकी ने मारी बाजी
*गणतंत्र दिवस परेड, देहरादून में सूचना विभाग की झांकी को मिला प्रथम पुरस्कार*
देहरादून 27 जनवरी । गणतंत्र दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य समारोह में विभिन्न विभागों की प्रदर्शित झांकियों में सूचना विभाग की झांकी को पहला स्थान मिला है। यह पुरस्कार राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त ), मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं मुख्य सचिव डॉक्टर सुरजीत सिंह संधु ने प्रदान किया जिसे महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी व संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी के.एस. चौहान ने प्राप्त किया।
यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वह कथन प्रासंगिक है जिसमें उन्होंने कहा था कि इक्कीसवीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का है। देवभूमि उत्तराखण्ड में विकसित भारत के अन्तर्गत कई लाख करोड़ रूपए की विकास परियोजनाओं के कार्य जैसे ऑल वेदर रोड़, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन, होम स्टे, रोप-वे आदि पर तेजी से कार्य हो रहा है तथा पारम्परिक अनाजों का भी पर्याप्त मात्रा में उत्पादन हो रहा है।
सूचना विभाग के महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सूचना विभाग ने ‘‘विकसित उत्तराखण्ड‘‘ की झांकी का निर्माण किया है।
झांकी के अग्र भाग में उत्तराखण्डी महिला को पारम्परिक वेशभूषा में स्वागत करते हुए दिखाया गया है तथा पारम्परिक अनाज मंडुवा, झंगोरा, रामदाना तथा कौंणी की खेती व राज्य पक्षी मोनाल को दिखाया गया है।
झांकी के मध्य भाग में होम स्टे दिखाया गया है। पहाड़ों में होमस्टे योजना से हजारों ग्रामीणों को रोजगार मिल रहा है। भारत सरकार ने वर्ष 2023 में उत्तराखण्ड के सरमोली गांव को सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव घोषित किया है। साथ ही लखपति दीदी योजना से उत्तराखण्ड में महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्वयं सहायता समूह में कार्य करते हुए स्थानीय महिलाओं व सुदूर पहाडों में सौर ऊर्जा तथा मोबाईल टावर दिखाया गया है।
झांकी के आखिरी भाग में ऑल वेदर रोड़, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, रोप-वे तथा भारत के प्रथम गांव माणा के लिए रोड़ कनेक्टिविटी दर्शाई गई है। इन योजनाओं से उत्तराखण्ड में यात्रियों के लिए आवागमन की सुविधा में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है।
झांकी का डिजाईन एवं कान्सेप्ट व निर्माण विभागीय संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी के.एस.चौहान के निर्देशन में हुआ है। झांकी के साथ उत्तराखण्ड की लोक संस्कृति पर आधारित पारम्परिक वेशभूषा में नृत्य करते हुए कलाकार उसे जीवंत बना रहे थे।