संपादकीय: गलती से शेयर टूल किट से भारत विरोधी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र बेपर्दा
दुनिया में भारत को बदनाम करने का षड्यंत्र बेपर्दा, थनबर्ग के ट्वीट के साथ गलती से शेयर टूलकिट से खुली पोल
दुनिया में भारत को बदनाम करने का षड्यंत्र बेपर्दा थनबर्ग के ट्वीट के साथ गलती से शेयर टूलकिट से खुली पोल
एक टूलकिट ने भारत को बदनाम करने के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र को बेपर्दा कर दिया है। ्त्र्त््त्र्त्त्र्त््त््््त््त्र्त्त्र्त््त्र्त्त्र्त््त््््त््त्र
ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के साथ गलती से शेयर कर दिये गए टूलकिट ने भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश को बेकनाब कर दिया है। टूल किट में 26 जनवरी के साथ-साथ चार-फरवरी को दुष्प्रचार का अभियान चलाने का था पूरा खाका। आप भी जानें…
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अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के साथ गलती से शेयर कर दिये गए टूलकिट ने भारत को बदनाम करने की अंतरराष्ट्रीय साजिश को बेकनाब कर दिया है। टूल किट में 26 जनवरी के साथ-साथ चार-फरवरी को भारत सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान चलाने का पूरा रोडमैप दिया गया था। वैसे बाद में ग्रेटा ने इसे डिलीट कर नया टूलकिट ट्वीट किया, लेकिन तबतक देर हो चुकी थी और किसान आंदोलन की आड़ में भारत विरोधी तत्वों की साठगांठ दुनिया के सामने आ चुकी थी।
बड़ा षड्यंत्र बेपर्दा
दरअसल बुधवार को जब पॉप स्टार रिहाना और पोर्न स्टार मिया खलीफा समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट करना शुरू किया तो इसे लोकप्रियता हासिल करने की की सामान्य कोशिश के रूप में देखा गया। जाहिर है भारत में भी कई हस्तियों ने विदेशी हस्तियों के किसान आंदोलन की जानकारी पर सवाल उठाते हुए इसका तीखा प्रतिवाद किया। लेकिन पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के साथ लगे टूलकिट ने साफ कर दिया कि तमाम हस्तियों के ट्वीट सिर्फ लोकप्रियता बटोरने के लिए नहीं, बल्कि एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का हिस्सा हैं।
यह था षड्यंत्र
इस अंतरराष्ट्रीय साजिश की तैयारी लंबे समय से की जा रही थी। ग्रेटा थनबर्ग के ट्वीट के साथ अटैच टूलकिट ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस के साथ टकराव और इसके जवाब में पुलिस की कार्रवाई को किसानों पर बर्बरता के रूप में पूरी दुनिया में पेश करने का खाका तैयार कर लिया गया था। लोगों को रैली निकालने, सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने के साथ-साथ यह भी बताया दिया गया था कि इस दौरान किस-किस हैसटैग के साथ किन-किन अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय व स्थानीय संस्थाओं व लोगों को टैग करना है।
भारत सरकार को बदनाम करने की थी कोशिश
उनकी पूरी कोशिश गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत सरकार को तानाशाही और दमनकारी साबित कर बदनाम करने की थी। इसके लिए पूरी दुनिया में माहौल बनाने के लिए 21 जनवरी से 25 जनवरी तक कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई थी। साजिश की गहराई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 26 जनवरी को भारत की बदनाम करने के एक हफ्ते बाद ही विदेशी हस्तियों के माध्यम से मोर्चा खोलने की तैयारी पहले से ही कर ली गई।
दिल्ली पुलिस के संयम से साजिश नाकाम
हालांकि यह साजिश परवान नहीं चढ़ सकी क्योंकि 26 जनवरी को किसानों के तमाम हुड़दंग के बावजूद दिल्ली पुलिस के संयम ने इस पूरी तैयारी की हवा निकाल दी। तमाम वीडियो और फोटो पुलिस के बजाय किसानों की बर्बरता की कहानी सुना रहे थे। 26 जनवरी का दांव उल्टा पड़ने के बावजूद चार-पांच फरवरी को पहले से तय कार्यक्रम में सेलिब्रटीज के माध्यम से भारत को बदनाम करने की कोशिश शुरू कर दी गई।
अब उल्टा पड़ने वाला है दांव
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 26 जनवरी की तरह चार-पांच फरवरी का दांव भी अब उल्टा पड़ने वाला है। उनके अनुसार ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ एफआइआर सिर्फ किसान आंदोलन के पक्ष में ट्वीट करने के कारण नहीं की गई है, बल्कि उस टूलकिट के कारण की गया है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय साजिश की रूपरेखा दी गई थी। एफआइआर के बाद पुलिस टूलकिट तैयार करने वालों से लेकर इस साजिश में शामिल देशी और विदेशी ताकतों के खिलाफ जांच और कार्रवाई कर सकेगी।
क्या होती है टूल किट
टूल किट में ट्विटर के जरिये किसी अभियान को ट्रेंड कराने से संबंधित दिशानिर्देश और सामग्री होती है। इसमें हैशटैग, टैग करने वाले एकाउंट, वीडियो व फोटो और संबंधित विषय से जुड़ी जानकारी होती है। यह एक तरह से ट्वीट से संबंधित पूरी सामग्री होती है, जिसे बस कापी-पेस्ट करना होता है। इसमें तारीख और समय तय होता है, ताकि एक साथ उस हैशटैग को ट्विटर पर ट्रेंड कराया जा सके और दूसरे पक्ष पर दबाव बनाया जा सके।
कौन है ग्रेटा थनबर्ग
ओपेरा गायिका मैलेना एर्मन और अभिनेता स्वान्टे थनबर्ग की बेटी ग्रेटा का पूरा नाम ग्रेटा टिनटिन एलेओनोरा अर्नमैन थनबर्ग है। 18 वर्षीय ग्रेटा स्वीडन री राजधानी स्टाकहोम में रहती है। उसे जलवायु परिवर्तन के विषय को लेकर 2018 में शुक्रवार को स्कूल में हड़ताल करने के अभियान के लिए जाना जाता है। वह आटिज्म के एक प्रकार एस्पर्जर ¨सड्रोम से पीडि़त है। ग्रेटा का जोर जलवायु परिवर्तन पर है। पहली बार उसने आठ साल की उम्र में इसके बारे में सुना था, जिसके बाद वह शाकाहारी हो गई और विमान यात्रा करना बंद कर दिया।र्