सुरंग दुर्घटना: आठवें दिन छह विकल्पों पर जुटी केंद्र-राज्य की छह एजेंसियां
Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue Danger Of Landslide Again In Silkyara Drilling Could Not Be Done Even On Third day
राहत बचाव अभियान जारी, सुरंग में भूस्खलन के खतरे के बीच तीसरे दिन शुरू हुई ड्रिलिंग
अंदर फंसे मजदूरों को खाने व ऑक्सीजन की सप्लाई के पाइपों को कंक्रीट ह्यूम पाइप से कवर कर दिया गया है। भूस्खलन होता भी है, तो इससे खाने के सामान और ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित नहीं होगी।
उत्तरकाशी सुंरग में शुरू हुई ड्रिलिंग
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में रविवार रात 10 बजे ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम फिर शुरू हो गया। भूस्खलन का खतरा कम करने के लिए शॉटक्रिट मशीन से स्प्रे किया गया है। बैकअप प्लान के तहत सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए अस्थायी सड़क बनाने का काम भी अंतिम चरण में है।राहत एवं बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि ड्रिलिंग का काम बंद होने के तीसरे दिन रविवार को रात में फिर शुरू हो गया।
वहीं, अंदर फंसे मजदूरों को खाने व ऑक्सीजन की सप्लाई के पाइपों को कंक्रीट ह्यूम पाइप से कवर कर दिया गया है। भूस्खलन होता भी है, तो इससे खाने के सामान और ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित नहीं होगी। उधर, सुरंग के दाएं और बाएं ओर से भी क्षैतिज ड्रिलिंग के लिए भूभौतिकी व भू-वैज्ञानिकों का सर्वे पूरा हो गया है। सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग के लिए बन रही 1200 मीटर लंबी सड़क का 900 मीटर हिस्सा बन चुका है। सूत्रों के अनुसार इस काम का जिम्मा लोनिवि, बीआरओ को सौंपा है।
खाने के लिए डाला 150 एमएम व्यास का पाइप
सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों तक खाने की आपूर्ति के लिए 150 एमएम व्यास का पाइप डाला गया है। जो कि 40 मीटर तक अंदर धकेला जा चुका है। यह पाइप करीब 60 मीटर तक अंदर जाना है। बताया जा रहा है कि इस पाइप से ही मजदूरों को अंडे, खाने के पैकेट व अन्य खाद्य पदार्थ भी भेजे जा सकेंगे।
ड्रिलिंग मशीन को भी कंक्रीट ब्लाॅक से करेंगे सुरक्षित
सुरंग के अंदर ड्रिलिंग मशीन को भी भूस्खलन से बचाने के लिए कंक्रीट ब्लाॅक से ढका जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन कंक्रीट ब्लाॅक को बीआरओ ने विशेष रूप से भेजा है। एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि एक बार ड्रिलिंग मशीन की सुरक्षा पुख्ता कर ली जाएगी तो पाइप डालने की कार्रवाई दोबारा शुरू हो सकती है।
Uttarkashi Tunnel Collapse उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने की दिन रात कोशिश की जा रही हैं. आठ दिन बाद भी सफलता नहीं मिलने के बाद अब मजदूरों के बचाव के 6 विकल्पों पर एक साथ काम किया जा रहा है. जिसमें केंद्र और राज्य की 6 एजेंसियां काम कर रही हैं।
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिश की जा रही है, लेकिन बचावकर्ताओं ने शनिवार (18 नवंबर) को कहा कि बचाव कार्य फिलहाल रोक दिया गया है. दरअसल, सुरंग में से कुछ चटकने की आवाजें आईं. इससे आसपास भमभरा भी पैदा हो गया. हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनएचआईडीसीएल (NHIDCL) ने आशंका जताई कि सुरंग की छत गिर सकती है. उत्तरकाशी की यह निर्माणाधीन सुरंग महत्वाकांक्षी चारधाम प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है, जोकि हिंदुओं के तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री तक कनेक्टिविटी बढ़ाने की राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पहल है. सुरंग में फंसे लोगों की सलामती के लिए बाहर एक मंदिर भी स्थापित कर मंत्रोच्चारण भी किए गए.
उत्तरकाशी की सुरंग में बचाव राहत अभियान का जायजा लेने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के उपसचिव मंगेश घिल्डियाल भी मौके पर पहुंचे।
, सुरंग दुर्घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने के प्रयासों में भारतीय सेना भी पुरजोर तरीके से जुटी हुई है. मेजर नमन अरोड़ा ने कहा, हम सुरंग के शीर्ष तक एक ट्रैक बना रहे हैं और वहां एक बिंदु तय किया है जहां से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू होगी.
राहत बचाव कार्य में जुटी सेना 1000 से 1200 मीटर लंबा ट्रैक तैयार रही है, जिसका काम युद्धस्तर पर जारी है.
उधर, इस घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रेस को जारी एक बयान में कहा, ”स्वास्थ्य विभाग ने सुरंग के बाहर एक इमारत में एक शिविर स्थापित किया है जहां आवश्यक दवाओं के साथ 6 बिस्तरों की व्यवस्था है.सुरंग के बाहर कुल 10 एंबुलेंस भी तैनात हैं.वहां डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी तैनात हैं.फंसे हुए श्रमिकों को विटामिन सी और डी, अवसादरोधी गोलियां भी दी जा रही हैं.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे हालात पर रिव्यू मीटिंंग भी की है.