उमेश जे कुमार के पूर्व स्टिंग सहयोगी आयुष गौड़ पर हमला, राजपुर थाने में रपट

उत्तराखण्ड के चर्चित स्टिंग मामले के मुख्य किरदार आयुष गौड़ पर दून में हमला, पिछले महीने हुई थी लाखों की चोरी

त्रिवेंद्र शासन काल में उमेश जे कुमार बब्बर के साथ स्टिंग आपरेशन के शिकायकर्ता आयुष गौड़ पर हमला, घायल, पुलिस रपट

राजपुर थाने में दी लिखित शिकायत. 2018 में आयुष गौड़ ने ही उमेश कुमार का किया था भंडाफोड़,फिर शुरू हुआ न थमने वाला दुश्मनी का क्रम

देहरादून 21 नवंबर। पिछली भाजपा सरकार के त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तराखण्ड के चर्चित स्टिंग और ब्लैकमेलिंग मामले में उमेश जे कुमार बब्बर के खिलाफ शिकायत करने वाले  दो अन्य बड़े मामलों में सीबीआई व विजिलेंस के गवाह आयुष गौड़ ‘पंडित’ पर परसों शनिवार  देर रात राजपुर क्षेत्र में सशस्त्र अज्ञात बदमाशों ने आक्रमण कर उसे घायल कर दिया। पिछले महीने उसने अपने घर में लाखों की चोरी का मुकदमा लिखाया था।

आक्रमण के बाद पुलिस-प्रशासन व राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चायें गर्म हैं।

उत्तराखण्ड के हाई प्रोफाइल स्टिंग में मुख्य चरित्र रहे आयुष गौड़ पर  प्राणघातक आक्रमण के बाद गुप्तचर एजेंसियों के कान भी खड़े हो गए। रविवार दिन भर आक्रमण के पीछे षड्यंत्रकर्ता को लेकर अटकलें लगती रही।

आक्रमण में रक्तरंजित आयुष ने अज्ञात आक्रमणकारियों के खिलाफ राजपुर थाने में लिखित शिकायत दी है। शिकायत में लिखा है कि 19 नवंबर की देर रात राजपुर रोड के एक कैफे से निकल वह साईं मंदिर की बगल से हेलीपैड वाली सड़क पर स्टाफ के लिए खाना लेने जा रहा था। तभी 1.30 बजे अज्ञात आक्रमणकारियों ने उस पर सरिये, बोतल व लाठियों से आक्रमण कर घायल कर दिया और गाड़ी में खींचने की कोशिश करने लगे। नीले रंग की कार व मोटर साइकिल सवार लोगों ने उनकी कार का पीछा किया। और कहा कि इसको खत्म कर दो। मुझे मारने की नीयत से कार का शीशा भी तोड़ दिया।

 

आयुष गौड़

आयुष गौड़ ने शिकायत में लिखा है कि हमलावरों से बचते हुए हम अपनी कार आईटी चौकी ले गए। पुलिस बल देख कर हमलावर भाग गए। शिकायत में आयुष गौड़ ने हमलावरों को पकड़ने व अपने जानमाल की सुरक्षा की मांग की है।

रविवार को घायल आयुष गौड़ के फोटो व अस्पताल में कराए गए मेडिकल की फ़ोटो व वीडियो भी सोशल मीडिया में वॉयरल होते रहे। आक्रमण में घायल आयुष ने अपनी शिकायत में किसी का नाम तो नहीं लिखा। लेकिन शिकायत के शुरू में ही  खानपुर विधायक उमेश कुमार से जुड़े स्टिंग आदि घटना का जिक्र अवश्य किया है।

उमेश कुमार व आयुष गौड़ के बीच अब छत्तीस का आंकड़ा

गौरतलब है कि 2018 में आयुष गौड़ ने उमेश कुमार के ही कहने पर एक चैनल के लिए दिल्ली व देहरादून में त्रिवेंद्र सरकार के कद्दावर आईएएस ओमप्रकाश के अलावा मृत्युंजय मिश्रा, संजय गुप्ता ,कासिम आदि का स्टिंग किया था। बाद में आयुष ने चैनल के सीईओ उमेश कुमार (वर्तमान में खानपुर से निर्दलीय विधायक) के खिलाफ शिकायत कर कई राज से पर्दा हटाया था।

इसके बाद त्रिवेंद्र सरकार ने उमेश पर राजद्रोह का मुकदमा ठोक जेल में डाल दिया था। 2018 के इस बहुचर्चित मामले में आयुष,उमेश व शशांक बंसल में टेलिफोनिक वार्ता का ऑडियो टेप भी वॉयरल हुआ था।

2018 के ऑडियो में तीनों त्रिवेंद्र सरकार गिराने के मिशन पर चर्चा कर रहे थे। उस समय यह ऑडियो क्लिप मीडिया में चर्चित हुआ था।
इस ऑडियो टेप में उमेश कुमार साफ कह रहा है कि स्टिंग व सरकार गिराने में कई लाख खर्च हो गए। आयुष ने देहरादून में प्रेस आयोजित कर उमेश पर गम्भीर आरोप लगाए थे। इसके बाद से ही  स्टिंग मिशन में जुटे आयुष गौड़ व उमेश में छत्तीस का आंकड़ा हो गया।

आयुष गौड़ पर हुए हमले के बाद स्टिंग की पुरानी कहानियां व ऑडियो टेप नये सिरे से वॉयरल होने लगे हैं।

शिकायत  की मूल भाषा

20/11/22

सेवा में श्रीमान

थानाध्यक्ष महोदय राजपुर देहरादून

श्रीमान जी से सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं पंडित आयुष गौड़ पुत्र स्वर्गीय प्रकाश गौड़ मौजूदा वक़्त पर 429 रस्तोगी लेन राजपुर रोड में निवास कर रहा हूँ और प्रदेश के चर्चित स्टिंग मामले में उमेश कुमार (वर्तमान में खानपुर विधायक) के विरुद्ध शिकायतकर्ता हूँ। इसके अलावा प्रदेश के कई अन्य बड़े मामलों मैं CBI और विजिलन्स में भी साक्षी हूँ। कल दिनांक 19/11/22 को देर रात तकरीबन 1 बजे किसी जानकार से मिलकर राजपुर स्थित एक कैफे से निकला जिसके बाद अपने स्टाफ़ का खाना पैक कराने साई मंदिर के बग़ल से जा रही हेलीपैड के लिए सड़क पर स्थित चार दुकान से पराठे पैक करवाने के लिए रुका उसी दौरान तकरीबन 1.50 पर वहाँ कुछ अज्ञात लोग कार और मोटरसाइकिलों से आए और हमारे ऊपर बोतलों, डंडों और सरीया से हमला कर दिया। जिसके कारण मैं बेहद चोटिल हो गया। वो लोग मुझे गाड़ी से खींचने का प्रयास करने लगे। आनन फानन में मेरे ड्राइवर ने वहाँ से गाड़ी भगायी जिसके बाद नीले रंग की एक गाड़ी और कुछ बाइक सवार हमारा पीछा करने लगे। वह बार बार हमारी गाड़ी रोकना चाह रहे थे पर हम नहीं रुके इस दौरान उन्होंने पीछे से कोई भारी चीज़ फेक कर गाड़ी का पीछे वाला शीशा भी तोड़ दिया। हम सीधे अपनी गाड़ी IT पार्क चौकी पर ले गए जहाँ पुलिस की पिकेट और मौजूदगी देख हमलावर वहाँ से भाग निकले। यह घटना तकरीबन एक दर्जन हथियारबंद बदमाशों द्वारा अंजाम दी गई। इस दौरान जो लोग मुझे गाड़ी से बाहर निकालने का प्रयास कर रहे थे वे निरंतर कह रहे थे आज इसका काम खत्म कर दो। उनके द्वारा लगातार गाड़ी पर प्रहार किया जा रहा था और भद्दी भद्दी गालियां दी जा रही थी। इस घटना के सभी साक्ष्य में अपने प्रार्थना पत्र के साथ संकलन कर रहा हूँ। कृपया कर मुझे जान से मारने की नियत से हमला करने वालों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध सख़्त से सख़्त कार्रवाई कर, मेरे और मेरे परिवार की सुरक्षा करने की कृपा करे। आपकी महान दया होगी। धन्यवाद

पंडित आयुष गौड़,

429 राजपुर रोड देहरादून

Tags: Ayush Gaur, crime, the character of the famous sting episode of Uttarakhand, was attacked in Doon,Umesh j Kumar

 

चार साल पहले का स्टिंग प्रकरण: सीएम के भाई, भतीजे व एसीएस तक का स्टिंग

समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार की गिरफ्तारी बाद स्टिंग कांड के सूत्रधार शिकायतकर्ता व चैनल कर्मी आयुष गौड़ ने मुकदमे में दर्ज आरोपों को दोहराया।

Updated:Tue, 30 Oct 2018

स्टिंग की आड़ में ब्लैकमेलिंग का ऐसा चक्रव्यूह रचा गया था कि सामने वाले को मालूम ही नहीं चलता था कि वह शिकार हो चुका। समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार की गिरफ्तारी बाद स्टिंग कांड के सूत्रधार शिकायतकर्ता व चैनल कर्मी आयुष गौड़ नाटकीय ढंग से दून पहुंचा। उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया के सामने आयुष ने मुकदमे में लिखे आरोप दोहराते हुए कहा कि, उमेश जे कुमार कहते थे कि जिससे भी मिलो उसका स्टिंग कर लो, कभी भी काम आ सकता है। जब आयुष को उत्तराखंड में मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नौकरशाहों और कुछ राजनेताओं के स्टिंग का जिम्मा मिला तो स्टिंग की चेन बनती गई। सबसे पहले मृत्युंजय मिश्रा और फिर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का स्टिंग हुआ। फिर दून में मुख्यमंत्री के भाई, भतीजे और उनके करीबी भाजपा नेता संजय गुप्ता का भी स्टिंग हुआ। शिकायतकर्ता के अनुसार इनमें सिर्फ  मृत्युंजय मिश्रा का स्टिंग ही ऐसा बना, जिसकी क्लीपिंग उमेश को अपने मतलब की लगी, बाकी स्टिंगों के बारे में उसका कहना था कि इससे कोई फ़ायदा नहीं होगा।

आयुष गौड़ ने बताया कि जनवरी में उमेश और चैनल के उच्च पदस्थ लोगों ने उन्हें यह कह स्टिंग का जिम्मा दिया कि कुछ राजनेताओं और नौकरशाहों को जांचना है। तभी दिल्ली चाणक्यपुरी में उत्तरांचल सदन में अपर स्थानिक आयुक्त मृत्युंजय मिश्रा से पहली मुलाकात में तय हुआ कि चारधाम ऑलवेदर रोड टेंडर के लिए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से मुलाकात कराने की जिम्मेदारी मृत्युंजय लेंगें। उमेश इस मुलाकात के बदले ओमप्रकाश को पेशगी 10 लाख रुपये देकर स्टिंग कराना चाह रहा था, लेकिन जब मुलाकात हुई तो अपर मुख्य सचिव ने टेंडर तय प्रक्रिया से देने की बात कही। लेनदेन जैसी कोई बात नहीं होने से उमेश ने दोबारा स्टिंग का प्लान बनाया।

इस बार मृत्युंजय ने कहा कि ‘दस लाख रुपये पहले मुझे सौंपो तब होगी मुलाकात। उमेश रकम मृत्युंजय के बजाए अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री के हाथ देकर स्टिंग चाहता था। इसलिए उसने मृत्युंजय के दस लाख रुपये मांगने का स्टिंग कर लिया था। इसके बाद अप्रैल में उमेश ने आयुष गौड़ को दून बुलाया और परिचित राहुल भाटिया से मिलाया। आयुष ने राहुल का भी स्टिंग बना लिया। राहुल ने मुख्यमंत्री के करीबी भाजपा नेता होटल व्यवसायी संजय गुप्ता से मिलाया और संजय ने मुख्यमंत्री के घर सीधे एंट्री रखने वाले कासिम से। दावा है कि कासिम ने मुख्यमंत्री के भाई (जिनका नाम बिल्लू बताया गया) व एक भतीजे से मिलवाया। इसके बाद उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री से हुई। मुख्यमंत्री को छोड़कर आयुष ने सभी का स्टिंग बनाया।

मुख्यमंत्री के निजी व सरकारी घर में तीन बार की एंट्री

आयुष के मुताबिक वह मुख्यमंत्री के डिफेंस कालोनी  निजी आवास और कैंट सरकारी आवास में तीन बार गया। डिफेंस कालोनी आवास पर दो बार, कैंट आवास पर एक बार। निजी आवास पर उनके भाई बिल्लू व एक भतीजे का स्टिंग किया, मगर कैंट आवास पर मुख्यमंत्री के स्टिंग  से आयुष ने मना कर दिया। उसने कैमरे वाली जैकेट और मोबाइल बाहर ही छोड़ दिया।

स्टिंग को थ्री-लेयर एसआइटी

चैनल में स्टिंग को बाकायदा विशेष जांच टीम गठित थी। आयुष ने बताया कि थ्री-लेयर ‘गेम’ में पहली टीम राजनेता या नौकरशाहों को महंगे गिफ्ट देकर झांसे में लेती है। दूसरी टीम झांसे में आए व्यक्ति को रुपये लेते हुए कैमरे में कैद करती है और तीसरी टीम संबंधित व्यक्ति से मोटी रकम वसूलती है। तीसरी टीम के बारे में पहली दोनों टीमों को कोई भनक नहीं होती।

व्यवसायी बनकर मिला सबसे

अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से आयुष गौड़ एक व्यवसायी बनकर मिला। चारधाम ऑलवेदर रोड के टेंडर पर बात की। इसके बाद देहरादून में वह जिससे भी मिला, उसे अपना परिचय होटल व्यवसायी के तौर पर दिया। उत्तराखंड में अलग-अलग शहरों में जमीन लेकर ऑलीशान होटल खोलने का हवाला देकर सबसे मुलाकात की गई।

संगठित गिरोह चला रहा था उमेश

आयुष के मुताबिक उमेश जे कुमार स्टिंग की आड़ में एक संगठित गिरोह चला रहा था। वह एक ही ध्येय लेकर चल रहा था कि यदि मुख्यमंत्री काबू में आ गए तो सब हाथ में होगा। फिर वह सरकार में जो चाहे वह काम करा लेगा। इसलिए उसने उससे कहा था कि मुख्यमंत्री का जो भी रिश्तेदार, सगे-संबंधी, दोस्त, करीबी मिले, उसे गुप्त कैमरे में कैद कर लो।

तुरंत वापस ले लेता था उपकरण

हर स्टिंग के बाद उमेश तुरंत आयुष से सभी उपकरण वापस ले लेता था। अप्रैल में मुख्यमंत्री के भाई और भतीजे का स्टिंग करने के बाद आयुष ने उमेश को बताया तो उमेश कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे की शादी में नंदा की चौकी के समीप एक होटल में था। उमेश ने उसे वहीं बुला लिया और कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों से बात कराई। हालांकि, वहां स्टिंग नहीं हो सका और उमेश ने उपकरण वापस ले लिए। इस दिन से पहले हर बार राहुल भाटिया उससे उपकरण ले लेता था।

लोकल टीम रखती थी नजर

आयुष ने दावा किया कि स्टिंग के वक्त चैनल की लोकल टीम उन पर नजर रखती थी। उमेश जे कुमार के ‘चहेते’ इस टीम में थे। यह टीम राजनेताओं और नौकरशाहों को गिफ्ट देकर झांसे में लाती थी।

डेढ़ माह तक नहीं मिली पीएमओ और सीएमओ से मदद

आयुष ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्टिंग न करने के बाद उमेश लगातार उसे धमकी दे रहा था। उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा मगर डेढ़ माह तक कोई मदद नहीं मिली। फिर किसी तरह  पुलिस अधिकारियों से मिल अगस्त में शिकायत कराई।

अभी तो असली तस्वीर आनी है बाकी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के स्टिंग के प्रयास के मामले में अभी पूरी तस्वीर साफ नहीं हुई है। इस मामले में स्थिति तभी स्पष्ट होगी, जब सरकार और नौकरशाह खुलकर अपनी बात रखने की हिम्मत जुटाएंगे। उमेश शर्मा दूसरा पक्ष बताएगा। तभी प्रकरण की एक-एक परत खुलेगी और कई नये तथ्य भी सामने आएंगे। मुख्यमंत्री के स्टिंग के प्रयास के सामने आए इस प्रकरण पर अभी तक के घटनाक्रम पर नजर डालें तो कई अनुत्तरित  सवालों  का जवाब जानने का प्रयास हर कोई कर रहा है। जवाब या तो सरकार दे अथवा इनकी परिधि में आए नौकरशाह अथवा आरोपित उमेश शर्मा। कारण यह कि सरकार, नौकरशाह और आरोपित मिलकर ही इस प्रकरण में अभी तक अधूरी नजर आ रही कड़ी को जोड़ कर पूरा कर सकते हैं। जनता के मन में इस समय जो सवाल सुलग रहे हैं वे ये हैं कि जब 10 अगस्त को मामले की तहरीर पुलिस को मिल चुकी थी तो पूरे दो माह से अधिक समय तक क्या हुआ। जाहिर है कि इसे यह माना जाए कि इन दो माह में सरकार व पुलिस ने मामले में पर्याप्त होमवर्क किया होगा। दूसरा सवाल यह कि जब दिल्ली में मुख्यमंत्री के स्टिंग का प्रयास व अपर मुख्य सचिव को कैमरे में कैद करने की बात अब सामने आ रही है, उसका जिक्र शिकायत में क्यों नहीं है। तीसरा सवाल यह कि आखिर वे कौन से राजनेता और अधिकारी हैं, जिनके कहने पर अथवा जिन्हें फायदा पहुंचाने को स्टिंग का जाल बुना गया और जिनका जिक्र शिकायतकर्ता भी अभी करने से बच रहा है। एक और सवाल यह कि शिकायतकर्ता की मुख्यमंत्री आवास तक एंट्री किसने कराई। इसका जिक्र न तो लिखित शिकायत में है और न ही शिकायतकर्ता ने दिया है। जिस तरह की बातें उठ रही हैं उससे साफ है कि आरोपितों के पास पिछली सरकारों और इनमें महत्वपूर्ण पदों पर रहे अधिकारियों के स्टिंग भी हैं। अब सवाल यह कि क्या ये भी पुलिस के कब्जे में हैं। इस बारे में फिलहाल परदा है। ऐसे तमाम अन्य सवाल हैं जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है।

तो क्या मई में ही हो गई थी शिकायत

शिकायतकर्ता आयुष गौड़ की मानें तो उसने मई में ही मुख्यमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को पूरे प्रकरण पर  पत्र लिखा था। एक माह तक न प्रदेश और न ही केंद्र से कोई जवाब मिला। इसके बाद शिकायतकर्ता ने अपने संपर्क सूत्रों के जरिये पुलिस के उच्चाधिकारियों से मिल पूरे तथ्य उनके सामने रखे।  तब इस पर कार्रवाई हुई।

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि स्टिंग का पूरा प्रकरण आपराधिक जांच का विषय है। यह जांच चल रही है। मामला कोर्ट में भी है। इस मामले पर सरकार नियमानुसार कार्यवाही करेगी।’

अपर मुख्य सचिव का कहना है कि तीन दिनों से सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन केस के सिलसिले में दिल्ली में था। इससे प्रकरण की पूरी जानकारी नहीं है। इसकी पूरी जानकारी लेने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।’

स्टिंग के एक तीर से साधने थे कई निशाने

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के आरोपित उमेश शर्मा से बनाई गई दूरी ही स्टिंग के प्रयास का आधार बनी। मुख्यमंत्री रावत के स्टिंग से एक तीर से कई निशाने सधने थे। योजना के अनुसार एक बार सफल स्टिंग के बाद इसका भय दिखाते हुए सभी बातें मानने को मजबूर किया जा सके। इससे न केवल आरोपितों के राजनीतिक सहयोगियों का काम पूरा होगा बल्कि वे अधिकारियों से भी अपने काम करा सकेंगें। हालांकि, इस मामले में ऐसा नहीं हो सका और पहले ही मामला खुल गया।  प्रकरण में निजी इलेक्ट्रानिक चैनल से जुड़े शिकायतकर्ता का चैनल के सीईओ को कठघरे में खड़ा करने के बाद सारी बातें एक-एक कर बाहर आ रही हैं। देखें तो मुख्यमंत्री की कड़क छवि इस पूरे प्रकरण का प्रमुख कारण बनी। शिकायतकर्ता आयुष गौड़ की मानें तो आरोपित उमेश शर्मा व उसके सहयोगियों के प्रदेश में काम नहीं हो रहे थे। मुख्यमंत्री भी उससे दूरी बनाए थे। मुख्यमंत्री से नजदीकी बनाने में सफल न होने से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के स्टिंग की योजना बनी। इसमें उनका साथ स्थानीय नेताओं व कुछ अधिकारियों ने भी दिया। इसका मुख्य मकसद था कि किसी भी तरह मुख्यमंत्री का स्टिंग हो जाए तो फिर आरोपित उनसे अपनी मनचाही बातें पूरी करा सकेंगें और राजनीति व नौकरशाही में उनका रसूख भी बढ़ सकेगा। इसके लिए उन्होंने पहले मुख्यमंत्री के भाई समेत उनके नजदीकियों का स्टिंग किया। हालांकि, इस स्टिंग में ऐसी कोई बातें सामने नहीं आ पाई जो आरोपितों के काम आती। बावजूद इसके वह इनकी रिकार्डिग अपने पास रखते थे। मुख्यमंत्री के नजदीकियों का स्टिंग करने के बाद योजना मुख्यमंत्री के स्टिंग की थी। इसके लिए पहले दिल्ली और फिर देहरादून आवास में स्टिंग का प्रयास हुआ। दिल्ली में मुख्यमंत्री से मुलाकात का मौका नहीं मिला। देहरादून में यह मौका तो मिला लेकिन प्रयास सफल नहीं हो पाया। शिकायतकर्ता आयुष का कहना है कि देहरादून में उसे मुख्यमंत्री से मुलाकात का मौका तो मिला लेकिन वह डर से स्टिंग नहीं कर पाया और मुख्यमंत्री से कुशलक्षेम पूछ वापस आ गया।

बेचैनी से कई नेताओं -अफसरों के उड़े रंग

मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के उच्चाधिकारियों के स्टिंग का षड्यंत्र खुलने से वे लोग बेचैन है, जिनके नाम षड्यंत्र की मुख्य धुरी के रूप में सामने आए उमेश जे कुमार  से संपर्क रहे हैं। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि अधिकारियों में बेचैनी  साफ अनुभव हो रही है। चिंता यह भी है कि हो न हो, कभी हुई मुलाकात का भी कहीं स्टिंग न हो गया हो। राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के प्रयास व स्टिंग ऑपरेशन जैसे आरोपों में गिरफ्तार उमेश के सत्ता प्रतिष्ठान और नौकरशाहों से संबंध किसी से छिपे नहीं हैं। दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा से उसकी नजदीकियां रही हैं। वर्ष 2016 में उसके तत्कालीन कांग्रेस मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन ने राज्य में राजनीतिक भूचाल ला दिया था। इसके बाद वह भाजपा नेताओं का चहेता बन गया था। अब भाजपा सरकार और उसके नौकरशाह ही उमेश के निशाने पर थे। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के उन लोगों में बेचैनी है, जिनके उमेश से संपर्क रहे हैं। यही नहीं, वे नौकरशाह भी खासे बेचैन हैं, जिनसे वह मिलता-जुलता था। इसी से कोई भी इस प्रकरण पर खुलकर कुछ भी कहने से बच रहा है।

सरकार को अस्थिर करने का प्रयास गंभीर मामला

भाजपा ने राज्य सरकार को अस्थिर करने के प्रयास को गंभीर बताते हुए कहा कि जांच से न सिर्फ पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी, बल्कि षड्यंत्र खुलेगा। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉक्टर देवेंद्र भसीन ने कहा कि एक चैनल के पत्रकार ने ही चैनल के सीईओ और राज्य सरकार के अधिकारी सहित चार व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज कराई रिपोर्ट में राज्य में अस्थिरता के प्रयास और स्टिंग ऑपरेशन जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। यह गंभीर मामला है और कानून अपना काम कर रहा है। जांच निष्पक्ष रूप से की जा रही है। जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

यदि स्टिंग हुआ है तो इसे सार्वजनिक करे सरकार

कांग्रेस ने भी प्रकरण गंभीर बताते हुए कहा कि इसमें कानून अपना काम करेगा। साथ ही प्रकरण में सरकार को घेरने की कोशिश भी की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि जैसी खबरें हैं कि कोई स्टिंग भी हुआ है। मामले में गिरफ्तारी हुई है तो कुछ न कुछ प्रमाण भी अवश्य होंगे। ऐसे में सरकार स्टिंग ऑपरेशन  को सार्वजनिक करे, ताकि उनके चेहरे भी सामने आयें। यदि प्रदेश की भाजपा सरकार ऐसा नहीं करती है तो उसकी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल उठेंगें हैं।

उपकरणों में कैद स्टिंग के राज को उमेश करेगा बेपर्दा

निजी चैनल के सीईओ उमेश जे कुमार के षड्यंत्र में शामिल अन्य चेहरों के साथ उसके इरादे सबूतों से साबित करने को पुलिस को अभी लंबी कसरत करनी है। पहले तो उमेश के गाजियाबाद स्थित आवास से मिले इलेक्ट्रानिक उपकरणों में कैद स्टिंग  और जानकारियों की क्रॉस चेकिंग करनी है और उसकी सच्चाई सामने लानी है। इसके बाद अन्य आरोपितों की षड्यंत्र में भूमिका का भी पता लगाना है। राजपुर पुलिस ने इन्हीं सबको आधार बना अदालत से उमेश की पांच दिन की कस्टडी रिमांड मांगी।

चैनल के इन्वेस्टीगेशन एडीटर आयुष गौड़ की ओर से 11 अगस्त को मुकदमा दर्ज कराने के बाद से ही नेताओं और वरिष्ठ अफसरों की ब्लैकमेलिंग की पड़ताल हो रही है, लेकिन सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र और इसमें शामिल अन्य लोगों की भूमिका को लेकर अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है।  पुलिस के अनुसार उसके पास अब जो सबूत हैं, उसमें सबसे महत्वपूर्ण आयुष गौड़ का मजिस्ट्रेट के सामने  बयान, सौंपी गई वाट्सएप चैटिंग और कॉल रिकार्डिंग शामिल है। इसमें यह तो पता चल रहा है कि स्टिंग को उमेश अपने कार्मिक आयुष पर लगातार दबाव बनाये था, लेकिन उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा समेत अन्य आरोपितों की मिलीभगत को लेकर कई सारे सवालों के जवाब सामने आना बाकी हैं। पुलिस को उम्मीद है कि उमेश के गाजियाबाद आवास से जो इलेक्ट्रानिक उपकरण मिले हैं, उनकी की जांच में इन सवालों के काफी हद जवाब मिल सकते हैं।

निवेदिता कुकरेती (एसएसपी) के अनुसार उमेश से अफसरों की ब्लैकमेलिंग से जुड़े कई सवालों के जवाब को पूछताछ होनी है। उपकरणों से मिली जानकारी के आधार कुछ और जगहों पर छापेमारी की जरूरत होगी।

पुलिस के रडार पर ब्लैकमेलिंग के खिलाड़ी

प्रदेश में स्टिंग ऑपरेशन कर ब्लैकमेलिंग का खेल खूब फल-फूल रहा है। इसमें सबसे ज्यादा सोशल मीडिया और आरटीआइ हथियार बने हैं। यही कारण है कि सत्ता के गलियारों से लेकर शीर्ष नौकरशाह भी इससे नहीं बच पा रहे हैं। पुराने अनुभव एवं भविष्य की स्थितियां भांपते हुए पुलिस ने अब स्टिंगबाज और ब्लैकमेलरों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। अभी  18 ब्लैकमेलर पुलिस की रडार पर हैं।

उत्तराखंड में स्टिंग ऑपरेशन कर ब्लैकमेलर संगठित अपराध कर रहे हैं। यह बात पुलिस अफसर भी स्वीकार कर चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत  या प्रदेश के उच्चाधिकारियों के स्टिंग  में ब्लैकमेलिंग का खेल चला है। इसके अलावा राजधानी से लेकर जिलों में आरटीआइ, सोशल मीडिया या दूसरे तरीकों से स्टिंगबाज सत्ता के गलियारों के शीर्ष तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इससे प्रदेश की  धूमिल हो रही है। अभी तक आधा दर्जन ऐसे मामले पुलिस दर्ज कर चुकी है। इसमें बागेश्वर में आरटीआइ से ब्लैकमेलिंग और दून में सोशल मीडिया के कई मामले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सचिव रहे मोहम्मद शाहिद समेत अन्य के स्टिंग भी चर्चाओं में रहे हैं। इन सबसे सबक लेते हुए पुलिस अब स्टिंग के बाद ब्लैकमेलरों के खिलाफ कार्रवाई का मन बना चुकी है।

सही स्टिंग पर नहीं रोक

यदि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में कोई सही स्टिंग करता है तो इस पर कोई रोक नहीं है। खासकर जनहित देखते हुए कोई स्टिंग या भ्रष्टाचार का मामला उजागर करता है तो उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होती। मगर, स्टिंग कर ब्लैकमेलिंग गंभीर अपराध  है।

अशोक कुमार (अपर पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था) के अनुसार फर्जी तरीके से स्टिंग कर ब्लैकमेलिंग संगठित अपराध है। ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई होगी। जनता भी ऐसे लोगों के खिलाफ आगे आए।

जिन पर हैं गुप्तचर एजेंसी की नजर

ब्लैकमेलिंग का खेल राजधानी देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा नैनीताल, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली जैसे सीमांत जनपदों में भी ब्लैकमेलिंग के मामले सामने आ रहे हैं। यहां खुफिया एजेंसी ने कुछ टीवी-चैनल, पोर्टल और समाचार पत्र चलाने वाले, बिल्डर, फाइनेंसर्स, आरटीआइ कार्यकर्ता, सामाजिक संगठनों को रडार पर लिया है।

राज्य के कुछ बड़े स्टिंग

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हॉर्स ट्रेडिंग। आइएएस जेपी जोशी सेक्स स्कैंडल। हरीश रावत के सचिव मोहम्मद शाहिद का शराब डील का स्टिंग। मंत्री हरक सिंह रावत व पूर्व विधायक मदन बिष्ट का फोन स्टिंग। पेयजल निगम के पूर्व एमडी भजनलाल का स्टिंग। ऊर्जा निगम के पूर्व एमडी एसएस यादव का स्टिंग। माइक्रो हाइडिल के पावर प्रोजेक्ट में आवंटन का स्टिंग।

छापे को चुनी करवाचौथ की रात

उमेश जे कुमार के गाजियाबाद स्थित आवास पर छापेमारी के लिए शनिवार का दिन यूं नहीं चुना गया। पुलिस को यकीन था कि इस रोज उमेश कहीं भी हो करवाचौथ के व्रत को पत्नी के पास जरूर आएगा। ऐसे में उसे पकड़ना और घर की तलाशी लेना, दोनों काम आसान हो जाएंगे।

22 अक्टूबर को कोर्ट से उमेश जे कुमार के घर का सर्च वारंट मिलने के बाद भी पुलिस खामोश रही। अक्सर रात में होने वाली बैठक में डीआइजी अजय रौतेला और एसएसपी निवेदिता कुकरेती का पूरा जोर इस पर था कि सर्च वारंट को पुलिस टीम के उमेश के आवास पर धमकने से पहले उसे कानोंकान खबर न लगे। तय हुआ कि करवाचौथ की रात पुलिस टीम दून से चलेगी और देर रात या तड़के उसके घर की तलाशी लेगी। इसके बाद बाद तय हुआ कि करवाचौथ के दिन पुलिसकर्मी अपने-अपने घर पर त्योहार मनाने के बाद गाजियाबाद  जायेंगें। इस रणनीति में त्योहार बाद सीओ मसूरी बीएस चौहान, सीओ विकासनगर भूपेंद्र सिंह धौनी, एसओ राजपुर अरविंद सिंह समेत दो दर्जन पुलिसकर्मी पांच अलग-अलग गाडिय़ों से गाजियाबाद गए। गाजियाबाद में इंदिरापुरम पुलिस को साथ लेकर पुलिस उमेश के आवास पर पहुंची तो वह घर  ही मिला तो पुलिस टीम ने राहत की सांस ली। घर की तलाशी ले उसे गिरफ्तार भी कर लिया।

कहां जाना, किसे पकड़ना, नहीं था मालूम

उमेश के गाजियाबाद स्थित घर पर छापेमारी को बनी टीम के अधिकांश पुलिसकर्मियों को मालूम ही नहीं था कि कहां  और किसके यहां छापा मारना और क्या करना है। बस इतना ही ब्रीफ था कि उन्हें किसी ऑपरेशन में लगाया गया है, जिसमें गोपनीयता रहनी है।  जब उमेश पुलिस कर्मियों के सामने पड़ा, तब उन्हें मालूम हुआ कि ऑपरेशन क्या और कितना हाईप्रोफाइल था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *