उत्तराखंड विस सत्र: लॉकडाउन में 327 श्रमिकों की छंटनी,पूरक बजट पारित, बेरोजगारी पर विपक्ष का बहिर्गमन
उत्तराखंड विस सत्र: 5720.78 करोड़ का अनुपूरक बजट पास, बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष का सदन से वॉकआउट
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सदन में अनुपूरक बजट पेश किया था। बुधवार को अनुपूरक अनुदान मांगों पर विभागीय मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों की मांगें सदन के पटल पर रखीं और उन्हें पारित कराया।
उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए धामी सरकार ने 5720.78 करोड़ रुपये का अपना पहला अनुपूरक बजट पास कराया। विभागवार अनुदान मांगों को पास कराने के बाद सरकार ने सदन में उत्तराखंड विनियोग (2021-22 का अनुपूरक) विधेयक 2021 को भी ध्वनमित से पारित किया गया। मंगलवार को पटल पर आए छह में से तीन विधेयकों को भी सदन की मंजूरी मिली।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सदन में अनुपूरक बजट पेश किया था। बुधवार को अनुपूरक अनुदान मांगों पर विभागीय मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों की मांगें सदन के पटल पर रखीं और उन्हें पारित कराया। संसदीय कार्यमंत्री बंशीधर भगत ने अपने विभागों के अलावा मुख्यमंत्री के विभागों की अनुदान मांगें पटल पर रखीं।
संसदीय कार्यमंत्री ने अनुदान मांगें पारित होने के बाद उत्तराखंड विनियोग (2021-22 का अनुपूरक) विधेयक सदन पटल पर रखने की अनुज्ञा ली और इसे पटल पर रखा। इसके बाद इसे ध्वनिमत से पारित करा दिया गया। बगैर किसी चर्चा के आईएमएस यूनिसन विवि (संशोधन) विधेयक 2021, डीआईटी विवि (संशोधन) विधेयक, 2021 व उत्तराखंड माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2021 भी पास हो गए।
प्राइवेट बिल सदन में रखने की नहीं मिली इजाजत
कांग्रेस विधायक मनोज रावत उत्तराखंड (उत्तरप्रदेश जमींदारी और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक और हरीश धामी उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन कानून को समाप्त करने के लिए निरसन असरकारी(प्राइवेट) विधेयक लेकर सदन में आए। लेकिन उनके विधेयकों को सदन में रखने की अनुज्ञा नहीं मिली।
अनुपूरक बजट में खास
राजस्व मद में 2990.53 करोड़
पूंजीगत मद में 2730.25 करोड़
केंद्र पोषित योजना 3178.87 करोड़
वाह्य सहायतित 56 करोड़
विभाग वार बजटीय प्रावधान,विभाग बजट (हजार रुपये में)
राजस्व व सामान्य प्रशासन 542306
वित्त, कर नियोजन, सचिवालय व अन्य सेवाएं 19476302
आबकारी 18300
पुलिस एवं जेल 28091
शिक्षा, खेल युवा कल्याण व संस्कृति 2478135
चिकित्सा एवं परिवार कल्याण 4901521
जलापूर्ति, आवास एवं नगर विकास 5799678
सूचना 144000
कल्याण योजनाएं 3788149
श्रम व रोजगार 257403
कृषि कर्म एवं अनुसंधान 480610
सहकारिता 11089
ग्राम्य विकास 7541982
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 449887
ऊर्जा 560
लोक निर्माण विभाग 2601400
ऊद्योग 1103614
परिवहन 1445600
खाद्य 1050
पर्यटन 451220
वन 1669336
पशुपालन संबंधी कार्य 193414
औद्योगिक विकास 350756
अनुसूचित जातियों का कल्याण 2335752
अनुसूचित जनजातियों का कल्याण 940544
मंत्रिपरिषद 8500
न्याय प्रशासन 188085
निर्वाचन 519
बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष का सदन से वॉकआउट
प्रदेश में बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया। जबकि सरकार का कहना है कि उन्होंने न केवल रोजगार दिए हैं बल्कि स्वरोजगार के तहत भी तमाम योजनाओं के माध्यम से युवा लाभान्वित हो रहे हैं।
बुधवार को कार्य स्थगन के तहत नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने प्रदेश में बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। उन्होंने सीएमआईई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी की दर 22.3 प्रतिशत है। 2017 में जिस डबल इंजन की सरकार ने युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, वह वादा भूल गई। मनरेगा कर्मी, स्वास्थ्य विभाग में 108 कर्मचारी, पंचायतों के कर्मचारियों आंगनबाड़ी, आशा, ग्राम प्रहरी आदि को जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि हालात बदतर हैं। तीन सीएम आ गए लेकिन युवाओं को रोजगार नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि परिवहन निगम में कर्मचारियों का चयन आयोग करके दे रहा है लेकिन निगम उन्हें नियुक्ति ही नहीं दे रहा है। न केवल केंद्र बल्कि राज्य में सरकार रोजगार देने में विफल हुई है। विधायक राजकुमार ने कहा कि बेरोजगारी पहले से सिर पर थी, ऊपर से अब प्रवासियों को भी सरकार कोई रोजगार उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हुई है। विधायक फुरकान ने भी बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। विधायक ममता राकेश ने कहा कि हरिद्वार जिले में सेवायोजन विभाग के माध्यम से चार युवाओं को ही तीन साल में रोजगार मिला है।
इस पर मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि हमारे प्रदेश में चपरासी और बाबू की नौकरी की जो परंपरा और और सोच है, उसे बदलना होगा। हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है। लिहाजा, स्वरोजगार की ओर कदम बढ़ाने होंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में अब तक 8674 नौकरियां दी हैं। करीब 12 हजार पदों पर भर्ती के अधियाचन(सिफारिश) संबंधित भर्ती एजेंसियों को भेजे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि आज 88 प्रतिशत पैसा केवल वेतन, पेंशन आदि पर ही खर्च हो रहा है।
प्रदेश के विकास में केवल 12 प्रतिशत का ही इस्तेमाल हो रहा है। लिहाजा, उनकी सरकार ने स्वरोजगार की दिशा में काम किया है। स्ट्रीट वेंडर योजना, मनरेगा, कौशल विकास योजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, राज्य पोषित कौशल विकास योजना, दीन दयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना, मुख्यमंत्री ई-रिक्शा योजना, मोटरसाइकिल योजना, कृषि योजना, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना, नर्सरी विकास योजना, रेशा विकास योजना, उद्योग योजना के तहत स्वरोजगार से लाखों युवाओं को लाभान्वित किया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, एकल खिड़की स्वरोजगार योजना, पशुपालन, कुकुट विकास, गौ पालन, बकरी पालन, वैकल्पिक ऊर्जा, चाय बागान आदि योजनाओं से भी हजारों युवा लाभान्वित हो रहे हैं। वहीं, पंचायत मंत्री अरविंद पांडेय ने भी डाटा एंट्री ऑपरेटर आदि कर्मचारियों को दोबारा काम देने का आश्वासन दिया। सेवायोजन मंत्री हरक सिंह रावत के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ। विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
15833 पद खाली तो 22 हजार कहां से भरोगे: प्रीतम
नेता प्रतिपक्ष ने सदन में कहा कि सरकार आज कह रही है कि 22 हजार पद भरेंगे, लेकिन जो सूचना उन्होंने प्राप्त की है, उसके अनुसार विभिन्न विभागों में केवल 15833 पद हैं। इसके जवाब में कौशल विकास एवं सेवायोजन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उनके पास केवल 32 विभागों की सूचना है
सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच कई बार जमकर हुई तीखी बहस, ये रहे मुद्दे
विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान कई सवालों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। विपक्ष ने भू कानून पर सरकार के लिखित जवाब को असंगत करार दिया तो धान खरीद के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए। बहस के दौरान विधायक संजय गुप्ता की टिप्पणी पर विवाद बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष ने टिप्पणी कार्यवाही से हटाने के निर्देश दिए।
प्रश्नकाल की सूची में पहला प्रश्न कांग्रेस विधायक मनोज रावत की ओर से भू कानून को लेकर दर्ज था। रावत ने प्रदेश में जमीन खरीद की सीमा निर्धारित करने को लेकर सरकार की तैयारी पर सवाल पूछा था, लेकिन सरकार की तरफ से इसका लिखित जवाब मनोज रावत द्वारा एक दिन पहले पूछे गए भूमिहीन लोगों के सवाल पर दे दिया गया।
इस पर विपक्ष ने सवाल खड़े कर दिए। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री बंशीधर भगत ने मौखिक जवाब देते हुए कहा कि कृषि भूकि के लिए 12.5 एकड़, आवासीय भूमि के लिए 250 वर्ग मीटर की सीमा पहले से ही लागू है। फिर भी सीएम इस विषय पर विचार के लिए उच्च स्तरीय समिति की घोषणा कर चुके हैं। विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप पर बाद में सरकार की तरफ से इस सवाल का सही लिखित जवाब दिया गया।
इधर, विधायक काजी निजामुद्दीन के धान खरीद को लेकर पूछे गए सवाल पर भी सदन में तीखी बहस देखने को मिली। काजी ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल खड़ा करते हुए खरीद के आंकड़ों से घोटाला होने का संदेह जाहिर किया। उन्होंने कहा कि 30 दिन में 15 लाख मीट्रिक टन खरीद संभव नहीं है। विपक्ष के तेवरों के बीच कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय भी 10 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी, तो क्या यह भी घोटाला था।
इस बीच विधायक संजय गुप्ता की एक टिप्पणी पर नेता विपक्ष के एतराज के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उक्त टिप्पणी सदन की कार्रवाई से हटाने के निर्देश दिए। प्रीतम ने विधायक कुंवर प्रणव चैम्पियन की टिप्पणी पर भी कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि चैम्पियन सदन की कार्रवाई को मनोरंजन का साधन न समझें। सत्र के दौरान, विपक्षी दल के नेताओं ने सरकार को घेरने की कोई कमी नहीं छोड़ी।
उत्तराखंड में कितने श्रमिकों की छटनी,श्रम मंत्री डॉक्टर हरक सिंह रावत का जवाब सुन आप भी चौंक जाएंगे
श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक कोविड लॉकडाउन के दौरान प्रदेश भर में 327 श्रमिकों की ही छटनी हुई है। विधायकों ने श्रम न्यायालयों में चल रहे वादों को समयबद्ध तरीके से निपटाने पर भी जोर दिया है। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सदन में विधायक मनोज रावत ने श्रम मंत्री से कोविड के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों की जानकारी मांगी थी। इसके जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालयों को प्राप्त शिकायतों के अनुसार इस दौरान 327 श्रमिकों की सेवा समाप्त की गई।
सरकार बेरोजगार हुए लोगों के को विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं और मनरेगा के जरिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रही है। उन्होंने बताया कि कोविड काल में कौशल विकास विभाग के पोर्टल पर 25,317 प्रवासी श्रमिकों ने वापस लौटने की जानकारी दी थी, लेकिन इसमें से अब अधिकांश लौट गए हैं। वहीं विधायक देशराज कर्णवाल ने उद्योगों में श्रमिकों की बिना बताए छटनी और कम वेतनमान दिए जाने को लेकर सरकार से सवाल किया।
विधायक सौरभ बहुगुणा ने कहा कि सितारगंज स्थित सिडकुल क्षेत्र में कई लोगों को नौकरी से निकाया गया है। ऐसे श्रमिक श्रम न्यायालय में चले गए हैं, लेकिन वहां वादों की सुनवाई सुस्त हो रही है। बहुगुणा ने श्रम न्यायालयों में दायर वादों की सुनवाई तय समय सीमा के भीतर करने को लेकर सवाल उठाया। श्रम मंत्री ने ऐसे वादों का समयबद्ध निस्तारण का आश्वासन दिया है।