उत्तराखंड पंचायत चुनाव:नोटिफिकेशन की ओरिजनल कॉपी मांगी कोर्ट ने,वकीलों से हुई किरकिरी! प्रपत्र अब देंगें कोर्ट
नोटिफिकेशन की ओरिजनल कॉपी से हो गई सरकार की किरकिरी! अब भेजा प्रपत्र, कल देंगें कोर्ट – UTTARAKHAND PANCHAYAT ELECTION 2025
उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई रोक, सरकार की हुई किरकिरी, अचानक जोश हुआ ठंडा,समझें पूरा मामला
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देहरादून: उत्तराखंड में इस समय पंचायत चुनाव होगा या नहीं? ये सबसे बड़ा सवाल है तो वहीं सरकार की तरफ से दलील दी जा रही है कि हाईकोर्ट ने जिस कागज के न होने के चलते चुनाव प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया है, उस कागज को आज ही नैनीताल भेज दिया गया है. जिसे कल कोर्ट में पेश किया जाएगा.
उत्तराखंड में कल तक जहां पंचायत चुनाव को लेकर के सियासी पारा हाई था तो वहीं आज सुबह-सुबह नैनीताल हाईकोर्ट से आई एक खबर में पंचायत चुनाव के सारे जोश को ठंडा कर दिया. दरअसल, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जहां राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी थी तो 25 जुलाई से नॉमिनेशन प्रक्रिया शुरू होनी थी, लेकिन चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले ही आरक्षण सूची में आपत्तियों का मामला कोर्ट जा पहुंचा था.
आरक्षण की अधिसूचना पर फंसा था पेंच: इधर, राज्य निर्वाचन आयोग अपनी चुनाव की तैयारी में लगा था, लेकिन चुनाव की अधिसूचना से पहले पंचायती राज विभाग की ओर से 14 जून को जारी की गई आरक्षण की अधिसूचना पर अब भी कुछ पेंच फंसा हुआ था. जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी.
इसी सुनवाई को लेकर 23 जून को हाईकोर्ट ने आरक्षण को लेकर जारी की गई अधिसूचना में कुछ खामियां बताते हुए चुनाव प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया. इसके बाद पूरे प्रदेश भर में पंचायत चुनाव पर लगे स्टे की खबर आग की तरह फैल गई. नैनीताल हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया तो निश्चित तौर से सरकार के भी हाथ पांव फूल गए.
जानकारी की जुटाई गई कि आखिर क्यों कोर्ट ने इस तरह का फैसला लिया है? जिस पर पंचायती राज सचिव ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि कोर्ट ने आरक्षण की अधिसूचना को लेकर जारी किए गए गजट नोटिफिकेशन की ओरिजिनल प्रति न होने के चलते सरकार के आरक्षण अधिसूचना पर सवाल खड़े किए हैं.
Gazette Notification
सरकारी गजट (फोटो सोर्स- Government Official)
कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अधिसूचना जारी हुई तो उसका गजट नोटिफिकेशन कहां है? यानी सरकार के वकील की अधूरी तैयारी ने एक तरफ जहां कोर्ट में सरकार की किरकिरी कराई तो दूसरी तरफ पूरे प्रदेश भर में पंचायत चुनाव को दम भर रहे लोग भी निराश हुए.

उत्तराखंड पंचायती राज सचिव चंद्रेश यादव की मानें तो सरकारी वकील की भूल से भी स्टे लगा. उन्होंने कहा–
पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार यादव का कहना है कि

वहीं, इसके अलावा कुछ लोगों का ये भी मानना है कि गजट नोटिफिकेशन जब कोर्ट में जाएगा तो उस पर कोर्ट चर्चा करेगी, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आरक्षण अधिसूचना को लेकर सरकार की ओर से मंत्रीमंडल में फैसला लिया गया है. यह नियमावली सरकार की ओर से बनाई गई है. सरकार को इसे बनाने का अधिकार है, उम्मीद है कि इस पर हाईकोर्ट को किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं होगी.
गजट नोटिफिकेशन न छापने के पीछे किसकी लापरवाही है? इस पर जवाब देते हुए पंचायत राज सचिव चंद्रेश कुमार ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि सरकार के कई विभागों की अधिसूचनाओं को एक साथ रुड़की प्रेस में भेजा जाता है. रुड़की प्रेस जब कुछ गजट नोटिफिकेशन इकट्ठे हो जाते हैं तो एक साथ उन्हें छापती है, इस केस में भी 14 जून को ही रुड़की प्रेस में अधिसूचना भेज दी गई थी, लेकिन प्रेस की तरफ से छपने में देरी हुई है.
उत्तराखंड पंचायत चुनाव, हाईकोर्ट से सरकार को बड़ा झटका, आरक्षण विवाद
उत्तराड चायत चुनाव पर रोक लग गई . आज आरक्षण संबंधित याचकिाओं पर सुनवाई कर हाईकोर्ट ने दियादान.नैनीताल हाईकोर्ट से धामी सरकार को बड़ा झटका लगा. आज आरक्षण विवाद पर सुनवाई कर हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगा दी है. आरक्षण पर नोटिफिकेशन के अभाव में हाईकोर्ट ने यह फैसला लिया. साथ ही हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि आगे किसी भी तरह की चुनावी कार्रवाई न हो. हाईकोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सरकार की मंशा स्पष्ट हो गई. हाईकोर्ट में कांग्रेस की आशंकाओं पर मुहर लगी है. वहीं हाईकोर्ट के इस निर्देश पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि पार्टी कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही है. कोर्ट के फैसले का सम्मान है. सरकार की मंशा स्पष्ट है कि सरकार पंचायत चुनाव कराना चाहती है. वहीं सरकार के हाई कोर्ट में नियुक्त सिफारिशी वकीलों की फौज पर पहले से उठते सवाल तेज हो गये हैं. सांसद अजय भट्ट की पत्नी को तो पिछले महीने ही नियुक्त किया गया है जबकि उन्होने इसके पहले शायद ही किसी हाईकोर्ट में वकालत की हो.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के निर्धारित आरक्षण की रोटेशन प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. याचिकाओं पर सुनवाई बाद मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने सुनवाई को 23 जून की तारीख तय की थी. बागेश्वर के गणेश दत्त कांडपाल और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दी थीं.
10 जुलाई था मतदान
राज्य निर्वाचन आयोग के उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कार्यक्रम में 10 जुलाई को मतदान तारीख थी. उत्तराखंड निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना में बताया था कि मतदान 10 जुलाई और मतगणना 19 जुलाई को होगी.
25 से शुरू होते नामांकन
चुनाव को नामांकन 25 जून से और नामांकन की अंतिम तिथि 28 जून. नामांकन पत्रों की जांच 29 जून से एक जुलाई तथा तीन जुलाई को चुनाव चिह्न आवंटन था. राज्य निर्वाचन आयुक्त के अनुसार पंचायत चुनाव अधिसूचना जारी होते ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई जो चुनाव परिणाम घोषणा तक लागू रहेगी. उत्तराखंड के 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं.
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