मत:पहलवानों का आंदोलन यूं था कांग्रेस का भाजपा विरोधी टूल किट
राजस्थान-हरियाणा और लोकसभा चुनाव के लिए
भाजपा के खिलाफ टूलकिट है पहलवानों का प्रदर्शन, राजस्थान-हरियाणा चुनाव के दृष्टिगत जाट-राजपूत में दरार पैदा करने का षड्यंत्र
देहरादून 12 जून।दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहलवानों का प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ एक टूलकिट है। जिससे देश में अस्थिरता पैदा की जा सके और मोदी सरकार को बदनाम किया जा सके। इस प्रदर्शन का षड्यंत्र हाल में निपटे कर्नाटक चुनाव और इसी साल होने वाले राजस्थान और मध्यप्रदेश चुनाव को ध्यान में रखकर रचा गया और इसे हवा दी जाती रही । ध्यान दें,इसके समर्थकों में कृषि कानून से लेकर सीएए और शाहीन बाग वाले तत्व रहे हैं।
इसके साथ ही अगले साल लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव है इसीलिए जाट और राजपूतों में विवाद पैदा करने के लिए यह षडयंत्र किया गया। इस प्रदर्शन का उद्देश्य हिंदुओं का वोट बांटना और जाट-राजपूत में दरार पैदा करना है जिससे कांग्रेस को राजस्थान और हरियाणा चुनाव में फायदा मिल सके। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने के लिए बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट जैसे टूलकिट भी लेकर आए लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का जनसमर्थन नहीं घटा। भारतीय जनता पर इसका कोई असर नहीं हुआ, कोई देशव्यापी आंदोलन नहीं हुआ और उनका टूलकिट फेल हो गया। पीएम मोदी के खिलाफ वातावरण बनाने को नित नए टूलकिट तलाश रहे कांग्रेस ने अब पहलवानों को चुना है।
Controversy of Wrestlers and WFI (Explained)
In this entire controversy, there are 4 sides :
1. Brij Bhushan Singh – President of Wrestling Fed of India
2. Few prominent protesting wrestlers – Bajrang Punia, Vinesh Phogat, Sakshi Malik
3. Deependra Huda
4. Vultures1/19 pic.twitter.com/jHAEVHRhVN
— STAR Boy (@Starboy2079) April 30, 2023
कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ नैरेटिव बनाने को इस मुद्दे को हवा दी
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने जब अपने पार्टी नेतृत्व से इस विषय पर बात की तो उनकी बांछें खिल गई। मुंह मांगी मुराद मिल गई। कर्नाटक में चुनाव है। इसी साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में चुनाव होना है। अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा चुनाव भी होना है। इसीलिए उन्होंने इस मौके का इस्तेमाल भाजपा के खिलाफ नैरेटिव बनाने को किया। सरकार के कमेटी बनाने के बाद जब पहलवानों ने धरना बंद कर दिया था तब अप्रैल 2023 में इसे फिर से शुरू करना बताता है इसके पीछे कोई भिन्न लक्ष्य है। कांग्रेस समर्थक जाट और राजपूत समूह ने अचानक मोदी सरकार को गाली देना और धमकी देना शुरू कर दी। इससे साफ होता है कि जाट और राजपूत के बीच जातिगत विभाजन पैदा करने को यह विवाद उछाला गया। इसीलिए प्रियंका गांधी वाड्रा भी धरनास्थल पर पहुंची। राजस्थान और हरियाणा में भाजपा ने 2014, 2019 में सफलतापूर्वक सभी हिंदुओं को एकजुट किया था। योजना हिंदुओं को विभाजित करने की है। आखिर वे 7 महिलाएं कौन हैं, जिन्हें प्रताड़ित किया गया, वह कभी सामने नहीं आईं, उन्हें कोई नहीं जानता।
#जाट_खिलाड़ियों से कहना चाहूंगा , अगर धरने पर और भीड़ जोड़ना चाहते हो तो।
सपना चौधरी को बुला लो मनोरंजन भी हो जायेगा और आंदोलन भी।
Note:- वैसे भी यह आंदोलन किसान आंदोलन की तरह काफी लंबा चलने वाला है देश विरोधी सभी ताकत मिल गई है और एक #बाबा भी मिला हुआ इसमें।#NationWithBBS… pic.twitter.com/gE1vzZ28GS
— Rajput's Of INDIA (@rajput_of_india) May 1, 2023
इस केस का उपयोग करने के लिए इन बिन्दुओं पर टूलकिट तैयार हुआ
1. भाजपा को महिला विरोधी घोषित करना
2. भाजपा को जाट विरोधी के रूप में चित्रित करना
3. जाट और राजपूत के बीच दरार पैदा करना
4. हिंदुओं को बांटो
टूलकिट के प्रमुख खिलाड़ी कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और बजरंग पुनिया
इस टूलकिट के प्रमुख किरदार हैं पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगट और साक्षी मलिक, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा और विपक्षी दल एवं लेफ्ट लिबरल गैंग। इस टूलकिट से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह को निशाना बनाया गया ।
बृजभूषण शरण सिंह 2012 में WFI के अध्यक्ष बने
पहलवानों के ताजा विवाद के बाद इस कहानी को समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना पड़ेगा। ट्विटर यूजर STAR Boy ने इस मुद्दे पर ट्वीट की श्रृंखला जारी की है। वर्ष 2011 में, रेसलिंग फेड ऑफ इंडिया (WFI) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए। जम्मू-कश्मीर के पहलवान दुष्यंत शर्मा जीते और अध्यक्ष बने। हरियाणा कुश्ती संघ ने इस चुनाव को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी और वे केस जीत गए। कोर्ट ने दोबारा चुनाव कराने को कहा। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनना चाहते थे। समाजवादी पार्टी के बृजभूषण शरण सिंह ने भी चुनाव लड़ने का फैसला किया। उन्होंने मुलायम सिंह से मदद मांगी, मुलायम ने अहमद पटेल से बात की। उस समय कांग्रेस सपा के समर्थन से सत्ता में थी। अहमद पटेल ने दीपेंद्र हुड्डा को अपना नामांकन वापस लेने को कहा। भारी मन से उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। इस तरह बृजभूषण शरण 2012 में WFI के निर्विरोध अध्यक्ष बने।
बृजभूषण शरण सिंह 2015 और 2019 में चुनाव जीतकर अध्यक्ष बने
अध्यक्ष पद 4 साल के लिए होता है। बृजभूषण शरण 2015 और 2019 में भी जीतकर अध्यक्ष बने रहे। 2014 में, वह फिर से भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा भी केंद्र में जीती, इसलिए उन्हें भाजपा से समर्थन मिला।
राम मंदिर आंदोलन में गिरफ्तार हुए थे बृजभूषण शरण सिंह
बृजभूषण शरण की पृष्ठभूमि भाजपा की ही है। वे राम मंदिर आंदोलन में भी शामिल थे और बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई से गिरफ्तार किए गए पहले व्यक्ति वही थे। 2008-14 के दौरान वे सपा में थे।
दीपेंद्र हुड्डा 2011, 2015 और 2019 में हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने
दीपेंद्र हुड्डा 2011, 2015 और 2019 में हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा 2012 से डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष बनना चाहते थे। लेकिन अहमद पटेल के हस्तक्षेप से उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया।
टूलकिट की तलाश में कांग्रेस को मिली संजीवनी
अब जब कांग्रेस भाजपा सरकार के खिलाफ कोई टूलकिट की तलाश में थी तो उन्हें दीपेंद्र हुड्डा की लड़ाई उपयोगी लगी। उन्हें लगा कि यह एक ऐसा विषय है जिसपर किसी को संदेह भी नहीं होगा क्योंकि यह खेल के मैदान से था। और इस तरह एक आंदोलन खड़ा किया जा सकेगा और मोदी सरकार को महिलाओं के मुद्दे, खिलाड़ियों को लेकर घेरा जा सकेगा।
बृजभूषण शरण सिंह WFI के सबसे सफल अध्यक्ष
बृजभूषण शरण सिंह भारतीय इतिहास में WFI के सबसे सफल अध्यक्ष बने। भारतीयों ने उनके कार्यकाल में कई पदक जीते, इससे डब्ल्यूएफआई में उनकी स्थिति और मजबूत हुई । उसमें भी सबसे ज्यादा पदक हरियाणा के पहलवानों ने जीते।
भारतीय कुश्ती में चयन को लेकर पहलवानों के बीच खींचतान
भारतीय कुश्ती में चयन को लेकर पहलवानों के बीच खींचतान कोई नई बात नहीं है। सबसे चर्चित केस में से एक 2016 में सुशील कुमार और नरसिंह यादव के बीच हुआ था। सुशील ओलंपिक पदक विजेता थे और वह रियो ओलंपिक में खेलना चाहते हैं लेकिन डब्ल्यूएफआई नरसिंह को भेजना चाहता था। सुशील हरियाणा के थे और नरसिंह उत्तर प्रदेश के। मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने नरसिंह के पक्ष में फैसला सुनाया। लेकिन जाने से पहले ही वह डोप टेस्ट में फेल हो गए। उन्होंने सुशील कुमार को दोषी ठहराया कि हरियाणा के खिलाडिय़ों से उनके खाने में मिलावट कराई। इस तरह देश के एक होनहार पहलवान का जीवन हरियाणा पहलवान गैंग ने सिर्फ इसलिए समाप्त कर दिया कि वह उत्तर प्रदेश से था।
2020 में विनेश फोगट निलंबित करने से भी उठा विवाद
2020 में, एक और विवाद तब हुआ जब विनेश फोगट को निलंबित कर दिया गया जब उन्होंने भारतीय लोगो के स्थान पर अपनी ड्रेस पर प्रायोजक का लोगो प्रदर्शित किया। टोक्यो ओलंपिक में उसने अन्य पहलवानों के साथ रहने से भी इनकार कर दिया था। वह कोई पदक भी नहीं जीत सकी। जबकि करोड़ों रुपए खर्च कर सरकार ने उनके लिए विदेश में उनकी पसंद के कोच तक की व्यवस्था की थी और अभ्यास कराने वाले साथी के रूप में वे अपने पति को सरकारी खर्च पर साथ ले जाने में भी सफल रही थीं।
WFI ने 2021 में पहलवानों के चयन को नए नियम बनाए
WFI और हरियाणा के पहलवानों के बीच विवाद तब बढ़ा जब WFI ने नवंबर 2021 में नए चयन नियम लाए। नए नियमों के अनुसार प्रत्येक पहलवान चाहे पदक धारक हो या नहीं, उन्हें अनिवार्य रूप से नेशनल खेल ट्रायल से गुजरना है। WFI ने हर राज्य का कोटा भी तय किया। हरियाणा महासंघ ने इसका भारी विरोध किया लेकिन डब्ल्यूएफआई पीछे नहीं हटा। असल में हरियाणा के पहलवान हर राज्य के कोटे से भी आ रहे थे। बृजभूषण शरण सिंह ने यह भी बंद करा दिया।
2022 में हरियाणा फेडरेशन भंग, दीपेंद्र हुड्डा को हटाकर रोहतास अध्यक्ष बने
बृजभूषण शरण सिंह और हरियाणा फेडरेशन के बीच जून 2022 में खुली लड़ाई हुई एवं डब्ल्यूएफआई ने हरियाणा फेडरेशन को किया भंग कर दिया। हरियाणा फेडरेशन के अध्यक्ष पद से दीपेंद्र हुड्डा को हटाकर रोहतास को नया अध्यक्ष नियुक्त किया।
बजरंग, विनेश और साक्षी ने नए चयन नियमों का किया विरोध
दूसरी तरफ बजरंग, विनेश और साक्षी नए चयन नियमों का विरोध कर रहे थे और उन्होंने गुजरात में राष्ट्रीय खेलों और दिसंबर में नई दिल्ली में चयन ट्रायल में भाग नहीं लिया।
बजरंग, विनेश और साक्षी ने ट्रायल में भाग नहीं लिया, एशियाई खेलों में खेलने का रास्ता बंद
दिसंबर 2022, डब्ल्यूएफआई ने साफ किया कि केवल चयन ट्रायल में भाग लेने वालों पर ही एशियाई खेलों के लिए विचार किया जाएगा, यानी बजरंग, विनेश और साक्षी के लिए खेल खत्म।
शुरू में प्रदर्शन कार्यशैली को लेकर था, बाद में यौन उत्पीड़न लाया गया
उसके बाद जनवरी 2023 में उन्होंने जंतर मंतर पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध शुरू किया। उनके शुरुआती आरोप कार्यशैली के थे। यौन उत्पीड़न का एंगल बाद में एक पत्रकार की ‘शोषण’ की व्याख्या में यौन शोषण घुसेडने के बाद आया। इसके बाद सरकार ने कमेटी नियुक्त की और पहलवानों का आंदोलन ढीला पड़ गया।
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष का अगला चुनाव मई 2023 में
डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष का अगला चुनाव मई 2023 को होना था। कोई भी तीन बार से ज्यादा अध्यक्ष नहीं बन सकता इसलिए हुड्डा को यकीन था कि वह इस बार तो अध्यक्ष बन ही जायेंगें। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि बृजभूषण शरण सिंह अपने बेटे को अध्यक्ष पद को प्रमोट करने की योजना बना रहे हैं। असल में इस बीच बृजभूषण शरण के एक बेटे ने पिता की उपेक्षा से नाराज़ हो कर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उन पर यह दबाव भी काम कर गया होगा। इसी लिए पहलवान ये शर्त भी ले आए कि बृजभूषण शरण सिंह का कोई नजदीकी कुश्ती संघ का चुनाव न लड़ें।
बजरंग और दीपेंद्र हुड्डा ने इसलिए मिलाया हाथ
बजरंग, विनेश और साक्षी बिना सेलेक्शन ट्रायल के एशियन गेम्स खेलना चाहते थे, हुड्डा प्रेसिडेंट बनना चाहते थे और कॉमन दुश्मन थे बृजभूषण शरण सिंह। इसलिए दोनों ने हाथ मिला लिया। यानी इसमें राजनीतिक तड़का भी लग गया।
अप्रैल 2023 में धरना फिर शुरू, अब यौन उत्पीड़न का नया एंगल
अप्रैल 2023 से पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ फिर से धरना शुरू कर दिया। अपने पिछले विरोध में उनके मुख्य आरोप असभ्य व्यवहार और बृजभूषण शरण के दुराचार थे, लेकिन इस बार उन्होंने अपनी योजना पूरी तरह से बदल दी और केवल यौन उत्पीड़न के बारे में बोलना शुरू कर दिया। हुड्डा की योजना इस मामले का उपयोग करने और WFI के अगले अध्यक्ष बनने की है जो कि वह 2012 में नहीं बन सके थे। सरकार ने मई 2023 के चुनाव रद्द किए और एड हॉक कमेटी बनाई।
पहलवानों का धरना राजनीति से प्रेरितः बृजभूषण शरण सिंह
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने उनके खिलाफ नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर शीर्ष पहलवानों के धरने को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि धरना दे रहे पहलवान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के खिलौने बन गए हैं। उनका उद्देश्य मेरा कुश्ती संघ का इस्तीफा नहीं है क्योंकि मेरा कार्यकाल तो खत्म ही हो चुका। यह विशुद्ध राजनीतिक है। बृजभूषण ने कहा कि प्रदर्शन करना उनका अधिकार है लेकिन क्या रेलवे से जुड़ा कोई खिलाड़ी इस तरह धरने पर बैठ सकता है? जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाए जा रहे हैं।
समाजवादी पार्टी ने धरने से किया किनारा, समर्थन नहीं दिया
बृजभूषण ने सपा के प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पार्टी के रुख की सराहना की कि सपा धरने से नहीं जुड़कर सच्चाई के साथ खड़ी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने पहलवानों को समर्थन दिया है और इन पार्टी के नेताओं ने प्रदर्शन स्थल पर पहलवानों से मुलाकात की। हालांकि समाजवादी पार्टी ने धरने से किनारा किये रखा। कैसरगंज से सांसद बृजभूषण ने कहा कि मैं समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। मैं उन्हें बचपन से जानता हूं। मैं उनसे बड़ा हूं, हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हैं लेकिन अखिलेश सच्चाई जानते हैं और अगर उत्तर प्रदेश में 10,000 पहलवान हैं तो इनमें से आठ हजार यादव समुदाय से हैं और समाजवादी परिवार से हैं और इसलिए वे सच्चाई जानते हैं।
23 अप्रैल से दोबारा शुरू किया गया धरना
देश के शीर्ष पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग करते हुए 23 अप्रैल से एक बार फिर जंतर मंतर पर धरना शुरू किया। बृजभूषण पर उन्होंने महिला पहलवानों को धमकाने और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये हैं। इससे पहले उन्होंने जनवरी में धरना दिया था।
पहलवानों के प्रदर्शन में ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ नारे का क्या मतलब
जिस तरह से जंतर मंतर पर इन पहलवानों ने अपने धरने में ‘मोदी तेरी कब्र खुदेगी’ के नारे लगवाये उससे ये साफ है कि इसके पीछे कौन लोग हैं और निशाने पर केवल प्रधानमंत्री मोदी हैं। इन्हें इतनी शर्म नहीं आई कि जिस मोदी ने भारतीय खेल और खिलाड़ियों को अपूर्व प्रोत्साहन दिया, ये उसकी कब्र खोदना चाहते हैं।
बृजभूषण सिंह टीम के साथ ही नहीं थे तो यौन उत्पीड़न कैसे
पहले विनेश फोगट और साक्षी मलिक ने कमेटी के सामने दावा किया कि एक महिला फिजियो को परेशान किया गया, फिजियो ने इस से इनकार किया। तब विनेश फोगट ने आरोप लगाया कि 2015 में तुर्की यात्रा के दौरान खुद उन्हें और साक्षी मलिक को परेशान किया गया था, लेकिन पता चला कि बृजभूषण सिंह तो टीम के साथ तुर्की ग्रे ही नहीं थे। तब विनेश फोगट ने दावा किया कि वह सटीक तारीख भूल गई, यह वास्तव में 2016 में मंगोलिया दौरे में हुआ, फिर से समिति ने जांच की और पाया कि बृजभूषण सिंह मंगोलिया दौरे के दौरान भी टीम के साथ नहीं थे।
यौन उत्पीड़न की शिकार एक भी महिला खिलाड़ी सामने नहीं आई
विनेश फोगट और साक्षी मलिक ने दावा किया कि नाबालिगों सहित हजारों लड़कियों को परेशान किया गया। समिति ने उनसे कुछ नाम बताने को कहा तो जवाब आया कि हम उनके नाम नहीं जानते, लेकिन ऐसा हुआ। फिर वे यह दावा करते हुए सड़क पर आ गए कि सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है क्योंकि आरोपित भाजपा सांसद है। दिलचस्प बात यह है कि उनमें से किसी ने भी बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की और उन 1000 पीड़ितों में से कोई भी अपने दावों को साबित करने के लिए सामने नहीं आया।
इस मामले की सीबीआई से जांच होनी चाहिएः दीपेंद्र हुड्डा
जिस तत्परता से सांसद दीपेंद्र हुड्डा दिल्ली के जंतर मंतर धरनास्थल पर खिलाड़ियों के समर्थन में पहुंचे, उससे साफ होता है कि राजनीतिक लाभ को इस मुद्दे को उछाला गया है। उन्होंने खिलाड़ियों की मांगों और धरने का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि जब तक बेटियों को न्याय नहीं मिलेगा न तो हम चैन से सोएंगे न ही इस सरकार को चैन से सोने देंगे। बेटियों को न्याय दिलाने को कोई भी कुर्बानी देनी पड़ेगी तो हम पीछे नहीं हटेंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की।
केजरीवाल पहलवानों को समर्थन देने पहुंचे
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित यौन उत्पीड़न को लेकर खेल महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से मुलाकात की। अपने बंगले पर 52 करोड़ रुपए खर्च को लेकर घिरे केजरीवाल ने लोगों से बृजभूषण शरण सिंह के विरोध में देश के शीर्ष एथलीटों का समर्थन करने की अह्वान किया। केजरीवाल ने कहा कि, “ देश से प्यार करने वाला हर नागरिक पहलवानों के साथ खड़ा हो।” उन्होंने कहा कि, भाजपा सांसद के खिलाफ लड़ाई में केंद्र सरकार को पहलवानों की मदद करनी चाहिए।
प्रियंका गांधी का जंतर-मंतर जाना उल्टे गले पड़ गया
प्रियंका गांधी जंतर मंतर पर पहलवानों से मिलने और समर्थन देने पहुंची थी लेकिन वहां जाना उनके गले पड़ गया। इस दौरान प्रियंका के साथ उनके निजी सचिव संदीप सिंह भी थे। इस पर बबिता फोगाट ने प्रियंका गांधी को आड़े हाथ लिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, ‘प्रियंका वाड्रा अपने निजी सचिव संदीप सिंह को लेकर जंतर मंतर महिला पहलवानों को न्याय दिलाने पहुंची हैं लेकिन इस व्यक्ति पर खुद महिलाओं से छेड़छाड़ और एक दलित महिला को दो कौड़ी की औरत कहने जैसे तमाम आरोप लगे हैं।’
केजरीवाल से लेकर सत्य पाल मलिक तक धरना स्थल पहुंचे
अरविंद केजरीवाल के अलावा कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा, किसान नेता राकेश टिकैत, आंदोलन जीवी सलीम योगेन्द्र यादव,जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक, खाप पंचायत नेता, CPI(M) नेता बृंदा करात और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी पहलवानों से मिले।
कुश्ती के पीछे की असली कुश्ती!
भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर कुछ पहलवानों ने यौन-शोषण के आरोप लगाये थे जिसके बाद खेलजगत में भूचाल-सा आ गया। ध्यान रहे कि बृजभूषण शरण सिंह ने विगत वर्षों में कई ऐसे निर्णय लिये थे जिनमें सारे भारत भर के उदीयमान पहलवानों का लाभ था, न कि सिर्फ हरियाणा के पहलवानों और हरियाणा की लॉबी का! हरियाणा की लॉबी को इससे झटका लगा और इसे राजनीतिक रूप दे दिया गया।
जांच समिति ने जांच में लगे आरोपों को निराधार पाया
सरकार ने मेरी कॉम, योगेश्वर दत्त और पी.टी. उषा जैसे नामी एवं भारत के लिए ओलंपिक में पदक विजेता खिलाड़ियों की एक जांच समिति बना दी जिसने अपनी जांच में लगे आरोपों को पूरी तरह निराधार पाया।
पीटी ऊषा का अपमान
आंदोलनकारी पहलवानों की सार्वजनिक अपीलों के दबाव में आई सेलेब्रिटी महिला धावक और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी ऊषा पहलवानों के धरने पर मिलने गई तो धरने में शामिल आंदोलनजीवियों ने उनका मुंह काला कर अपमानित किया तो पूरे देश में रोष की लहर दौड़ गई और आंदोलन का रहा सहा नैतिक बल और उसको लेकर सहानुभूति हवा हो गई।
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद धरना का क्या औचित्य
कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी पहलवान अपने धरना, प्रदर्शन और बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे। अब सुप्रीम कोर्ट के लिये गये संज्ञान और निर्देश के आधार पर जब अभियुक्त के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हो गई है तब भी सिर्फ हरियाणा के ही पहलवानों के झुंड का जंतर-मंतर पर धरना देने का भला क्या औचित्य है?
चाचा और दादा के बाद पोस्को वाली पहलवान और उसके पिता ने पलटा बयान
बृजभूषण शरण सिंह पर सबसे मारक हमला एक नाबालिग महिला पहलवान का धारा 164 में दिया गया यौन शोषण का बयान था जिसे लेकर हर कोई बृजभूषण शरण की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करने लगा जबकि बृजभूषण शरण के पास आडियो में एक पहलवान किसी भी कीमत पर बृजभूषण के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने वाली नाबालिग पहलवान का ‘इंतजाम’ करने को कह रहा था। उसके कुछ दिन बाद कथित नाबालिग पहलवान के चाचा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि उसकी भतीजी कथित यौन शोषण की तारीख में बालिग थी और उसके साथ कुछ नहीं हुआ बल्कि उसके भाई (लडकी के पिता) को हरियाणा में कांग्रेस सरकार आने पर पुलिस अफ़सर की नौकरी देने का लालच देकर गुमराह किया गया है। कुछ दिन बाद पोस्को वाली पहलवान के दादा -दादी ने अपनी पोती को उसके पिता द्वारा हत्या की धमकी दे कर बयान दिलवाने की पुष्टि कर दी। इसके अगले ही दिन पोस्को वाली पहलवान के पिता ने आंदोलन स्थल छोड़ बेटी को अदालत के सामने धारा 164 का दूसरा बयान दर्ज करा यौन शोषण का आरोप वापस ले नया आरोप लगाया कि उनकी बेटी से चयन ट्रायल में बेईमानी हुई थी जिससे क्रोध में उन्होंने बेटी से यौन शोषण का आरोप लगवाया था। इससे बृजभूषण शरण के खिलाफ खड़ा किया गया सारा रेत का महल ढह गया।
संसद के नये भवन के उद्घाटन के दिन की मूर्खता
पहलवानों के नये संसद भवन के उद्घाटन के दिन उद्घाटन स्थल पर प्रदर्शन की कोशिश उनके राजनीतिक उद्देश्य के साथ उनके अनाड़ीपन को भी दर्शा गया। राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक को इस तरह भुनाने की कोशिश की प्रायोजित फोटो वीडियो के बावजूद चौतरफा निंदा हुई तो इनकी लड़ाई और कमजोर हुई ।
सुनियोजित है पहलवानों का धरना कार्यक्रम
आरोप लगाने वाली पहलवानों के परस्पर विरोधी वक्तव्यों एवं तथ्यों से भरे आरोपों तथा इसमें केजरीवाल, प्रियंका, हुड्डा आदि के कूदने और हरियाणा को छोड़कर भारत के किसी भी अन्य प्रदेश की महिला पहलवान या पहलवान के ऐसे किसी भी आरोप न लगाने से ही सारा परिदृश्य एक सुनियोजित- प्रायोजित कार्यक्रम दिखता है।
पहलवानों के पर्दे के पीछे कोई और पहलवानी कर रहा
स्पष्ट है कि यह किसानों की आड़ में किसान आंदोलन करने वाले उसी टूलकिट या उसी की तर्ज का आंदोलन है। इन पहलवानों के पर्दे के पीछे कोई और पहलवानी कर रहा है जबकि कुछ भोले-भाले पहलवान इस कुचक्र में उलझकर बेकार ही मुफ्त में दंड पेल रहे हैं! इसके साथ ही प्रशिक्षण शिविरों से लेकर घरेलू प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनिवार्यता और प्रदर्शन तथा ड्रग्स के प्रति बृजभूषण शरण सिंह का कठोर रवैया आदि के कारण भी आंदोलनजीवी बनने की राह पर चल रहे इन पहलवानों को वस्तुत: आपत्ति रही है।
अमित शाह का हस्तक्षेप
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आंदोलनकारी पहलवानों को बुला कर उनकी शिकायते सुन उनकी यह शिकायत दूर कर दी सत्ता उनकी सुन नहीं रही। उन्होंने साफ कर दिया कि पुलिस इस मामले में कार्रवाई को पूरी तरह स्वतंत्र है। समझा जाता है कि उन्होंने संकेतों में पहलवानों को समझा दिया कि सरकारी नौकरी रहते वे इस तरह आंदोलन नहीं कर सकते। संकेत यह भी हो सकता है कि शाह ने यह ऊंच-नीच भी समझाई हो कि यदि वे अपने आरोप साबित न कर पाए तो बृजभूषण शरण मानहानि का मुकदमा कर सकते हैं।