कौन है अब्बास सिद्दिकी जो बना कांग्रेस-माकपा के गले की हड्डी
कौन है अब्बास सिद्दीकी, जिनके साथ गठबंधन करके कांग्रेस फंस गई है!
अब्बास सिद्दीकी कहने को तो पश्चिम बंगाल की हुगली स्थित फुरफुरा शरीफ के ‘पीरजादा’ हैं. लेकिन उनके जहरीले बयानों में कहीं भी सूफी अंदाज नहीं दिखता. अब जब कांग्रेस ने वामपंथी दलों के साथ मिलकर इस विवादित नेता से नाता जोड़ लिया है, तो हंगामा मच गया है
पश्चिम बंगाल की फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) नाम की एक राजनीतिक पार्टी बनाई है. आईएसएफ इस बार के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-वाम दलों के गठबंधन के साथ जुड़ी है. अब्बास सिद्दीकी के साथ हुआ गठबंधन कांग्रेस नेतृत्व के लिए भारी पड़ रहा है. सिद्दीकी के जहरीले और कट्टरपंथी बयान कांग्रेस ही कई असंतुष्ट नेताओं को चुभ गए हैं. बीजेपी ने तो धर्मनिरपेक्षता पर कांग्रेस के दोमुंहेपन को मुद्दा ही बना लिया है.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस गठबंधन को पार्टी की गांधीवादी और नेहरुवादी धर्मनिरपेक्ष मूल विचारधारा के खिलाफ बताया है. कांग्रेस नेता शर्मा ने इस गठबंधन पर अपनी ही पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस सिलेक्टिव नहीं हो सकती है. हमें सांप्रदायकिता के हर रूप से लड़ना है. आनंद शर्मा के ये बयान बताने के लिए काफी है कि आईएसएफ एक सांप्रदायिक विचारों वाली पार्टी है. आइए जान लेते हैं कि कौन है पीरजादा मौलाना अब्बास सिद्दीकी, और क्या है नवनिर्मित इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) की सांप्रदायिकता?
अब्बास सिद्दीकी को फुरफुरा शरीफ दरगाह का ‘पीरजादा’ भी कहा जाता है.
লড়কে লেঙ্গে পাকিস্তান – মুসলিম লিগের নেতারা ১৯৪৬
মাতৃভূমিকে স্বাধীন করবো – আব্বাস সিদ্দিকী ২০২১ pic.twitter.com/3DY7pHzNEx
— BJP Bengal (@BJP4Bengal) March 1, 2021
कौन है पीरजादा अब्बास सिद्दीकी?
पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ गांव में पले-बढ़े मौलाना अब्बास सिद्दीकी तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी रहा है. अब्बास सिद्दीकी को फुरफुरा शरीफ दरगाह का ‘पीरजादा’ भी कहा जाता है. फुरफुरा शरीफ दरगाह और मौलाना अब्बास सिद्दीकी का पश्चिम बंगाल की मुस्लिम आबादी पर खासा प्रभाव माना जाता है. पश्चिम बंगाल के मुस्लिम युवाओं में अब्बास सिद्दीकी के नाम का जादू सिर चढ़कर बोलता है. कहा जा सकता है कि मुस्लिम बहुल सीटों पर मतदाता सीधे तौर पर अब्बास सिद्दीकी की बात को मनाते हैं. विधानसभा चुनाव से पहले ही अब्बास सिद्दीकी ने टीएमसी और ममता बनर्जी को झटका देते हुए इंडियन सेक्युलर फ्रंट नाम से एक अलग पार्टी बना ली थी. सिद्दीकी ने पार्टी बनाने के फैसले को मुस्लिमों के हक की लड़ाई कहा था.
And they call us Islamophobic pic.twitter.com/fY5HJY9xZC
— desi mojito (@desimojito) April 1, 2020
अलगाववाद के नारे
मौलाना अब्बास सिद्दीकी और विवादित बयानों का चोली-दामन का साथ है. पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई ने हाल ही में कांग्रेस-वाम दलो और इंडियन सेक्युलर फ्रंट की कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में हुई जनसभा की एक छोटी सी क्लिप ट्वीट की है. जिसमें भाजपा ने 1946 में मुस्लिम लीग के नेताओं के नारे ‘लड़ कर लेगें पाकिस्तान’ और मौलाना अब्बास सिद्दीकी की जनसभा में दिए गए भाषण की एक लाइन ‘मातृभूमि के साधीन कोरबो’ की तुलना की है. मौलाना अब्बास ने बांग्ला भाषा में ‘मातृभूमि के साधीन कोरबो’ कहा था, जिसका हिंदी में अर्थ होता है कि हम अपनी मातृभूमि को आजाद कराएंगे. सिद्दीकी ने आगे कहा कि चुनाव में मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अगर खून भी बहाना पड़ा, तो हम ये करेंगे.
वायरस से 50 करोड़ लोगों के मरने की बात कही थी
वैश्विक महामारी कोरोना के फैलने के दौरान मौलाना अब्बास सिद्दीकी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था. यह वीडियो बीते साल 26 फरवरी का बताया जाता है. वीडियो में मौलाना अब्बास सिद्दीकी तकरीर करता हुआ नजर आ रहा था. मौलाना अब्बास वीडियो में कह रहा है कि मैं सोच रहा हूं, एक महीने के अंदर कुछ होगा. अल्लाह हमारी दुआओं को कबूल करे और एक ऐसा वायरस भेजे, जिससे 10, 20, 50 करोड़ लोग मर जाएं. सिद्दीकी ने ये भी कहा कि वह भी इसमें मर जाए, तो उसे कोई गम नहीं होगा. इस बयान पर बवाल मचने के बाद में वह इससे मुकर गया था. सिद्दीकी ने कहा था कि वह भारत की धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखता है और उसके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है.
भरा था बंगाल में बहुसंख्यक होने का दंभ
Peerzada Abbas Siddiqui of Furfura Sharif in West Bengal, Ind, says at a public meeting in Pingla,Medinipur, ‘It is Bengal,we r the majority here. Here we r not a minority.Keep it in mind.We r 35% here.Matuas r not Hindus,Dalits r not Hindus either.They r all different religions. pic.twitter.com/3stoJsd5M5
— Raju Das 🇧🇩 (@RajuDas7777) November 28, 2020
मौलाना अब्बास सिद्दीकी पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के बहुसंख्यक होने का दंभ भी भरते रहे हैं. तकरीरों के दौरान वह कई बार ऐसा कहते हुए पाया गया है. सोशल मीडिया पर वायरल एक अन्य वीडियो में सिद्दीकी कहते हुए नजर आता है कि यह बंगाल है,हम यहां अल्पसंख्यक नही हैं. हम यहां बहुसंख्यक हैं, इसे याद रखिएगा. पश्चिम बंगाल में हमारी आबादी 35 फीसदी है. वीडियो में वह आगे कहता नजर आता है कि आदिवासी,मतुआ और दलित हिंदू नहीं हैं.
CAA के खिलाफ कोलकाता एयरपोर्ट ब्लॉक करने की दी थी धमकी
2019 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ मौलाना अब्बास सिद्दीकी ने कोलकाता एयरपोर्ट को ब्लॉक करने की धमकी दी थी. सिद्दीकी का मानना था कि CAA कानून देश की मुस्लिम आबादी के खिलाफ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उस दौरान सिद्दीकी मे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से CAA के मामले पर सुप्रीम कोर्ट जाने या विधानसभा में इसके खिलाफ प्रस्ताव लाने की बात की थी. उन्होंने ममता बनर्जी को चेतावनी देते हुए कहा था कि वो इस पर तुरंत कोई कदम उठाएं या फिर पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के समर्थन को भूल जाएं.
ममता बनर्जी के लिए बना दिए हैं मुश्किल हालात
मुस्लिम मतदाताओं पर अपने प्रभाव की वजह से फुरफुरा शरीफ दरगाह चुनावों में अहम भूमिका निभाती है. आईएसएफ बनने के बाद अब्बास सिद्दीकी ने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी. हालांकि, अब वह कांग्रेस-वाम दलों के गठबंधन से जुड़े हैं. पश्चिम बंगाल में अब्बास सिद्दीकी ने ममता बनर्जी के राजनीतिक समीकरणों को बिगाड़ने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. पश्चिम बंगाल की 100 से ज्यादा सीटों पर मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर सीधे तौर पर हार-जीत का फैसला करते हैं. सिद्दीकी के इस दांव से राज्य में ममता बनर्जी के लिए सियासी मुश्किलें पैदा हो गई हैं. अब्बास सिद्दीकी तृणमूल कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकते हैं. टीएमसी के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगने पर ममता बनर्जी को चुनाव में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.