ज्ञान: आपातकाल में बाला साहब देवरस ने इंदिरा को लिखा क्या था?
देवरस की पाती इंदिरा जी को
जिस कांग्रेस ने चरखा कातकर देश को आजादी दिलाने की बात हम सब के मन मस्तिष्क में भर दी पर आजादी के बाद उसी कांग्रेस को सत्ता के लिए पुलिस प्रशासन की जरूरत पड़ने लगी। इंदिरा जी ने तो पुलिस प्रशासन का ऐसा इस्तेमाल किया की चरखा तब दिल्ली में उल्लू का चरखा नाम की गाली बन गई। सारे फंडामेंटल हुकूक लेने के बाद सफेद टोपी लगा करके जब कांग्रेसी कहते हैं की संघ के अध्यक्ष ने इंदिरा जी के सामने माफी मांगी, तो लगता है कि कोई चांद पर थूक रहा हैं।
अपने पत्र में जेल में बंद पूर्व संघ प्रमुख बालासाहब देवरस क्या लिखते है वह पढ़ने लायक है
“महात्मा गांधी की हत्या के संदर्भ में आपने सरदार पटेल जी के एक पत्र का उल्लेख किया है। श्री पटेल गृहमंत्री थे और सरकारी नीति का समर्थन करने के लिए उनका वैसा पत्र लिखना स्वाभाविक था। किन्तु उनके पत्रों की प्रकाशित पुस्तक में प्रधानमंत्री (पंडित जवाहरलाल नेहरू) को लिखा एक पत्र भी है। जिसमें महात्मा गांधीजी की हत्या से संघ का कुछ भी संबंध न होने का विश्वास उन्होंने प्रकट किया है। वह पत्र आपकी जानकारी में शायद नहीं आया है”।
इस विषय पर सहायक प्रोफेसर लोकेंद्र सिंह, माखनलाल चतुर्वेदी विवि कहते है कि “उल्लेखनीय है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जब बार-बार गृहमंत्री सरदार पटेल को पत्र लिखकर दबाव बना रहे थे कि संघ पर क्या कार्रवाई हुई, तब पंडित नेहरू की जिज्ञासा को शांत करने के लिए सरदार पटेल पत्र (27 फरवरी, 1948) में लिखते हैं कि गांधी जी की हत्या के सम्बन्ध में चल रही कार्यवाही से मैं पूरी तरह अवगत रहता हूं। सभी अभियुक्त पकड़े गए हैं तथा उन्होंने अपनी गतिविधियों के सम्बन्ध में लम्बे-लम्बे बयान दिए हैं। उनके बयानों से स्पष्ट है कि यह षड्यंत्र दिल्ली में नहीं रचा गया। वहां का कोई भी व्यक्ति षड्यंत्र में शामिल नहीं है। षड्यंत्र के केन्द्र बम्बई, पूना, अहमदनगर तथा ग्वालियर रहे हैं। यह बात भी असंदिग्ध रूप से उभर कर सामने आयी है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इससे कतई सम्बद्ध नहीं है। यह षड्यंत्र हिन्दू सभा के एक कट्टरपंथी समूह ने रचा था। यह भी स्पष्ट हो गया है कि मात्र 10 लोगों द्वारा रचा गया यह षड्यंत्र था और उन्होंने ही इसे पूरा किया। इनमें से दो को छोड़ सब पकड़े जा चुके हैं। “
स. प्रोफेसर लोकेंद्र लिखते है ~ “देवरस जी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करने के लिए श्रीमती गांधी की आलोचना भी इसी पत्र में की है। उन्होंने लिखा है कि “श्री जयप्रकाश जी को सीआईए का एजेंट, सरमायेदारों का साथी, देशद्रोही कहना, यह ठीक नहीं, यह अनुचित है। वे भी देशभक्त हैं। आपके भाषणों में भी अनेक बार ऐसे विचार कहे गए हैं”। यहाँ देवरस जी साफतौर पर श्रीमती गांधी को कह रहे हैं कि जयप्रकाश नारायण देशभक्त हैं, उन्हें सीआईए का एजेंट एवं देशद्रोही कहकर आप उनका अपमान करती रही हैं, यह गलत बात है। उस दौर में श्रीमती गांधी को इस तरह कहना बहुत साहस की बात थी। मजेदार बात है कि इसके बाद भी आज कुछ विद्वान दावा कर रहे हैं कि बाला साहब देवरस आपातकाल लगाने के लिए श्रीमती गांधी की प्रशंसा एवं समर्थन कर रहे थे। यह सब पढ़ने के बाद ऐसे विद्वानों की बुद्धि पर आश्चर्य ही होता है।”
#प्रथक बटोही की फेसबुक वाल से

