ये हैं जार्ज सोरेस के पालतू! कोई और प्रमाण चाहिए?
जॉर्ज सोरोस और भारत (हिन्दू पहचान वाले भारत) का विरोध: उसके आदमी और उसके द्वारा पोषित संगठन
देहरादून 21 फरवरी।हाल ही में जॉर्ज सोरोस ने खुलकर यह कहा है कि भारत में नरेंद्रमोदी सरकार के गिरने की कामना की थी और यह भी कहा था कि अडानी समूह के चलते उन्हें विदेशी निवेशकों के प्रश्नों के उत्तर देने होंगे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जॉर्ज सोरोस का नाम सामने आया हो, परन्तु यह संभवतया पहली बार हुआ है कि जॉर्ज सोरोस ने इस प्रकार भारत की चुनी हुई सरकार को निशाना बनाया और ऐसा भी पहली ही बार हुआ कि कांग्रेस की ओर से जॉर्ज सोरोस का सांकेतिक ही सही विरोध हुआ।
परन्तु यह भी सत्य है कि जॉर्ज सोरोस और कांग्रेस की निकटता प्राय: दिखती ही रहती है।
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की है और इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ एक नहीं कई ऐसे चेहरे जुड़े जो भारत को अस्थिर करने वाली ताकतों के साथ कहीं न कहीं दिखाई दिए थे। ऐसे ही एक चेहरा था जो राहुल गांधी की इस यात्रा के साथ जुड़ा था, वह था जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट साहिल शेट्टी का!
साहिल शेट्टी 11 अक्टूबर2022 को इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ थे। और जब साहिल शेट्टी का अतीत खंगालते हैं तो पाते हैं कि साहिल शाहीन बाग़, सिंघु बॉर्डर और कई और आन्दोलन स्थलों पर उपस्थित था।
साहिल शेट्टी ने तो शाहीन बाग़ में यह तक कहा था कि “असली टुकड़े टुकड़े गैंग सरकार है, जेएनयू के विद्यार्थी नहीं!”
साहिल शेट्टी माओवादी आतंकी आरोपी स्टेन स्वामी का भी समर्थन करते हुए दिखाई दिया था और साथ ही वह उस फाइजर की वैक्सीन की वकालत करते हुए नजर आया था, जिस फाइजर की वैक्सीन पर आज न जाने कितने प्रश्न उठ रहे हैं।
(यह सभी आंकड़े @BefittingFacts द्वारा दिनांक 17 फरवरी 2023 को किये गए ट्वीट के आधार पर यहाँ पर प्रस्तुत किए हैं)
परन्तु ऐसा नहीं है कि साहिल शेट्टी अकेला है! सोशल मीडिया पर कई लोग हैं जो लगातार जॉर्ज सोरोस और उसके सम्बंधित संगठनों पर लगातार लिख ही नहीं रहे हैं, बल्कि उसका विवरण भी दे रहे हैं। ऐसे ही कुछ संगठनों की सूची है, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि जॉर्ज सोरोस किस सीमा तक भारत को अस्थिर करने के लिए जा सकता है! यह सूची संपूर्ण नहीं है, लेकिन वैश्विक अभिजात्य वर्ग से भारत के सामने आने वाले गंभीर चुनावी दखलंदाजी के खतरे का बोध कराती है।
एमनेस्टी और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार संगठनों ने सोरोस (ओपन सोसाइटी फाउंडेशन) से करोड़ों डॉलर प्राप्त किए हैं।
विकिमीडिया फाउंडेशन: सोरोस ने 2018 में विकिमीडिया एंडोमेंट में $2 मिलियन का निवेश किया। विकिपीडिया को उनके समर्थक-वामपंथी और हिंदू-विरोधी संपादकीय पूर्वाग्रह के लिए जाना जाता है।
यूएससीएफआईआरएफ: यूएस सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम मोदी सरकार की बहुत आलोचना करता रहा है और वह मोदी सरकार के बहाने हिन्दुओं को घेर रहा है। और सबसे मजेदार तो यही है कि इसकी संगठनात्मक बॉडी में जो भी और कमिश्नर हैं वह दूसरे पंथों से जुड़े हुए पूरी तरह अपने पंथ को लेकर समर्पित हैं, मगर जो उनके हिन्दू कमिश्नर हैं वह हिन्दू विरोधी वामपंथी हैं! क्या यह संयोग है?
आल्टन्यूज़: इसे आरम्भ में इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क (IFCN) द्वारा प्रमाणित किया गया था, जो बदले में सोरोस के ओएसएफ द्वारा वित्त पोषित पॉयन्टर इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित है। इस प्रमाणपत्र का प्रयोग आल्ट न्यूज़ ने हिंदू-विरोधी वामपंथी “तथ्य जांचकर्ताओं” को स्थापित करने और इसलिए किया था कि दूसरे किसी को स्थान न मिल सके।
इवेंजेलिकल ट्रस्ट एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ इंडिया (ETANI) – इस ईसाई मिशनरी समूह को सोरोस से फंडिंग मिलती है। वे भारत में धार्मिक उत्पीड़न के प्रचार से जुड़े हुए हैं।
चित्रांगदा चौधरी: ओपन सोसाइटी फेलो। कुछ अनुमानों के अनुसार सोरोस द्वारा वित्तपोषित भारत से ऐसे लगभग 700 लोग हैं। वह सोरोस से जुड़े एक अन्य एनजीओ परी की प्रमुख सदस्य हैं, जो ग्रामीण भारत की उत्पीड़न की कहानियों का सौदा करता है।
प्रताप भानु मेहता और अमर्त्य सेन: भारत में ‘पर्यावरण न्याय’ के लिए काम करने वाले सोरोस द्वारा वित्तपोषित एनजीओ नमती से जुड़े हुए हैं।
हर्ष मंदर: भारत में ओएसएफ प्रमुख। वह यूपीए के दिनों में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली एनएसी के बहुत शक्तिशाली सदस्य थे। अपनी हिंदू विरोधी नीतियों और सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। वह हिंदुओं के धर्मांतरण को भी बढ़ावा देते हैं।
राजनेताओं को रिश्वत देना: हाल ही में हुए अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में सोरोस बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी को सबसे ज्यादा दान देने वाले थे। मनमोहन सिंह की बेटी अमृत सिंह सीधे न्यूयॉर्क में सोरोस के लिए काम करती हैं।
खालेद बेयदौन : हिंदुओं के खिलाफ हर समय घृणा फैलाने वाला खालेद एक इस्लामवादी धर्मांध सोरोस फंड का लाभार्थी रहा है।
डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व कांफ्रेंस: नफरत फैलाने वाले इस कार्यक्रम में सोरोस से शानदार फंडिंग प्राप्त करने वाले कई पश्चिमी विश्वविद्यालयों की भागीदारी थी। हार्वर्ड, निश्चित ही मुख्य हिंदू विरोधी संस्थान है, जो इसमें पूरी तरह से सम्मिलित था।
(यह आंकडा हमने @total_woke के दिनांक 18 फरवरी 2023 के twitter thread के आधार पर लिखा है!)