आशा: बूढ़े होते चीन के मुकाबले भारत मजबूत: मूडीज की रेटिंग
Rating Agency Moody Affirms Baa3 Rating On India, While Ageing Population Is Biggest Concern For China
बूढ़ा हो रहा चीन और भारत की बढ़ रही ताकत, रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट ने तो दिल खुश कर दिया
rating agency moody affirms baa3 rating on india while ageing population is biggest concern for china
बूढ़ा हो रहा चीन और भारत की बढ़ रही ताकत, रेटिंग एजेंसी मूडीज की रिपोर्ट ने तो दिल खुश कर दिया
नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) ने बड़ी खुशखबरी दी है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने भारत की अर्थव्यवस्था पर एक बार फिर से भरोसा जताया है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा जताते हुए इसकी रेटिंग को स्टेबल रखा है। शुक्रवार को मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रेटिंग को स्टेबल रखते हुए इसकी रेटिंग को Baa3 पर रखा है। जहां भारत की इकॉनमी ताकतवर हो रही है तो वहीं पड़ोसी देश चीन की हालात खराब हो रही है। कोरोना की मार झेलने के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था हिली हुई है। हाल ही में मूडीज की रिपोर्ट ने उसकी चिंता को और बढ़ा दिया है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन पर कर्ज का बोझ अभी और बढ़ने वाला है। अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने चीन को आगाह किया है कि देश में उत्पादन क्षमता में लगातार आ रही गिरावट, श्रमिकों की घटती संख्या का असर चीन की आर्थिक विकास दर पर देखा जा सकता है।
मूडीज ने भारत के लिए कही ये बात
शुक्रवार, 18 अगस्त को मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग और आउटलुक को बरकरार रखते हुए भारत की अर्थव्यस्था पर अपना भरोसा जताया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी रहेगी। एजेंसी ने भारत के लंबी अवधि की घरेलू और विदेशी-करंसी की रेटिंग के साथ-साथ घरेलू-करंसी में सीनियर अनसिक्योर्ड रेटिंग को Baa3 पर बनाए रखा है। वहीं भारत की दूसरी शॉर्ट टर्म लोकल करंसी रेटिंग को भी पी-3 पर स्थिर रखा है। इतना ही नहीं रेटिंग एजेंसी ने भारत के आउटलुक भी स्थिर बना हुआ है।
भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग और आउटलुक को बरकरार रखते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी रहेगी। अपनी रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत की ग्रोथ अच्छी रहेगी। वहीं ये भी कहा है कि अगर भारत अपने कर्ज में कमी लाता है तो इसकी रेटिंग में और सुधार आ सकता है। मूडीज ने भारत का ग्रोथ 6-6.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। एजेंसी ने कहा कि भारत सरकार का कर्ज अगले दो-तीन सालों में जीडीपी का 80 फीसदी रहेगा। वहीं फिस्कल डेफिसिट को 4-5 फीसदी पर बनाए रख पाना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। मूडीज ने कहा कि उच्च जीडीपी ग्रोथ से भारत को आय के स्तर को धीरे-धीरे बढ़ाने में मदद मिलेगी।
चीन की बढ़ती चिंता
हाल ही में अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने चीन की इकॉनमी को लेकर चिंता जताई थी। चीन में लगातार बढ़ती बुजुर्गों की संख्या और घटती प्रजनन दर का असर अब चीन की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है। साल 1979 से ही चीन में एक बच्चा पैदा करने की नीति चल रही है, जिसे बाद में बदला भी गया, लेकिन चीन में प्रजनन दर में लगातार गिरावट ने अब उसकी चिंता बढ़ा दी है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भी चीन की इस चिंता का जिक्र किया है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि साल 2010 के बाद से चीन में बच्चों की संख्या में 30 फीसदी की भारी गिरावट आई है।ंं
बूढ़ा हो रहा ड्रैगन
अपनी रिपोर्ट में मूडीज ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि चीन की कामकाजी जनसंख्या जो साल 2010 में 73 फीसदी थी , गिरकर साल 2040 तक 40 फीसदी पर आ जाएगी। चीन में युवाओं की घटती जनसंख्या ने देश कीआर्थिक गतिविधियों और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट मं कहा है कि चीन का कर्ज आगे चलकर और बढ़ने की आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन की आर्थिक विकास दर पर भारी असर देखने को मिल रहा है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में चीन में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए मुश्किलों की ओर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश की है।
चीन की बिगड़ती सेहत: समझिए 5 संकेत
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना के बाद से चीन की इकॉनमी हिली हुई है। एक्सपोर्ट गिर गया है, मैन्यूफैक्चरिंग का दम निकल गया है, निवेशक मुंह मोड़ रहे हैं, रियल एस्टेट धड़ाम हो चुका है, बेरोगजारी चरम पर पहुंच गया है। हालात ऐसे हैं कि चीन के लोग से खर्च करने के बजाय पैसा बचाने में लगे हैं। चीन की इकॉनमी को मिल रहे ये संकेत डराने वाले हैं
चीन में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। हालत यह हो गई है कि चीन की सरकार ने युवाओं की बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जारी करना बंद कर दिया है।
कोरोना की पाबंदियां ह़ने के बाद कंज्यूमर डिमांड में कमी के कारण कंपनियां लोगों को नौकरी नहीं दे रही हैं। इकनॉमिक स्थिति के कारण लोग खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं। देश में हाउसहोल्ड डिपॉजिट 1.7 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया है जो एक दशक में इसका सबसे बड़ा एक्सपेंशन है।
चीन के एक्सपोर्ट में जुलाई में लगातार तीसरे महीने गिरा है। ग्लोबल डिमांड में कमी के चलते जून में चीन का एक्सपोर्ट पिछले साल के मुकाबले 14.5 फीसदी गिरा था। हालात ऐसे हैं कि चीन की इकॉनमी भी डिफ्लेशन में चली गई। इस संकट के कारण चीन की कई बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां बर्बाद हो चुकी हैं।
इतना ही नहीं चीन की इकॉनमी की खस्ता हालत को देखते हुए विदेशी निवेशकों ने उससे किनारा करना शुरू कर दिया है। गोल्डमैन सैश के मुताबिक इस साल के पहले छह महीनों में जापान के शेयरों में विदेशी निवेश चीन के मुकाबले आगे निकल गया है।