मुख्तार अंसारी:गली के गुंडे से अपराध की बादशाहत तक
Mukhtar Ansari Became King Of Mafia World From Ghaziabad Street Goon Started As Ticket Blackier
गाजीपुर में गली के गुंडे से जरायम की दुनिया का बादशाह बना मुख्तार अंसारी, टिकट ब्लैकियर के रूप में शुरुआत
मुख्तार अंसारी के आपराधिक जीवन की शुरुआत गली के गुंडे से हुई। गाजीपुर से वह अपराधिक दुनिया का बादशाह बन बैठा। क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने को उसने सबसे पहले टिकट ब्लैक किया। बड़े भाई को साइकिल स्टैंड ठेका दिलाया था। बाद में ठेकों पर अपनी पकड़ बना ली।
गाजीपुर से रखा अपराध की दुनिया में कदम
सिनेमा हॉल के बाहर करता था टिकट ब्लैक
कोयला और रेल ठेके करने लगा था मैनेज
वाराणसी 29 मार्च 2024: अपनी मनमर्जी और बेखौफ तरीके से अपराधों के लिए कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के अपराध जगत की शुरुआत गाजीपुर में गली के गुंडे से हुई थी। क्षेत्र में वर्चस्व जमाने की शुरुआत उसने सिनेमा घर के बाहर टिकट ब्लैक करने से की। अपने बड़े भाई को साइकल स्टैंड का ठेका दिलाकर धौंस जमाने वाला मुख्तार अपराध के रास्ते धीरे-धीरे रेलवे, कोयला रैक, स्क्रैप, मोबाइल टावरों पर डीजल आपूर्ति, मछली व्यवसाय, सड़क, नाले-नाली, पुल तक के सभी व्यावसायिक ठेकों पर अपने लोगों के कब्जे करवाने लगा था।
मुख्तार अंसारी की बादशाहत यहां तक थी कि पूर्वांचल में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का ठेका लेने में देशी-विदेशी कंपनियों ने किनारा कर लिया था। निशानेबाज और क्रिकेट खिलाड़ी रहा मुख्तार जमींदार घराने का भले रहा, पैसे और वर्चस्व को उसने अपराधिक दुनिया में बादशाहत कायम की। अपराध ढकने को मुख्तार राजनीति में उतरा तो 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर मऊ सदर विधानसभा चुनाव जीता। वह जेल में रहते भी राजनीति में सक्रिय रहा। मुख्तार ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में खुद चुनाव न लड़ अपने बेटे को लड़ाया।
37 साल का आपराधिक इतिहास
मुख्तार अंसारी का आपराधिक इतिहास 37 साल का है। मुख्तार अंसारी पर 1978 में पहली बार आपराधिक धमकी में गाजीपुर के सैदपुर थाने में एनसीआर हुई थी। उस समय उसकी उम्र लगभग 15 वर्ष थी। इसके बाद आठ वर्ष तक उसका नाम किसी भी आपराध में नहीं आया। 1988 में मुख्तार का नाम मुडि़यार गांव के दबंग सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में आया और मुहम्मदाबाद थाने में उसके खिलाफ मुकदमा हुआ। इसके बाद अपराध जगत में मुख्तार ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वाराणसी के अवधेश राय हत्याकांड, कपिलदेव सिंह हत्या कांड, कोयला व्यापारी और विश्व हिन्दू परिषद नेता नंद किशोर रूंगटा का अपहरण व हत्या, मन्ना सिंह हत्याकांड, राम सिंह मौर्य व सिपाही सतीश कुमार हत्याकांड, कृष्णानंद राय हत्याकांड और मऊ दंगे जैसे प्रदेश-देश की चर्चित घटनाओं में मुख्तार का नाम आता रहा। इनमें से कई मामलों में मुख्तार अंसारी को अदालत से राहत मिली तो बीते डेढ़ साल में आठ मामलों में सजा हुई। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो मामलों में मुख्तार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
माफिया डॉन ब्रजेश सिंह से हुई दुश्मनी
1990 में गाजीपुर समेत आसपास के जिलों के सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू किया तो मुख्तार अंसारी गैंग से सामना हुआ। यहीं से ब्रजेश सिंह से दुश्मनी शुरू हुई तो गैंगवार में कई जाने गईं। 1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया, लेकिन रास्ते में दो पुलिसवालों को गोली मारकर भाग गया था। इसके बाद उसने सरकारी ठेके, शराब ठेके, कोयला के काले कारोबार को हैंडल करना शुरू किया। 1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उनका नाम एक बार फिर आया तो 1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उनका नाम क्राइम की दुनिया में छा गया था।
Mau Riot Case 2005 Mukhtar Ansari Accused Jailed And After 19 Years Died Know His Family Crime History
खुली जीप में घूमा और मऊ में भड़का दंगा, जिंदा जेल गया और 19 साल बाद मौत, ऐसी है फैमिली की क्राइम हिस्ट्री
2005 में हुए मऊ दंगों ने मुख्तार अंसारी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। जेल जाने के बाद भी उसकी राजनीतिक पकड़ कमजोर नहीं हुई। लेकिन, वह कभी जेल से बाहर नहीं आ पाया। करीब 19 सालों के बाद उसकी मौत जेल में ही हो गई।
मऊ में सांप्रदायिक दंगा भड़काने के आरोप में हुई थी मुख्तार की गिरफ्तारी
2005 में रामलीला मैदान से शुरू हुआ था दंगा, खुली जीप में घूमा था मुख्तार
भरत मिलाप में लाउडस्पीकर तोड़ने के बाद भड़क गई थी मऊ में सांप्रदायिक हिंसा
उत्तर प्रदेश के मऊ का वह दंगा आज भी लोग याद कर सिहर जाते हैं। मऊ जिले में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर मुख्तार अंसारी ने वर्चस्व फैलाने को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2005 के मऊ दंगों के बाद वह पूरे देश में चर्चित था। इसी मामले में मुख्तार जेल पहुंचा। इसके बाद कभी बाहर नहीं निकल सका। केवल दो बार ही पैरोल पर मुख्तार बाहर आ पाया था। 2005 में रामलीला मैदान में लाउडस्पीकर को तोड़कर फेंकने को लेकर बवाल हुआ। इसमें हिंदू मुस्लिम आमने-सामने हो गए थे। तब मुख्तार अंसारी भी शहर में मौजूद था। उसकी मौजूदगी में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।
मुख्तार अंसारी को जैसे ही हिंदू मुस्लिम के आमने- सामने आने की सूचना मिली, वह अपनी खुली जीप में शहर में निकल गया। इससे दंगा और भड़का। मुसलमानों ने जमकर उत्पात मचाया। दंगा भड़काने में मुख्तार को जेल भेज दिया गया। इसके बाद वह कभी जेल से बाहर नहीं आ पाया। मुख्तार ने जेल से ही अपनी अपराध की दुनिया चलाई।
चुनावी शपथपत्र में 22 करोड़ की प्रॉपर्टी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के शपथ पत्र में मुख्तार अंसारी ने अपनी कुल संपत्ति 21.88 करोड़ रुपये बताई थी। इसमें 3.23 करोड़ रुपये कृषि योग्य जमीन, 4.90 करोड़ रुपये की गैर कृषि योग्य जमीन, 12.45 करोड़ की कॉमर्शियल बिल्डिंग और 1.70 करोड़ की आवासीय बिल्डिंग शामिल थी।
कल्पनाथ राय से किया मुकाबला
मुख्तार अंसारी ने सबसे पहले राजनीतिक जमीन मऊ जिले में बनाई। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता कल्पनाथ राय के खिलाफ चुनाव मैदान में कूदा। इस चुनाव में उसे बहुत कम मतों से हार मिली। हालांकि, उसे अपार समर्थन मिला। इसके बाद उसने यहीं से अपनी जमीन को मजबूत करने का निर्णय लिया। मऊ में जम गया। वहां से पांच बार विधायक रहा। अपने समुदाय की बदौलत यहां पर अपना दबदबा कायम रखा। जरायम की दुनिया में अपना पताका फहराता रहा। बाहुबली मुख्तार अंसारी ने अपने साम्राज्य को फैलाने के लिए राजनीति का सहारा लिया।
माफिया के परिजनों पर अपराध के मामले
मुख्तार अंसारी: मुख्तार अंसारी पांच बार विधायक रहा। उस पर 59 केस दर्ज हैं।
अफशां अंसारी: मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी पर 11 केस दर्ज हैं। वह भागी हुई है। उस पर 75,000 रुपये का इनाम है।
अब्बास अंसारी: मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी है। उसके खिलाफ आठ केस दर्ज हैं। वह कासगंज जेल में बंद है।
उमर अंसारी: मुख्तार अंसारी का छोटा बेटा उमर अंसारी जालसाजी और अवैध कब्जे का आरोपी है। अभी जमानत पर है।
निकहत अंसारी: निकहत अंसारी एमएलए अब्बास अंसारी की पत्नी है। अब्बास को जेल से भागने की साजिश का आरोप उस पर लगा है। अभी जमानत पर है।
अफजाल अंसारी: मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर से सांसद हैं। उनके खिलाफ 6 केस दर्ज है।
शिबगतुल्लाह अंसारी : मुख्तार अंसारी के सबसे बड़े भाई शिबगतुउल्लाह अंसारी पर 3 के दर्ज हैं। वह पूर्व विधायक रहे हैं।
खेली लंबी राजनीतिक पारी
मुख्तार ने साल 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर मऊ सदर विधानसभा का चुनाव जीता था। 2002 और 2007 में निर्दलीय चुनाव जीत मुलायम सिंह का करीबी बना तो मायावती की सत्ता में वापसी के साथ वह फिर बसपा में शामिल हो गया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने मुख्तार को वाराणसी लोकसभा सीट से उतारा तो मुकाबले में रहे भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी बड़ी मुश्किल से चुनाव जीत पाए थे। इस दौर में सपा व बसपा सरकार में मुख्तार का जलवा रहा। मुख्तार और उसके दोनों भाइयों को 2010 में बसपा ने निष्कासित कर दिया था।