22 अप्रैल तक राहुल को खाली करना होगा बंगला, नोटिस जारी
Congress Leader Rahul Gandhi Notice To Vacate The Government Allotted Bungalow After Disqualification From Lok Sabha
पहले सांसदी गई, अब बंगला भी करना होगा खाली, राहुल गांधी को भेजा गया नोटिस
राहुल गांधी को सांसदी जाने के बाद अब दिल्ली वाला सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ेगा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता गंवाने के बाद अब अपना सरकारी बंगला भी खाली करना होगा। लोकसभा की हाउसिंग कमेटी की तरफ से राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेज दिया गया है।
हाइलाइट्स
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल को लोकसभा सदस्यता गंवाने के बाद दूसरा झटका
लोकसभा सचिवालय के उपसचिव ने राहुल गांधी को 27 मार्च को भेजा नोटिस
कांग्रेस नेता को 22 अप्रैल तक 12 तुगलक लेन वाला बंगला करना होगा खाली
नई दिल्ली 27 मार्च : कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। मानहानि के मामले में सजा के कारण लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाले राहुल को अब सरकारी बंगाल खाली करना पड़ेगा। राहुल गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेजा जा चुका है। रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी को लोकसभा की हाउसिंग कमेटी की तरफ से सरकार बंगला खाली करने संबंधी नोटिस भेजा गया है। राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक सरकारी बंगला खाली करना होगा। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को सांसद बनने के बाद 12 तुगलक लेन का बंगला आवंटित किया गया था।
पहले से ही लगाए जा रहे थे अनुमान
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद से ही इस बात के अनुमान लगाए जा रहे थे। माना जा रहा था कि संसद सदस्यता जाने के बाद अगला नंबर राहुल के सरकार बंगले का ही है। इसके बावजूद यह इतनी जल्दी हो जाएगा, इस बात की उम्मीद शायद लोगों ने नहीं की थी। अब जब लोकसभा की हाउसिंग कमेटी की तरफ से राहुल को सरकारी बंगला खाली करने को लेकर नोटिस जा चुका है तो यह साफ है अब राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक बंगला खाली करना ही पड़ेगा।
23 मार्च को रद्द हुई थी सदस्यता
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता 23 मार्च को रद्द कर दी गई थी। हालांकि, इस संबंध में खबर 24 मार्च को सार्वजनिक हुई थी। मोदी सरनेम मामले में टिप्पणी को लेकर सूरत कोर्ट की ओर से राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी गई। राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद थे। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता 23 मार्च 2023 से ही प्रभावी हो गई थी। 23 तारीख को ही सूरत की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि मामले में दोषी ठहराया था।
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कब तक बंगले में रह सकते हैं राहुल गांधी, जानें सरकारी बंगला खाली करने के क्या हैं नियम
मानहानि के मामले में दो साल की सजा के बाद लोकसभा की सदस्यता गंवाने वाले राहुल को अब सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस भेजा जा चुका है। ऐसे में राहुल गांधी को अब 22 अप्रैल तक बंगला खाली करना होगा। आखिर राहुल गांधी इस बंगले में कब तक रह सकते हैं।
हाइलाइट्स
1-राहुल गांधी को लोकसभा की हाउसिंग कमेटी की तरफ से नोटिस
2-कांग्रेस नेता को 22 अप्रैल तक खाली करना होगा सरकारी बंगला
3-नियमानुसार हाउसिंग कमेटी से अतिरिक्त समय मांगा जा सकता है
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसदी गंवाने के बाद अब सरकारी बंगाल खाली करने का नोटिस भी भेज दिया गया है। संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित होने के बाद राहुल गांधी को अब दिल्ली के लुटियंस जोन में 12 तुगलक लेन वाला अपना सरकारी बंगला खाली करना होगा। लोकसभा का हाउसिंग कमेटी की तरफ से नोटिस के बाद राहुल गांधी को 22 अप्रैल तक यह बंगला खाली करना होगा। आखिर राहुल गांधी इस बंगले को कब तक अपने पास रख सकते हैं। जानते हैं सरकारी आवास खाली कराने को लेकर नियम क्या है।
राहुल गांधी को मिला है टाइप 7 बंगला
टाइप 6 से टाइप 8 तक के सरकारी बंगले सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को अलॉट किए जाते हैं। राहुल गांधी का बंगाल टाइप 7 है। टाइप 7 बंगले विशेष तौर पर राज्य मंत्रियों, दिल्ली हाईकोर्ट के जज, कम से कम पांच बार सांसद रहे व्यक्तियों को अलॉट होता है। पहली बार अगर कोई जीतकर सांसद बनता है तो उसे सरकार की तरफ से पहले 5 टाइप का बंगला दिया जाता था लेकिन अब नए शर्तों के अनुसार उसे टाइप 6 का बंगला दिया जाता है।
बेदखली का नियम क्या है?
सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत लोगों की बेदखली) संशोधन अधिनियम, 2019, 16 सितंबर से प्रभावी हो गया था। इस संशोधन के बाद सरकारी आवासों पर अवैध रूप से कब्जा जमाये बैठे लोगों को आसानी और तेजी से बेदखल करना संभव हो गया था। संशोधित अधिनियम के अनुसार संपदा अधिकारी सरकारी आवास से अनधिकृत लोगों की बेदखली से पहले 3 दिन का कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। इससे पहले यह अवधि 60 दिन की थी। इससे अधिनियम के सेक्शन 4 और 5 के तहत विस्तृत प्रक्रियाओं की आवश्यकता को पूरा किए बगैर ही सरकारी आवासों से अनधिकृत लोगों की बेदखली सुनिश्चित हो गई।
नोटिस, सुनवाई फिर बेदखली
बंगला खाली नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। इसके बाद सुनवाई तय की जाती है। मामले की सुनवाई डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एस्टेट (जांच) करते हैं। बंगले का अलॉटमेंट रद्द करने के आदेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर फैसले के खिलाफ अपील का विकल्प होता है। यदि अपीलीय प्राधिकारी अपील को खारिज कर देता है, तो मामले को बेदखली की प्रक्रिया शुरू करने के लिए लेजिलेशन सेक्शन को भेज दिया जाता है। अधिकारी के अनुसार आमतौर पर, संपदा निदेशालय ऑक्यूपेंट को पर्याप्त कारण बताओ नोटिस भेजता है। इसके बाद उनकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करता है। ऐसे मामलों में जहां रहने वाले किसी भी अदालत के हस्तक्षेप के बिना भी बंगला छोड़ने करने को तैयार नहीं होता है तो टीमों को बेदखली प्रक्रिया शुरू करने के लिए भेजा जाता है। समय से अधिक समय तक बंगले में रहने वाला व्यक्ति को सिर्फ हाई कोर्ट से ही राहत मिल सकती है। इससे पहले निचली अदालत से ही लोग आसानी से स्टे ले लेते थे। इसके अलावा संबंधित सांसद लोकसभा की हाउसिंग कमेटी के पास अतिरिक्त समय दिए जाने का आग्रह कर सकता है।
बाजार के हिसाब से देना होता है किराया
यदि व्यक्ति को सरकारी बंगले में तय समय से अधिक रहने की अनुमति मिलती है तो उसे बाजार रेट के हिसाब से किराया देना होता है। इसी को लेकर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी कहा है कि 30 दिन के नोटिस के बाद भी संबंधित व्यक्ति सरकार आवास में रह सकता है। इसके लिए उसे मार्केट रेट से रेंट का भुगतान करना होगा। मौजूदा मामले में राहुल गांधी हाउसिंग कमेटी से बंगले में रहने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर सकते हैं। इसके लिए समिति की तरफ से विचार किया जा सकता है। हालांकि, मौजूदा स्थिति को देखते हुए ऐसा संभव नहीं लग रहा है।