मणिपुर पर सुको: पूर्व जजों की कमेटी करेगी निगरानी,रपट के साथ बुलाए डीजीपी,अगली तारीख 7

मणिपुर हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने 6 प्वाइंट्स पर सरकार से मांगे जवाब, डीजीपी को पेश होने के आदेश
नई दिल्ली एक अगस्त। मणिपुर हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई.सीजेआई ने पूर्व जजों की एक कमेटी बनाने की बात कही,और कहा कि हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी. हम इस तथ्य के बारे में स्पष्ट हैं कि 6500 FIR की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है.वहीं,राज्य पुलिस को इसका जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता.

मणिपुर में हो रहीं हिंसा को लेकर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सीजेआई ने इस दौरान हाईकोर्ट के पूर्व जजों को कमेटी बनाने की बात कही जो नुकसान, मुआवजे, पीड़ितों के 162 और 164 के बयान दर्ज करने की तारीखों आदि का ब्योरे लेगी. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि ‘हम ये भी देखेंगे कि सीबीआई को कौन कौन से मुकदमे-एफआईआर जांच के लिए सौंपे जाएं.सरकार इस बात का हल सोच कर हमारे पास आए.

क्या करेगी पूर्व जजों की कमेटी?

सीजेआई ने कहा कि हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी. हम इस तथ्य के बारे में स्पष्ट हैं कि 6500 FIR की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है.वहीं,राज्य पुलिस को इसका जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता.तो हम क्या करें? उस पर विचार करना होगा.सीजेआई ने कहा कि मणिपुर में मरने वाले सभी हमारे अपने थे.सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अभी भी कई शव मोर्चरी में हैं जिनके बारे में कोई भी दावेदार नहीं आया है.इन सारे तथ्यों और तर्कों के बाद मणिपुर मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार सात अगस्त को तय हुई है.इस दौरान डीजीपी को हाजिर होना होगा.

   क्या सीबीआई कर सकेगी मणिपुर मामले की जांच?

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कई तथ्यों को रखा गया तो साथ ही कोर्ट की ओर से कई सवाल भी आए. सीजेआई ने कहा कि, ‘हमें सीबीआई से जानना होगा कि सीबीआई के बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है, साथी ही क्या वह ये जांच कर सकती है.

मामले में क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

वहीं, अटॉर्नी जनरल आर वेंकट रमणी ने कहा कि, सीमावर्ती क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो बहुत परेशान करने वाली हैं. हमें समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. हम अदालत की सहायता के लिए शुक्रवार को वापस आएंगे. सीबीआई को आगे बढ़ने दीजिए और देखिए कि क्या तथ्यात्मक बातें मौजूद हैं. उन्होंने यह भी कहा कि ये गंभीर रूप से झकझोरने वाली स्थिति है. युद्ध जैसी इस स्थिति में आरोप की बजाय अभी क्या कदम उठाए जा सकते हैं उस पर ध्यान दिया जाए. एसजी ने कहा कि सीबीआई पर 6500 एफआइआर की जांच का जिम्मा डालने से सारा अमला फेल हो जाएगा.

कब हुए मामले, कब हुई FIR, कब दर्ज हुए बयान?

आदेश लिखाते हुए सीजेआई ने कहा कि राज्य में 150 लोगों की हत्या हुई. तीन से पांच मई के बीच 59 लोग मारे गए. नौ जून को 13 लोग मारे गए. 502 घायल हुए. 5101 मामले आगजनी के हैं. राज्य में 6523 एफआइआर दर्ज कर 252 लोग गिरफ्तार किए हैं. 12740 लोग प्रिवेंटिव डीटेंशन में गिरफ्तार किए गए.

11 एफआइआर में सात गिरफ्तार किए.

क्या हैं 6 बिंदु जिस पर कोर्ट को चाहिए विस्तृत रिपोर्ट
इसके साथ ही अगली सुनवाई में कोर्ट ने मणिपुर पुलिस महानिदेशक को कोर्ट में तलब किया है. कोर्ट उनसे सीधे सवाल पूछेगी. एफआईआर के विभाजन, एफआईआर दर्ज करने, बयान दर्ज करने, गिरफ्तारी आदि की जानकारी ली जाएगी. सीजेआई ने कहा कि हमें पूरे और विस्तृत आंकड़ों वाला एक नोट तैयार करके अगली तारीख पर कोर्ट को बताएं, जिसमें ये सभी जानकारी हो. इसके लिए कोर्ट ने रिपोर्ट के 6 बिंदु भी अपनी तरफ से बताए हैं.

1. घटना की तारीख
2. जीरो एफआईआर दर्ज करने की तारीख
3. नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख
4. वह तारीख जिस दिन गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं
5. किस दिन crpc की धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने बयान दर्ज किये गये
6. गिरफ़्तारी की तारीख

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