रा.स्व.संघ की लाठी से डर? कांग्रेस ने चौथी बार लगाया प्रतिबंध

शाखा में लाठी के आक्रामक प्रदर्शन से बच्चों पर बुरा असर… कांग्रेस शासित राज्य में इन जगहों पर RSS कार्यक्रम बैन!
RSS Activities Ban: कांग्रेस सरकार में तीन बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बैन लग चुका है. फिलहाल केंद्र में भाजपा है और हाल में स्वयंसेवकों वाले सिक्के जारी किए गए हैं लेकिन कांग्रेस शासित कर्नाटक में अब शाखा और संघ के दूसरे कार्यक्रमों पर बैन के निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
नई दिल्ली 13 अक्टूबर 2025। पूरे 100 साल के इतिहास में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीन बार प्रतिबंध लग चुका है.गांधी जी की हत्या,इमर्जेंसी के समय और 1992 में ऐसा हुआ था.अब ऐसे समय जब कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्व से स्वयंसेवकों के चित्र वाला सिक्का जारी किया है,एक बार फिर बैन का निर्देश दे दिया गया है.हां,कांग्रेस शासित कर्नाटक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और राज्य में मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को बैन वाला पत्र लिखा था.उन्होंने राज्य के सरकारी परिसरों में RSS की गतिविधियों पर बैन लगाने की मांग की थी.कुछ समय पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इसका आदेश भी जारी कर दिया.

सिद्धारमैया ने निर्देश दिया है कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों,सार्वजनिक मैदानों और राज्य सरकार की दूसरी जमीनों पर आरएसएस की शाखाएं न लगाई जाएं. कांग्रेस सरकार के मंत्री ने शाखा में दिखाई देने वाले दंड को लेकर अलग ही बातें कही हैं. इस पर भाजपा की तरफ से तीखे हमले शुरू हो गए हैं.

संघ की लाठी से किसे लगता है डर?

राज्य के मंत्री खरगे ने कुछ हैरान करने वाले आरोप लगाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि RSS की शाखाएं सरकारी और अर्ध-सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, मंदिरों, पार्कों और पुरातत्व विभाग के स्थलों पर चल रही हैं. इन जगहों पर पुलिस की अनुमति के बगैर लाठी (दंड) के साथ आक्रामक प्रदर्शन किए जाते हैं जिससे बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक विचारों का असर पड़ रहा है.

प्रियांक खरगे ने पत्र में लिखा कि’जब समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतें सिर उठाती हैं तो हमारे संविधान के मूल सिद्धांत (एकता,समानता और अखंडता) हमें उन्हें रोकने का अधिकार देते हैं.’उन्होंने लिखा कि देश के बच्चों,युवाओं और समाज के मानसिक स्वास्थ्य और विकास के हित में आरएसएस की सभी गतिविधियों को सरकारी परिसरों में प्रतिबंधित किया जाए.

एक साल पहले मोदी सरकार ने हटाया एक बैन

आपको याद होगा, एक साल पहले ही गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में शामिल होने पर लगा बैन हटा लिया था.इसके लिए मोदी सरकार को 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों के आदेशों में संशोधन करना पड़ा था.कांग्रेस राज में सरकारी कर्मचारियों को संघ की शाखाओं में जाने से रोक दिया गया था.

खरगे पर भड़की भाजपा

भाजपा ने खरगे के लेटर पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा, ‘प्रियांक खरगे ऐसे पत्र लिखने वाले कौन होते हैं? आरएसएस पर बोलने या टिप्पणी करने से पहले उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के योगदान को समझना चाहिए. कांग्रेस सरकार के दौरान भारत-चीन युद्ध में भूमिका के लिए आरएसएस की सराहना की गई थी और उसे गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था. प्रियांक को यह समझना चाहिए.’

विजयेंद्र ने व्यंग्य कसा कि एक जिम्मेदार मंत्री होने के नाते प्रियांक खरगे को आरएसएस पर टिप्पणी करने के बजाय अपने निर्वाचन क्षेत्र गुलबर्गा के विकास पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि आरएसएस अपनी शताब्दी मना रही है और ऐसे समय में प्रियांक इस संगठन पर प्रतिक्रिया देकर केवल मीडिया की चर्चा में आना चाहते हैं.

Dcm Dk Shivakumar Softens Stance On Rss, Defends Sangh History Amid Congress Priyank Kharge Ban Talk
डीके शिवकुमार का RSS पर नरम रुख, कांग्रेस की बैन संबंधी चर्चा के बीच संघ के ‘इतिहास’ का बचाव, कर्नाटक में हाई राजनीतिक पारा
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति नरम रुख अपनाकर कांग्रेस में अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है। उन्होंने आरएसएस के इतिहास का बचाव किया।

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रति नरम रुख अपनाकर कांग्रेस में अंदरूनी कलह को उजागर कर दिया है। उन्होंने आरएसएस के इतिहास का बचाव किया, जबकि उनके ही कैबिनेट सहयोगी प्रियांक खरगे ने सरकारी संपत्तियों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह घटना तब हुई जब बेंगलुरु के जेपी पार्क में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरा बीजेपी विधायक मुनि रत्न ने आरएसएस की वर्दी पहनकर हंगामा किया।

‘आरएसएस का अनादर, मेरा नहीं’:डीके शिवकुमार
मंच पर हुई हाथापाई के बारे में पत्रकारों को संबोधित करते हुए डीकेएस ने कहा कि आरएसएस और इसके बीच क्या संबंध है? उस संगठन का एक इतिहास है और वह अपना काम करता रहा है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि मुनिरत्न के कार्यों ने वास्तव में संघ का अपमान किया है। यह उस संगठन का अपमान है, मेरा नहीं। उस संगठन का एक इतिहास है। यह बयान राज्य कांग्रेस इकाई को मुश्किल में डाल देता है। क्योंकि यह ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री प्रियांक खड़गे के आक्रामक आरएसएस-विरोधी रुख के बिल्कुल विपरीत है।

डीकेएस की यह टिप्पणी उसी दिन आई है जिस दिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने स्कूल के खेल के मैदानों और मंदिर परिसरों जैसी सरकारी संपत्तियों पर आरएसएस की सभी गतिविधियों शाखाओं और रूट मार्च सहित पर प्रतिबंध लगाने की अपनी मांग दोहराई थी। उप-मुख्यमंत्री की ओर से आरएसएस की नपी-तुली प्रशंसा और उसे अपने तरीके से सेवा प्रदान करने का इतिहास रखने वाला संगठन बताना, कांग्रेस के भीतर वैचारिक संघर्ष को उजागर करता है।

यह पूरा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब बीजेपी विधायक मुनिरत्न एक परेड के बाद डीकेएस के वॉक विद बेंगलुरु अभियान में आरएसएस की पूरी पोशाक पहने हुए पहुंचे। स्थिति तब और बिगड़ गई जब डीकेएस ने विधायक को मंच पर आमंत्रित किया। माइक्रोफोन पर तीखी बहस हुई। इस दौरान मुनिरत्न ने डीकेएस पर एक सरकारी कार्यक्रम को कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रम में बदलने और एक नाटकीय विरोध प्रदर्शन करने का आरोप लगाया। अंततः पुलिस को विधायक को मंच से हटाना पड़ा।

बाद में मुनिरत्न ने आरोप लगाया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन पर जानबूझकर हमला किया, यह दावा करते हुए कि उनकी आरएसएस पोशाक का अनादर किया गया और यह कार्रवाई उनसे इस्तीफा लेने के लिए मजबूर करने की एक राजनीतिक साजिश थी। डीके शिवकुमार ने विधायक के धैर्य की कमी की निंदा की। हालांकि उनका ध्यान आरएसएस को एक संस्था के रूप में और व्यक्तिगत विधायक के कार्यों को अलग दिखाने पर रहा। इससे संघ को सीधे राजनीतिक हमले से बचाया जा सके। यह डीके शिवकुमार की ओर से विधानसभा के अंदर आरएसएस की प्रार्थना के फैसले के कुछ महीने बाद आया है। इससे न केवल लोगों की भौहें तन गईं, बल्कि एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी इस बयान पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। बाद में उपमुख्यमंत्री ने माफी मांगी थी।

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