जब लाल सलाम के गायक कवि गदर बने सनातनी प्रचारक
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लाल सलाम गाने वाले कवि गदर हिंदू धर्म प्रचारक बने!
5 वर्ष ago
देश में वामपंथी और नक्सलियों के बीच काफी मशहूर रहे कवि और गायक गदर आजकल चर्चा में हैं। कभी क्रांति के गीत गाने वाले कवि गदर की आंखें खुल गई हैं और अब वो एक मंदिर के पुजारी जैसी जिंदगी जी रहे हैं। फिलहाल वो मंदिर-मंदिर घूमकर अच्छी बारिश के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। कवि कदर एक हिंदू कार्यकर्ता और धर्म प्रचारक के तौर पर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि “हिंदू धर्म सच्चे अर्थों में मानवता का धर्म है और इसी के रास्ते पर चलकर विश्व का कल्याण संभव है। हिंदू धर्म शांति की राह दिखाता है और हर किसी को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों को अपनाना चाहिए।” कवि गदर का गाया गाना ‘लाल सलाम’ नक्सलियों और वामपंथियों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था और जेएनयू में आज भी गाए जाने वाले ज्यादातर गाने दरअसल कवि गदर के ही गाये हुए हैं।
कौन हैं कवि गदर?
कवि गदर का असली नाम जी विट्ठल राव है। 1949 में हैदराबाद में जन्मे गदर पर आरोप है कि उन्होंने अपने भड़काऊ गानों से हजारों नौजवानों को नक्सलवाद की तरफ धकेला। वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के समर्थक रहे हैं। उन्होंने जन नाट्य मंडली की स्थापना की थी और इसकी परफॉर्मेंस देशभर में होती थी। हाथों में ढपली लेकर क्रांति के गीत गाने का जो अंदाज गदर ने शुरू किया उसी को जेएनयू और देश भर के वामपंथी संगठन कॉपी करते हैं। कुछ साल पहले ये खबर आई थी कि गदर का वामपंथ से मोहभंग हो गया है। कुछ वक्त पहले एक कार्यक्रम में गदर ने कहा था कि वामपंथ एक भटकी हुई विचारधारा है और इसमें इतने विरोधाभास हैं कि सोचने-समझने की ताकत रखने वाले आम लोग इसे कभी स्वीकार नहीं कर पाते। लेकिन अब यह जानकारी सामने आई है कि गदर बाकायदा हिंदू पुजारी का जीवन व्यतीत करने लगे हैं और अब खुलकर कहते हैं कि ईश्वर की प्रार्थना का जो रास्ता वेदों ने दिखाया वो सबसे कारगर है।
अब बने भजन गायक
कवि गदर की एक तस्वीर भी सामने आई है जिसमें वो एक मंदिर के पुजारी के आगे झोली फैलाकर श्रद्धा और विश्वास का आशीर्वाद मांग रहे हैं। कई जगह मंदिरों में बैठकर हवन-पूजन की खबरें भी सामने आ रही हैं। खबरों के मुताबिक वो पिछले हफ्ते तेलंगाना के भोंगरी जिले के यदाद्रि मंदिर गए और वहां पर भगवान लक्ष्मी नरसिम्हा की आरती उतारने के बाद उन्होंने मंदिर के पुजारी से आशीर्वाद लिया। इससे पहले जनवरी महीने में उन्होंने पालाकुरथी में प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव की भजनों के साथ पूजा की। इससे पहले वे सिद्धिपेट जिले में कोमुरावेल्ली मल्लाना मंदिर भी जा चुके हैं और लोगों को भगवान शिव के भजन सुना चुके हैं।
नीचे लिंक पर क्लिक करके आप गदर का वो ‘लाल सलाम’ गाना सुन सकते हैं जिसे देशभर के वामपंथी बड़े शौक से गाते हैं।
अक्सर ऐसी खबरें आती रही हैं कि वामपंथ और माओवाद के रास्ते पर चलने वाले उम्र के एक पड़ाव के बाद धर्म और अध्यात्म की तरफ बढ़ जाते हैं। यहां तक कि सीपीआई की स्थापना करने वाले सत्यभक्त का वामपंथ से मन इस कदर उचट गया था कि वो हरिद्वार के गायत्री शांतिकुंज में रहने चले गए थे और उन्होंने बाकायदा संन्यास ले लिया था।
@ साभार- न्यूजलूज