‘द कश्मीर फाइल्स’ को ले कांग्रेस-भाजपा में राजनीति तेज
The Kashmir Files: द कश्मीर फाइल्स पर भाजपा-कांग्रेस के बीच सियासत तेज, इंदिरा के पत्र पर गांधी परिवार मौन
देश के सात राज्यों ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। गुजरात मध्यप्रदेश कर्नाटक हरियाणा गोवा त्रिपुरा और उत्तराखंड में टैक्स फ्री कर दिया गया है। वहीं राजस्थान में भाजपा के साथ कांग्रेस विधायक भी फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग करे हैं।
बालीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में भाजपा-कांग्रेस के बीच सियासत तेज। फाइल फोटो।
नई दिल्ली,। जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और जिहादियों की ओर से उन पर हुए अत्याचारों पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ (The Kashmir Files) देश में जबरदस्त धूम मचा रही है। अब तक देश के पांच राज्य इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा कर चुके हैं। उधर, फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर सियासत शुरू हो गई है। इसको लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी आमने-सामने आ गए हैं। केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों पर कटाक्ष भरे ट्वीट करके पार्टी को सांसत में डाल दिया है। इस क्रम में सबसे पहले केरल कांग्रेस ने फिल्म को लेकर एक विवादित ट्वीट किया, हालांकि पार्टी ने बाद में ट्वीट को डिलीट कर दिया। इसके साथ ही फिल्म को कम स्क्रीन्स पर रिलीज किए जाने को लेकर रायपुर, आगरा समेत कई शहरों में विभिन्न संगठन सिनेमाघर और मल्टीप्लेक्स के सामने प्रदर्शन कर रहे है।
1- मध्यप्रदेश सरकार ने पुलिसकर्मियों को फिल्म देखने के लिए एक दिन का अवकाश दिया है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पुलिस महानिदेशक को पुलिसकर्मियों को फिल्म देखने के लिए एक दिन की छुट्टी देने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि सुविधानुसार पुलिसकर्मी जब भी अपने परिवार के साथ फिल्म देखने जाना चाहें, उस दिन उनके अवकाश को मंजूर किया जाए। उधर, राजस्थान के कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा ने फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को राज्य में टैक्स फ्री करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कश्मीरी ब्राह्मणों का दर्द देखें।
2- देश के सात राज्यों ने इस फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। अब तक गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, गोवा, त्रिपुरा और उत्तराखंड में टैक्स फ्री कर दिया गया है। वहीं राजस्थान में भाजपा के साथ कांग्रेस विधायक भी फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग करे हैं। तीन दिनों में फिल्म की कमाई में 325 फीसद का उछाल देखने को मिला है। फिल्म की स्क्रीन्स को भी 600 से बढ़ाकर 2000 कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा नेताओं ने किया हंगामा
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में फिल्म देखने गए भाजपा नेताओं के हंगामे का एक वीडियो भी सामने आया है। इसमें भाजपा नेता आरोप लगा रहे हैं कि मल्टीप्लेक्स पीवीआर में सीटें खाली रहने के बावजूद टिकट नहीं दिया जा रहा है। पीवीआर में हाउसफुल का बोर्ड लगा दिया गया है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर रविवार को केरल कांग्रेस ने ट्वीट किया था कि जम्मू-कश्मीर में मारे गए पंडितों से ज्यादा संख्या तो मुस्लिमों की रही है। ट्वीट वायरल होते ही सब तरफ से लोगों ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है।
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने दिया था चिट्ठी का जवाब
इसी बीच ‘द कश्मीर फाइल्स’ के डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Ranjan Agnihotri) ने ट्विटर पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का एक पत्र साझा किया है। यह पत्र उन्होंने 8 जनवरी, 1981 को न्यूयार्क में रहने वाले कश्मीरी पंडित डाक्टर एन मित्रा को लिखा था। दरअसल डा मित्रा ने कश्मीर में रह रही अपनी भतीजी के अचानक लापता हो जाने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखी थी। इसके जवाब में इंदिरा गांधी ने उन्हें पत्र भेजा था। फिल्म डायरेक्टर ने इंदिरा गांधी के इसी पत्र का स्क्रीन शाट ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा, ‘प्रिय राहुल गांधी जी, आपकी दादी की राय अलग थी। हालांकि, केरल कांग्रेस के इस ट्वीट पर अभी तक राहुल गांधी, सोनिया या प्रियंका गांधी वाड्रा की ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है। उनकी चुप्पी पर भी सियासत शुरू हो गई है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
गौरतलब है कि बालीवुड फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बहाने एक बार फिर कश्मीर पंडितों का मामला सुर्खियों में है। अब यह मामला सियासी तूल पकड़ता जा रहा है। फिल्म में अनुच्छेद 370 का और कांग्रेस का जिक्र होने से इसका सियासी फलक बड़ा हो गया है। इस फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ को बाक्स आफिस पर शानदार रिस्पान्स मिल रहा है। सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफार्म्स पर इसकी खूब चर्चा हो रही है। इस फिल्म को लेकर कांग्रेस और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है।
Kashmir Files: ‘1990 से पहले जन्नत था कश्मीर?’…. कश्मीरी पंडितों पर कांग्रेस ने रखे ऐसे फैक्ट्स कि भड़क गए ट्विटर यूजर्स
राघवेंद्र शुक्ला |
घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में है। कांग्रेस ने ट्वीट कर कश्मीरी पंडितों से जुड़े फैक्ट्स साझा किए हैं और बीजेपी पर निशाना साधा है। जवाब में ट्विटर यूजर्स ने कांग्रेस से तीखे सवाल किए हैं।
बॉलिवुड फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ (Kashmir Files) के बहाने एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का मामला चर्चा में है। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस छिड़ी है। इसी बीच केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों के जम्मू-कश्मीर से पलायन को लेकर कई ट्वीट किए हैं। कांग्रेस में कश्मीरी पंडित मुद्दे को लेकर कुछ फैक्ट रखे हैं और इसके जरिए उसने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। हालांकि, सोशल मीडिया पर कांग्रेस का यह दांव तब उल्टा पड़ गया, जब टि्वटर यूजर्स ने कांग्रेस की ओर से दिए जा रहे फैक्ट्स पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल रविवार को केरल कांग्रेस ने कश्मीरी पंडितों को लेकर सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट किए थे। कांग्रेस ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘वे आतंकवादी थे जिन्होंने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाया। साल 1990 से लेकर 2007 के बीच के 17 सालों में आतंकवादी हमलों में 399 पंडितों की हत्या की गई। इसी समयांतराल में आतंकवादियों ने 15 हजार मुसलमानों की हत्या कर दी। कांग्रेस ने आगे लिखा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन के निर्देश पर हुआ था, जो कि आरएसएस के आदमी थे।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पलायन बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार के समय में शुरू हुआ था। बीजेपी के समर्थन वाली वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। पंडितों का पलायन उसके ठीक एक महीने बाद से शुरू हो गया। कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी ने इस पर कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह सरकार को अपना समर्थन देती रही। कांग्रेस ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने जम्मू में कश्मीरी पंडितों के लिए 5242 आवास बनवाए। इसके अलावा पंडितों के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी, इसमें पंडितों के परिवार के छात्रों को स्कॉलरशिप और किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शामिल थीं।
यूजर्स ने दिए जवाब
कांग्रेस के ट्वीट पर जवाब देते हुए कई ट्विटर यूजर्स ने उससे तीखे सवाल भी किए।
@पल्लवीसीटी नाम के यूजर ने लिखा, ‘आप ऐसे बर्ताव कर रहे हैं जैसे कश्मीर 1990 के पहले जन्नत था। क्या आप इससे इंकार कर सकते हैं कि गवर्नर जगमोहन साल 1988 की शुरुआत से ही राजीव गांधी की सरकार को कश्मीर में आतंकवादियों के जुटने की चेतावनी दे देने लगे थे।
विजय ने बताया कि जगमोहन ने केंद्र सरकार को लिखा था, ‘आपके और आपके आसपास के लोगों के पास इन संकेतों को देखने के लिए ना तो समय था, न दिलचस्पी और न ही दृष्टि।
उन्होंने आगे लिखा है कि जगमोहन इतने ज्यादा स्पष्ट थे कि उनके उनकी उपेक्षा करना ऐतिहासिक दृष्टि से अपराध जैसा था।
सुमित भसीन ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के साथ यासीन मलिक की एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि वह (कांग्रेस) इस पर कोई स्पष्टीकरण दें।
कुमार 4018 नाम के एक यूजर ने लिखा कि इस तरह की चीजें एक दिन में नहीं होतीं। राजीव गांधी दिसंबर 1989 के मध्य तक प्रधानमंत्री थे। कश्मीर दंगे 1986 में शुरू हुए थे। तब राजीव गांधी की सरकार थी।
आज भी कश्मीरी हिन्दू यह मानते है यदि जगमोहन जी को काम करने दिया होता, उन्हें बीच मै ही वापस नहीं बुलाया होता, तो आज कश्मीरी हिन्दुओं का इतिहास कुछ ओर ही होता 🙏