उप्र: डॉक्टर दिनेश की जगह ब्रजेश पाठक उपमुख्यमंत्री, दानिश अंसारी मुस्लिम चेहरा

Brajesh Pathak Profile: ब्रजेश पाठक बने उप्र के उप मुख्यमंत्री, मोदी-शाह-योगी का दिल जीतकर दिनेश शर्मा को किया आउट

Brajesh Pathak New Deputy CM Of UP : उत्तर प्रदेश को इस बार एक नया उप-मुख्यमंत्री मिला है। पिछली बार के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की जगह इस बार ब्रजेश पाठक को योगी आदित्यनाथ का डिप्टी बनाया गया है जबकि केशव प्रसाद मौर्य को दुबारा उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है। ब्रजेश पाठक का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है।

हाइलाइट्स
1-उत्तर प्रदेश में भाजपा  ने ब्राह्मण चेहरे के रूप में इस बार ब्रजेश पाठक को तवज्जो दी है
2-दिनेश शर्मा का पत्ता काटकर इस बार ब्रजेश पाठक को उप्र का उपमुख्यमंत्री बनाया गया

3-ब्रजेश पाठक ने 2002 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था
क़्ट्ट्

लखनऊ: ब्रजेश पाठक, योगी आदित्यनाथ के मिजाज का व्यक्ति। इसलिए योगी ने उन्हें अपना निकटतम सहयोगी बनाने का फैसला किया और अब वो उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बन गए। कहा जाता है कि दिनेश शर्मा में वो बात नहीं थी जिसकी भाजपा  को उम्मीद थी। उम्मीद ब्राह्मण मतदाताओं को गोलबंद करने की, उनके बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की। कहा यह भी जा रहा है कि ब्रजेश पाठक भाजपा   की इस उम्मीद पर पूरी तरह खरे उतरते हैं। वो राजनीति के मैदान में फ्रंट फुट पर आकर बल्ला घुमाने वालों में हैं, वो भी बिल्कुल बेफिक्री से। कांग्रेस से भाया बसपा,   भाजपा  तक की अपनी राजनीतिक यात्रा में पाठक जी इसी छवि को जी रहे हैं और कदम-कदम पर इसे मजबूत भी कर रहे हैं।

छात्र जीवन से राजनीति में आ गए थे ब्रजेश पाठक

25 जून 1964 को हरदोई जिले के मल्लावां कस्बे के मोहल्ला गंगाराम में जन्मे ब्रजेश पाठक ने कानून की पढ़ाई की है। उन्हें छात्र जीवन में ही राजनीति के प्रति आकर्षण हुआ और आज वो देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश के बड़े ब्राह्मण नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उन्होंने वर्ष 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष का चुनाव जीता, फिर 1990 में वह अध्यक्ष बन गए। 12 साल बाद वर्ष 2002 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में उन्हें उनके गृह नगर मल्लावां विधानसभा सीट से टिकट भी दे दिया, लेकिन सिर्फ 130 वोटों अंतर से वो चुनाव हार गए।

हार कर भी राजनीतिक धाक जमा गए थे पाठक

पाठक वह चुनाव भले ही हार गए, लेकिन राजनीति में उनकी धमक हर ओर सुनाई पड़ी। वही वक्त था जब बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती अपने करीब सतीश मिश्रा की मदद से सोशल इंजीनियरिंग का सुर-ताल बिठा रही थीं। उनके कानों तक ब्रजेश पाठक की सियासी आहट पहुंची तो वर्ष 2004 में उन्हें पार्टी जॉइन करवा लिया। उसी वर्ष लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें उन्नाव से टिकट दे दिया। इस बार पाठक को किस्मत का साथ मिला और वो संसद पहुंच गए। बसपा ने उन्हें लोकसभा में अपना उपनेता बना दिया। 2009 में पाठक को बसपा ने राज्यसभा भेज दिया। वहां भी वो पार्टी के मुख्य सचेतक रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में ब्रजेश पाठक ने उन्नाव लोकसभा सीट से ही दूसरी बार बसपा के टिकट पर ताल ठोंका लेकिन मोदी लहर ने उन्हें भी लील लिया।

पिछले विधानसभा चुनाव से पहले जॉइन की थी बीजेपी
फिर 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने वाला था। उससे पहले 22 अगस्त, 2016 को पाठक ने तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गए। पार्टी ने उन्हें लखनऊ सेंट्रल से अपना उम्मीदवार बनाया और पाठक ने पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरते हुए यह सीट जीत ली। इसका पुरस्कार पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाकर दिया। पहले वो कानून मंत्री बनाए गए, फिर 21 अगस्त, 2019 को हुए योगी आदित्यनाथ सरकार के कैबिनेट विस्तार में उनका मंत्रालय बदलकर विधायी, न्याय और ग्रामीण इंजीनियरिंग सर्विस कर दिया गया।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का जीता दिल

ब्रजेश पाठक इस बार भी लखनऊ कैंट विधानसभा से अपनी जीत दोहराई है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के सुरेंद्र सिहं गांधी उर्फ राजू गांधी को 39,512 वोटों से हराया है। लखनऊ कैंट विधानसभा ब्राह्मण बाहुल्य सीट है। यहां से रिकॉर्ड है कि आजादी के बाद से सिर्फ 4 बार इस गैर ब्राह्मण प्रत्याशियों को यहां से जीत मिल पाई है। बताया जाता है कि तीन दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व के बीच ब्रजेश पाठक के नाम पर चर्चा हुई और उनका कद बढ़ाकर उप-मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति भी बन गई।

पाठक की पत्नी और साले भी राजनीति में

ध्यान रहे कि ब्रजेश पाठक की पत्नी और साले भी चुनावी राजनीति में उतर चुके हैं। वर्ष 2010 में ब्रजेश के साले अरविंद त्रिपाठी उर्फ गुड्डू बसपा के समर्थन से एमएलसी के रूप में उत्तर प्रदेश विधान परिषद पहुंचे थे। वहीं, बसपा ने ही 2012 के विधानसभा चुनाव में ब्रजेश की पत्नी नम्रता पाठक को उन्नाव सदर विधानसभा सीट से टिकट दिया था, हालांकि उस चुनाव में नम्रता तीसरे नंबर पर रही थीं। मायावती की सरकार में नम्रता राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं। तब उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।

Yogi 2.0 Cabinet: दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को क्यों बीजेपी ने बनाया उपमुख्यमंत्री?

Yogi 2.0 Cabinet: बहुजन समाज पार्टी (BSP) के कद्दावर नेता ब्रजेश पाठक पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए थे. 2017 में पाठक भाजपा के टिकट पर लखनऊ मध्य सीट से जीते थे और इस बार उन्होंने लखनऊ कैंट से फतह हासिल की है.

ब्रजेश पाठक और दिनेश शर्मा.

लखनऊ कैंट विधानसभा से जीते हैं ब्रजेश पाठक,2017 में लखनऊ मध्य से बने थे विधायक

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के ब्राह्मण चेहरा दिनेश शर्मा की नई कैबिनेट से छुट्टी हो गई है जबकि केशव प्रसाद मौर्य की कुर्सी को बरकरार रखा गया है. योगी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को क्यों अहमियत दी गई है?

साल 2017 में बीजेपी 15 साल के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा था. लेकिन बीजेपी ने सत्ता का संतुलन बनाने और जातीय समीकरण साधे रखने के लिए ब्राह्मण चेहरे के तौर पर लखनऊ के मेयर रहे डॉक्टर दिनेश शर्मा और ओबीसी समुदाय से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी थी.

वहीं, 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर भाजपा में आए ब्रजेश पाठक को लखनऊ मध्य सीट से विधायक बने थे. इसके बाद योगी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बनाकर उन्हें विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा का विभाग सौंपा गया था. अब बीजेपी दोबारा से राज्य की सत्ता में लौटी है तो ब्रजेश पाठक का कद बढ़ गया है. उन्हें योगी कैबिनेट 2.0 में उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा गया है.

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जिस तरह से विपक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि ब्राह्मण विरोधी नेरेटिव गढ़ने की कवायद की. ऐसे में विपक्ष के नेरेटिव को उपमुख्यमंत्री रहते हुए डॉक्टर दिनेश शर्मा बहुत जोरदार तरीके से तोड़ नहीं सके और न ही खुद को ब्राह्मण नेता के तौर अपना प्रभाव जमा सके. ऐसे में भाजपा को सूबे में ब्राह्मण समाज के दमदार छवि वाले नेता की तलाश थी.

भाजपा शीर्ष नेतृत्व को ब्रजेश पाठक में ब्राह्मण नेता वाली छवि दिखी जिसके बाद यह फैसला लिया गया. ब्रजेश पाठक शुरू से खुद को ब्राह्मण नेता के तौर पर स्थापित करने में जुटे हुए थे. कांग्रेस से लेकर बसपा और भाजपा में रहते हुए ब्रजेश पाठक ने ब्राह्मणों के मुद्दों पर मुखर रहे हैं.

2017 में योगी सरकार बनने के बाद रायबरेली में ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के अपटा गांव में पांच ब्राह्मणों को जलाकर मार दिया गया था. इस मुद्दे पर दिनेश शर्मा इतने सक्रिय नहीं दिखे जितना ब्रजेश पाठक थे. उन्होंने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था, जिसके बाद आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई थी.

वहीं, बिकरू कांड के आरोपित माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद तमाम विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी तो ब्रजेश पाठक खुलकर योगी सरकार के समर्थन में आए थे. इतना ही नहीं, उन्होंने योगी सरकार के बचाव में ब्राह्मणों के बीच तमाम कवायद की थी.

लखीमपुर के तिकुनिया में हुए बवाल में 8 लोगों की मौत से भाजपा बैकफुट पर थी, क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र बिंदु में देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा थे. हालांकि, चार किसानों के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं की भी मौत हुई थी. भाजपा के कार्यकर्ता ब्राह्मण थे, लेकिन कोई भी दल बोलने के लिए तैयार नहीं था. ऐसे में हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के दसवां संस्कार में ब्रजेश पाठक ने शिरकत कर उनके परिजनों को न सिर्फ सांत्वना दी, बल्कि उन्हें यह भी बताया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा. इस तरह ब्रजेश पाठक के जाने के बाद भाजपा के दूसरे नेता पीड़ित परिवारों के पास पहुंचे.

Yogi Adityanath Cabinet 2.0: योगी कैबिनेट के इकलौते मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी कौन हैं?

Yogi 2.0 Danish Azad Ansari Profile: बलिया के युवा नेता दानिश आजाद अंसारी (Danish Azad Ansari) को राज्य मंत्री बनाया गया है. दनिश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री है और विद्यार्थी जीवन से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े रहे हैं. दानिश आजाद अंसारी मूलरूप से बलिया (Ballia) के बसंतपुर के रहने वाले हैं. दानिश की उम्र 32 साल है और उन्होंने 2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद यहीं से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट फिर मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है.

एबीवीपी से जुड़े रहे दानिश

दानिश जनवरी 2011 में बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़ गए. यहीं से दानिश के आजाद ख्यालात लखनऊ विश्वविद्यालय में गूंजने लगे. दानिश ने खुलकर एबीवीपी के साथ-साथ भाजपा और आरएसएस के लिए युवाओं के बीच माहौल बनाया. दानिश लगातार अल्पसंख्यक समाज और युवाओ के बीच सक्रिय रहे हैं. इसी को देखते हुए पार्टी ने उन्हें प्रमोट करने का फैसला लिया है.

मिला मेहनत का इनाम

2017 में उप्र में भाजपा की सरकार बनी तो चुनाव में जिन लोगों ने मेहनत की थी, उन्हें इनाम मिला. इन्हीं में एक नाम था दानिश आजाद का. दानिश 2018 में फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी के सदस्य रहे, बाद में उन्हें उर्दू भाषा समिति का सदस्य बना दिया गया. ये एक तरह से दर्जा प्राप्त मंत्री का पद होता है. इस बार चुनाव से पहले अक्टूबर 2021 में दानिश को बड़ी जिम्मेदारी मिली. भाजपा ने अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी दी.

मोहसिन रजा और दानिश आजाद अंसारी

पता हो कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल में विधान परिषद के सदस्य मोहसिन रजा ही अकेले मुस्लिम चेहरा थे, जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी. वह योगी आदित्यनाथ मंत्रालय में अल्पसंख्यक कल्याण मुस्लिम वक्फ और राज्य के हज राज्य मंत्री रहे.

राजनीति के जानकारों की मानें तो बीजेपी को इस चुनाव में मुसलमानों के 8 फीसदी वोट मिले जो कि कांग्रेस और बसपा को मिले मतों से भी ज्यादा हैं. शायद यही वजह है कि इस बार मुस्लिम समुदाय के बड़े तबके सुन्नी मुसलमान दानिश आजाद अंसारी को आगे किया है. जबकि इससे पहले शिया समुदाय के मोहसिन रजा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था.

योगी सरकार 2.O से इन पुराने मंत्रियों छुट्टी

आशुतोष टंडन

दिनेश शर्मा

सतीश महाना

श्रीकांत शर्मा

सिद्धार्थनाथ सिंह

महेंद्र सिंह

रामनरेश अग्निहोत्री

जय प्रताप सिंह

नीलकंठ तिवारी

नीलिमा कटियार

अशोक कटरिया

श्रीराम चौहान

जय प्रकाश निषाद

जय कुमार सिंह जैकी

अतुल गर्ग

मोहसिन रजा

मनोहर लाल मुन्नू कोरी

सुरेश कुमार पासी

अनिल शर्मा

महेश चंद्र गुप्ता

डाक्टर जीएस धर्मेश

लाखन सिंह राजपूत

चौधरी उदय भान सिंह

रमाशंकर सिंह पटेल

अजित पटेल

 

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