विवेचना: धीमी मौत की राह पर है वोडाफोन आइडिया

धीमी मौत मर रही है वोडाफोन-आइडिया; जानिए Vi के 27 करोड़ ग्राहकों का क्या होगा?

मुंबई 10 अगस्त।वोडाफोन और आइडिया ने अगस्त 2018 में हाथ मिलाया। उस वक्त चल रही जियो की आंधी में दोनों ‘मार्क्ड सेफ’ होना चाहते थे। कंपनी उस वक्त तो बच गई, लेकिन पिछले तीन साल से धीमी मौत मर रही है। मर्जर के वक्त वोडाफोन आइडिया के 43 करोड़ सब्सक्राइबर्स थे, जो अब 27 करोड़ से भी कम हो गए हैं। कंपनी की देनदारी 1.80 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है और प्रमोटर्स ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

वोडाफोन की पेरेंट कंपनी का कहना है कि वो अब इसमें कोई नया निवेश नहीं करेगी। वहीं आइडिया के मालिक कुमार मंगलम बिड़ला ने अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने की पेशकश की है। ऐसे में कंपनी के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

हम यहां आपको बता रहे हैं कि अगर वोडाफोन आइडिया बंद हो जाती है तो इससे सरकार को कितनी बड़ी चपत लगेगी? कंपनी के 27 करोड़ ग्राहकों के पास क्या विकल्प रहेंगे? जियो और एयरटेल को इन हालात का कितना फायदा मिलेगा?

वोडाफोन आइडिया बंद हुई तो सरकार को कितना नुकसान?

वोडाफोन आइडिया के पास करीब 1.6 लाख करोड़ रुपए स्पेक्ट्रम की पेमेंट और AGR की देनदारी है। AGR एक तरह की लाइसेंसिंग फीस है। ये संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग द्वारा ली जाती है। ये रकम सीधे तौर पर सरकार को मिलती है। इसके अलावा कंपनी ने बैंकों से करीब 23 हजार करोड़ रुपए का लोन लिया है। इनमें 70% सरकारी बैंक हैं। इसके अलावा बैंकों ने कंपनी को हजारों करोड़ रुपए की गारंटी दे रखी है।

अगर वोडाफोन आइडिया बंद हुई तो सबसे बड़ा घाटा सरकार को उठाना पड़ेगा। कंपनी की नेटवर्थ नेगेटिव है। इस वजह से रिकवरी बेहद मुश्किल होती है। ऐसी ही स्थिति रिलायंस कम्युनिकेशंस और एयरसेल के बंद होने के बाद भी आई थी।

वोडाफोन आइडिया पर बैंक लोन के ये आंकड़े नोमुरा रिपोर्ट पर आधारित हैं।

Vodafone Idea को बचाने के लिए SBI समेत कई बैंकों का सुझाव, कर्ज को इक्विटी में बदलने का है विकल्प

वोडाफोन आइडिया अगर डूबती है तो सरकारी व निजी बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. निजी सेक्टर के बैंकों की बात करें तो इससे सबसे अधिक प्रभावित येस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक होंगे.

एसबीआई समेत वोडाफोन आइडिया को कर्ज देने वाले बैंकों ने दूरसंचार विभाग ( DoT) को सुझाव दिया है कि कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है.
वित्तीय संकट से जूझ रही टेलीकॉम कंपनी Vodafone Idea Limited (VIL) के कर्जों को लेकर बैंकों ने समाधान पेश किया है. एसबीआई समेत वोडाफोन आइडिया को कर्ज देने वाले बैंकों ने दूरसंचार विभाग ( DoT) को सुझाव दिया है कि कंपनी के कर्ज को इक्विटी में बदला जा सकता है. पिछले महीने वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और टाटा कम्यूनिकेशंस पर बकाए एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) को लेकर सुप्रीमकोर्ट ने एक फैसला सुनाया था. इसे लेकर टेलीकॉम कंपनियों पर वित्तीय दबाव बढ़ा जिसे लेकर डीओटी ने शुक्रवार को सीनियर बैंक ऑफिशियल्स को विमर्श के लिए बुलाया था. सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 93520 करोड़ रुपये के बकाए एजीआर को चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है.

कर्ज को इक्विटी में बदलने का विकल्प: बैंक

सूत्रों के मुताबिक बैंकर्स ने डीओटी अधिकारियों को बताया कि कर्ज को इक्विटी बनाना एक विकल्प है लेकिन यह सस्टेनेबल नहीं है. इसके अलावा वोडाफोन आइडिया अभी तक अपने कर्जों को चुकाने में डिफॉल्ट नहीं हुई है तो बैंक उसके खिलाफ किसी प्रकार का कोई एक्शन नहीं ले सकते हैं. बैंक इससे पहले भी वित्तीय संकट से जूझ रही कंपनी के कर्जों को इक्विटी में बदल चुकी है. सूत्रों के मुताबिक बैंकों ने मौजूदी परिस्थितियों में प्रमोटर्स द्वारा कंपनी में निवेश को ही सबसे बेहतरीन विकल्प बताया है. ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की इस टेलीकॉम कंपनी में 45 फीसदी और आदित्य बिरला ग्रुप की 27 फीसदी हिस्सेदारी है.

वोडाफोन आइडिया डूबी तो बैंकों को 1.8 लाख करोड़ का नुकसान

वोडाफोन आइडिया अगर डूबती है तो सरकारी व निजी बैंकों को 1.8 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा. निजी सेक्टर के बैंकों की बात करें तो इससे सबसे अधिक प्रभावित येस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक होंगे. किसी भी प्रकार की अनिश्चितता के चलते निजी लेंडर्स ने अभी से ही प्रोविजिनिंग शुरू कर दी है. ऑफिशियल डेटा के मुताबिक वोडाफोन आइडिया पर 58254 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है जिसमें से कंपनी ने 7854.37 करोड़ रुपये चुका दिए हैं. कंपनी के ग्रॉस डेट की बात करें तो 31 मार्च 2021 तक लीज लाइबिलिटीज को छोड़कर यह 1,18,3010 करोड़ रुपये था. इसमें 96,270 करोड़ रुपये का डेफर्ड स्पेक्ट्रम पेमेंट ऑब्लिगेशंस और एजीआर देनदारी छोड़कर बैंकों व वित्तीय संस्थानों के 23,080 करोड़ रुपये शामिल हैं.

बिरला ने अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने के लिखा था पत्र

बड़ी देनदारी के चलते वोडाफोन और आदित्य बिरला ग्रुप ने अतिरिक्त पूंजी के निवेश में असमर्थता जताई. आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिरला ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को पत्र लिखकर अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद उन्होंने कंपनी के नॉन-एग्जेक्यूटिव चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया था. बिरला ने अपने पत्र में कैबिनेट सचिव को लिखा था कि निवेशक स्पेक्ट्रम पेमेंट्स पर पर्याप्त मोरेटोरियम, सर्विस लागत से ऊपर फ्लोर प्राइसिंग और एजीआर देनदारी पर स्थिति स्पष्ट नहीं होने के चलते कंपनी में निवेश नहीं करना चाहते हैं. इसके अलावा लगााता घाटे के चलते निवेशक कंपनी में निवेश नहीं करना चाहते हैं.

 

वोडाफोन आइडिया के 27 करोड़ ग्राहकों का क्या होगा?

अगर कंपनी बंद भी होती है तो उससे मौजूदा ग्राहकों को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्हें कम से कम 30 दिन का एडवांस नोटिस दिया जाएगा। इस दौरान ग्राहक चाहें तो अपना नंबर दूसरी कंपनी में पोर्ट करा सकते हैं या नंबर बंद करके नया कनेक्शन ले सकते हैं। नोटिस पीरियड खत्म होने के बाद सभी ग्राहकों को अपना कनेक्शन सरेंडर करना होगा। 2018 में जब एयरसेल ने अपनी सर्विस बंद की थी तो सब्सक्राइबर्स को दूसरा ऑपरेटर खोजना पड़ा था। ट्राई ने उन्हें यूनीक पोर्टिंग कोड दिया था जिसके जरिए वे मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी चुन सकते थे।

Vi के बंद होने से जियो और एयरटेल को कितना फायदा?

वोडाफोन आइडिया के 27 करोड़ यूजर्स में करीब 2 करोड़ पोस्टपेड यूजर्स और करीब 25 करोड़ प्रीपेड यूजर्स हैं। अगर कंपनी बंद होती है तो इसके ग्राहक जियो और एयरटेल में बंट जाएंगे।

जियो ने पोस्टपेड में ज्यादा तरक्की नहीं की है, इसलिए माना जा रहा है कि वोडाफोन आइडिया के 90% पोस्टपेड सब्सक्राइबर्स एयरटेल में चले जाएंगे। दूसरी तरफ जियोफोन नेक्स्ट की लॉन्चिंग की वजह से करीब 70% प्रीपेड सब्सक्राइबर्स के जियो जॉइन करने का अनुमान है।

वोडाफोन आइडिया के प्रीपेड सब्सक्राइबर्स की औसत कमाई 109 रुपए है और पोस्टपेड सब्सक्राइबर्स से औसत कमाई 350 रुपए है। इस हिसाब से एयरटेल और जियो के रेवेन्यू में करीब 20 हजार करोड़ का इजाफा हो सकता है।

खुद को बचाने के लिए वोडाफोन आइडिया क्या कर रहा है?

कंपनी AGR के सही कैलकुलेशन के लिए सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर करने की तैयारी कर रही है।
कंपनी ने इक्विटी और डेट से 25 हजार करोड़ रुपए जुटाने का अप्रूवल शेयर होल्डर्स से ले लिया है।
कंपनी अपनी अतिरिक्त जमीन और डेटा सेंटर्स बेचकर 3 हजार करोड़ रुपए जुटाने की तैयारी कर रही है।
कंपनी का 6,800 करोड़ रुपए का टैक्स रिफंड पेंडिंग है।
पेरेंट कंपनी वोडाफोन PLC की तरफ से जून 2022 में 6400 करोड़ रुपए मिलने हैं।
इन तमाम कोशिशों के बावजूद वोडाफोन आइडिया की राह मुश्किल नजर आ रही है, क्योंकि कंपनी के पास जितना बकाया है उसमें ये पैसा ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। कर्ज में गले तक डूबी कंपनी को खरीदार मिलना भी मुश्किल है। ऐसे में कंपनी के दीवालिया होने की आशंका है।

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